चाहे आप कितनी भी अच्छी किताबें पढ़ लें, या कितने ही अच्छे उपदेश सुन लें, अगर आप उसे अपने जीवन में नहीं उतार पाए तो सब बेकार है।

No matter how many good

चाहे आप कितनी भी अच्छी किताबें पढ़ लें, या कितने ही अच्छे उपदेश सुन लें, अगर आप उसे अपने जीवन में नहीं उतार पाए तो सब बेकार है।
चाहे आप कितनी भी अच्छी किताबें पढ़ लें, या कितने ही अच्छे उपदेश सुन लें, अगर आप उसे अपने जीवन में नहीं उतार पाए तो सब बेकार है।

NBL, 06/02/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: No matter how many good books you read, or how many good sermons you listen to, if you are not able to implement it in your life then everything is useless. पढ़े विस्तार से.... 

चाहे आप मुस्लिम हों या हिंदू या सिख, फारसी, ईसाई या बौद्ध, यदि आप आम लोगों के उत्थान के लिए अपने धर्म के अमृत वचनों को अपने जीवन में लागू नहीं कर पा रहे हैं तो आप अपने धर्म का अपमान कर रहे हैं। और तुम बाहरी आडंबरों में फंसे हुए हो, न तो तुम अपना कल्याण कर पा रहे हो और न ही दूसरों का कल्याण कर पा रहे हो, तुम्हारा खुद की शरीर और मन सब उलझा हुआ है, तुम्हारे पास केवल नाम का धर्म है कि मैं इस धर्म का हूं, लेकिन तुम्हारा अपना धर्म है, लेकिन अपना खुद का धर्म खराब हो गया है क्योंकि आप अपने धर्म के पवित्र ज्ञान से वंचित हैं।

बाहरी किताबें पढ़कर आप डॉक्टर, इंजीनियर या कलेक्टर बनकर आप उन किताबों के सार्थक ज्ञान को अपने जीवन में नहीं अपना रहे हैं और अपने काम में अच्छे और पवित्र आचरण का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसका मतलब है कि आप दूसरों को परेशान कर रहे हैं।

आप अपने धर्म के उपदेशको के उपदेश को सुनते हैं जो आपके पवित्र धर्म के अनुसार उपदेश दे रहे है धर्माचारियों के द्वारा और आप सुन रहे हैं और उन अच्छे उपदेशों को आप अपने आचरण में नहीं उतार पा रहे हैं तो आपका उपदेश सुनना बेकार है, या उपदेश देने वाले धर्माचारी उपदेशक गलत तरीकों से उपदेश दे रहे है जो आपके पवित्र धर्म के उपदेशो से विपरीत है वैसे जगहों से तुरन्त उठकर बाहर चले आना चाहिए, क्योंकि वह आक्रामक लहजे में उपदेश दे रहे है जो अन्य धर्मो के लोगों को चोट पहुँचाने वाले शब्दों का प्रयोग कर रहे है वह धर्माचारी उपदेशक, जो अन्य धर्म के मानव जाति के लिए खतरा है, जबकि हमारे अपना धर्म हमें मानवता सिखाती है, सर्व धर्म मानव हितकारी होती है।

आप जिस राष्ट्र में रहते हैं और आपका राष्ट्र एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जो कई धर्मों को अपनी गोद में पालता है, उस राष्ट्र के लिए हमारे दिल में सम्मान होना चाहिए, ताकि बाहरी दुश्मन शक्ति को हमेशा यह डर बना रहे कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हर धर्म के लोगों में राष्ट्रवादी देशभक्त होते हैं, जिन्हें तोड़ना मुश्किल है, राष्ट्रवादी देशभक्त होना सभी धर्मों के लिए सबसे बड़ा धर्म है,और देश के सभी धर्मो के लोगों के धार्मिक ग्रंथ उनको सबलता देती है वैसा ही देश का संविधान देश का सबसे बड़ा न्यायिक धर्म ग्रंथ होना चाहिए जो सभी धर्मों और मानव समाज के लोगों को माला के फूल की तरह एक सूत्र में पिरोता है और उनके कर्मों के अनुसार न्याय देता है।

संविधान के निर्माता भीम राव अंबेडकर के दलित जाति के कुछ लोग और उनके बौद्ध धर्म समुदाय के कुछ लोगों को यह अधिकार नहीं दिया है कि वे देश के अन्य धार्मिक समुदाय के लोगों के धर्म का अपमान करें, बल्कि अंबेडकर जी अपने समाज के लोगों को नई दिशा निर्देश दिए शिक्षा लेकर शिक्षित व शिष्टाचार बनो और अपना उत्थान करो। बुद्ध कौन है? वह लोगों के हित में क्या संदेश दिया है? जिस पवित्र उपदेश का अनादर कर, दलित समाज के कुछ लोग आए दिन सोशल मीडिया के माध्यम से अभद्र शब्दों का प्रयोग करते हैं जो देश के लिए हानिकारक हैं। वे दूसरे धर्म के लोगों को ठेस पहुंचा रहे हैं और मानव धर्म को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, सरकार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि देश में समरता बना रहे।

देश की अदालतें देश के संविधान की न्याय प्रक्रिया से चलती हैं और अदालत के न्यायाधीश सबूतों के आधार पर अपना फैसला देते हैं, अब चाहे वह धार्मिक स्थलों के संदर्भ में हो या भ्रष्टाचार के संदर्भ में या फिर देश के अन्य मामले, देश के कानून अपना काम करते हैं। अब इस मामले में चाहे मस्जिद हो या मंदिर या देश का मंत्री हो या देश का व्यापारी या देश का नागरिक, कानून का अधिकार सभी पर है और इन अदालतों को सबूत की जरूरत है। अगर सबूत मिला तो कानून अपनी कानूनी व्यवस्था के मुताबिक सजा देगा. फैसला सुनाता है और उन्हें भुगतना पड़ता है. आज चाहे ईडी हो या सीबीआई जांच या इनकम टैक्स की जांच हो या थाने के जांच अधिकारी द्वारा की गई जांच, सभी को देश की अदालतों के सामने आरोपी और आरोपी की जांच फाइल का सामना करना पड़ता है। सबूतों को अदालत में पेश करना होता है और उसका गहनता से अध्ययन करने और सभी सबूतों और साक्ष्यों को देखने के बाद अदालत के न्यायाधीश फैसला सुनाते हैं।