मणिकर्णिका- एक शाम शौर्य के नाम का हुआ भव्य आयोजन




भीलवाड़ा। 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अमर वीरांगना, शौर्य की अद्भुत प्रतिमान झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई (मणिकर्णिका) की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्र सेविका समिति द्वारा रविवार को नगर परिषद टाउन हॉल में एक नृत्य नाटिका 'मणिकर्णिका-एक शाम शौर्य के नाम' का आयोजन किया गया, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई के बचपन से लेकर अंत तक की कहानी का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि घनश्याम, मुख्य वक्ता वंदना वजीरानी और अध्यक्षता दीप्ति सिंह ने की।
मुख्य अतिथि घनश्याम ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के युवा वर्ग को अपने आदर्श सही प्रकार से चुनने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संस्कारों का ऐसा वातावरण बनना चाहिए कि हर घर से एक मणिकर्णिका निकले। उन्होंने मातृशक्ति से आह्वान किया कि हर महिला आत्मरक्षा और शस्त्र चलाना सीखे। साथ ही किसी राष्ट्रवादी संगठन से अवश्य जुड़ें। मुख्य वक्ता वंदना वजीरानी ने मणिकर्णिका के कई उदाहरणों के माध्यम से मातृशक्ति को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रसेवा सर्वोपरि है। यह हमारे विचारों में हमें अपनी संस्कृति को, अपनी मातृभाषा को जीवंत करने की आवश्यकता है। मातृशक्ति इस विश्व पटल का आधा हिस्सा है अर्थात मातृशक्ति की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। स्वयं के संशोधन से मातृशक्ति सभी का जीवन बदलने में सक्षम है। उद्बोधन के पश्चात इस नृत्य नाटिका में नन्ही बालिकाओं और तरुणियों ने विभिन्न किरदारों के माध्यम से रानी लक्ष्मीबाई को मंच पर जीवंत कर दिया। बचपन से लेकर महाराज गंगाधर राव से विवाह, राजा को मृत्यु, झाँसी और ग्वालियर के युद्ध का बेहतरीन मंचन किया गया। दर्शकों द्वारा इस अद्भुत कार्यक्रम को काफी सराहना प्राप्त हुई। कार्यक्रम के आयोजन में मुख्य भूमिका मनीषा जाजू, कीर्ति सोलंकी, संजना माली, अर्पिता दाधीच और नीलू मालू की रही।