Invention of glasses for the blind : दृष्टिहीन वालों के लिए नई खुशखबरी : चश्मे की नई खोज ! इस चश्मे की खासियत यह है कि 72 भाषाओं में अखबार और किताबें पढ़ सकेंगे, जानिए कैसे करेगा काम...

Invention of glasses for the blind : दृष्टिहीन वालों के लिए नई खुशखबरी : चश्मे की नई खोज ! इस चश्मे की खासियत यह है कि 72 भाषाओं में अखबार और किताबें पढ़ सकेंगे, जानिए कैसे करेगा काम...
Invention of glasses for the blind : दृष्टिहीन वालों के लिए नई खुशखबरी : चश्मे की नई खोज ! इस चश्मे की खासियत यह है कि 72 भाषाओं में अखबार और किताबें पढ़ सकेंगे, जानिए कैसे करेगा काम...

Invention of glasses for the blind : दृष्टिहीन वालों के लिए नई खुशखबरी : चश्मे की नई खोज ! इस चश्मे की खासियत यह है कि 72 भाषाओं में अखबार और किताबें पढ़ सकेंगे, जानिए कैसे करेगा काम...

नया भारत डेस्क : यह चश्मे का निर्माण यूं तो इजराइल व अमरीका में चार साल पहले हुआ था, पर भारत में उससे बेहतरीन टेक्नोलॉजी व काफी कम लागत के साथ दिल्ली के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश जोशी आविष्कार किया है।

वर्ष 2020 में कोरोनाकाल के वक्त जब लॉकडाउन लग गया, तब दिल्ली स्थित एक प्राइवेट क्लीनिक के संचालक डॉ. राकेश ने कुछ अलग करने की ठानी। उन दिनों 6 महीने पूर्व इजराइल व अमरीका में संयुक्त रूप से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस चश्मे का निर्माण हुआ था। लेकिन उसकी कीमत उस वक्त करीब 8 लाख रुपए थी।

चश्मे का नाम एआई (AI)

इसी वर्ष अपने तीन आईआईटीएन सहयोगियों के साथ मिल कर इसे बनाने की ठानी। तीन साल के अथक मेहनत के बाद आखिरकार इन्होंने इस काम में सफलता पाई। 6 महीने पहले की इसे सफलतापूर्वक लांच किया। 

उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ से उन्हें विशेष लगाव है, यही वजह है कि बिलासपुर समेत छत्तीसगढ़ के दृष्टिहीनों को इस चश्मे को उपलब्ध कराने फाइनेंशल आधार अपनाया जाएगा। बेहद गरीबों को मुफ्त में चश्मा देंगे। बता दें कि छत्तीसगढ़ में लगभग 26 हजार दृष्टिहीन हैं। वहीं देश में लगभग डेढ करोड हैं। इसके लिए सिम्स के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. भानुप्रताप सिंह सहयोग कर सकते हैं।

इसकी क्या विशेषताएं है ?

बटन दबाते ही तीन मीटर आगे क्या है, पता लग जाएगा। डॉ. जोशी के अनुसार यह चश्मा 5 मोड पर काम करता है। इसमें पांच बटन लगाए गए हैं। पहला बटन दबाने पर चश्मा यह बताएगा कि सामने क्या है, कैसा नजारा है। दूसरा रीडिंग मोड है। बटन दबाने पर दृष्टिहीन को चश्मा किताब, अखबार या किसी का लिखा हुआ पढ़ कर सुनाएगा। तीसरा वॉकिंग मोड है। यानी तीसरा बटन दबाने पर तीन मीटर की दूरी में क्या है जानकारी मिल जाएगी। चौथा मोड फेस आइडेंटीफिकेशन है। जिसके सहारे पता चल सकेगा कि सामने कौन व्यक्ति है। पांचवां हेल्प मोड है। जिसके सहारे यदि दृष्टिहीन कहीं भटक गया हो, तो उसके परिजनों तक उनका लोकेशन पहुंच जाएगा, उस क्षेत्र के फोटो के साथ।

कामइजराइल व अमरीका में निर्मित चश्मे में महज 5 से 8 भाषाएं फीड की गई हैं। जबकि डॉ. जोशी ने अपने चश्मे में देश-विदेश की 72 भाषाओं को फीड किया है। यह चश्मा मोबाइल के सहारे एक ऐप के माध्यम से काम करता है।