Navratri 2022 4th Day: नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा से पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं, जानें कथा और प्रिय भोग…
Navratri 2022 4th Day: Worship of Maa Kushmanda on the fourth day of Navratri will fulfill all the wishes




Navratri 2022 4th Day: Worship of Maa Kushmanda on the fourth day of Navratri will fulfill all the wishes
Maa Kushmanda Pujan Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल की चतुर्थी तिथि को नवरात्रि का चौथा दिन होता है. इस दिन आदि शक्ति के भवानी के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है. नवारित्र के 9 दिन मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. साथ ही, अगर मां कुष्मांडा की सच्चे दिल से पूजा की जाए,तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
मां कूष्मांडा का स्वरूप-
मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में जपमाला है। मां सिंह का सवारी करती हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन का शुभ रंग-
नवरात्रि के चौथे दिन हरा रंग पहनना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि मां कूष्मांडा को हरा रंग अतिप्रिय है।
मां कूष्मांडा का भोग-
मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इस भोग को लगाने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:37 ए एम से 05:25 ए एम।
अभिजित मुहूर्त- 11:47 ए एम से 12:35 पी एम।
विजय मुहूर्त-02:11 पी एम से 02:58 पी एम।
गोधूलि मुहूर्त- 05:58 पी एम से 06:22 पी एम।
अमृत काल- 08:39 पी एम से 10:13 पी एम।
निशिता मुहूर्त-11:47 पी एम से 12:36 ए एम, 30 सितम्बर।
सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:13 ए एम, सितम्बर 30 से 06:13 ए एम, 30 सितम्बर।
रवि योग- 06:13 ए एम से 05:13 ए एम, 30 सितम्बर।
मां कूष्मांडा पूजा विधि-
सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान कर उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें।
इसके बाद मां कूष्मांडा को हलवे और दही का भोग लगाएं। आप फिर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं।
मां का अधिक से अधिक ध्यान करें।
पूजा के अंत में मां की आरती करें।