ऊर्जा के क्षेत्र में भारत बड़ा कदम: तीन सालों में देश में 10 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाएंगे।

India's big step in the field of energy: 10 nuclear power plants will be set up in the country in three years. 1.05 lakh crore will be built at a cost.

ऊर्जा के क्षेत्र में भारत बड़ा कदम: तीन सालों में देश में 10 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाएंगे।

NBL, 27/03/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.. ऊर्जा के क्षेत्र में भारत बड़ा कदम उठाने के लिए तैयार है। आने वाले तीन सालों में देश में 10 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। ये परमाणु ऊर्जा संयंत्र 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाएंगे। कर्नाटक के कैगा में 2023 में 700 मेगावाट के परमाणु ऊर्जा संयंत्र की नींव डालने के साथ भारत तीन वर्षों में 'फ्लीट मोड' में एक साथ 10 परमाणु रिएक्टरों का निर्माण करेगा, पढ़े विस्तार से...। 

परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के अधिकारियों ने संसदीय समिति को बताया कि, कैगा इकाइयों पांच व छह का एफपीसी 2023 में अपेक्षित है। गोरखपुर, हरियाणा अणु विद्युत परियोजन इकाइयों में तीन और चार, इसके अलावा और माही बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना इकाई एक से चार का एफपीसी 2024 में अपेक्षित है। मध्य प्रदेश परमाणु ऊर्जा परियोजना इकाइयों में एक और दो का एफपीसी 2025 में चुटका महोने की संभावना है।
केंद्र ने जून 2017 में 700 मेगावाट के 10 स्वदेशी विकसित दबावयुक्त भारी जल संयंत्र (पीएचडब्ल्यूआर) के निर्माण को मंजूरी दी थी। ये 10 पीएचडब्ल्यूआर 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत से बनाए जाएंगे। यह पहली बार है जब सरकार ने लागत कम करने और निर्माण के समय में तेजी लाने के उद्देश्य से एक बार में 10 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण को मंजूरी दी थी।
डीएई अधिकारी कहा कि 'फ्लीट मोड' परियोजनाओं के लिए थोक स्तर पर खरीद की जा रही थी जिसमें स्टीम जेनरेटर, एसएस 304 एल जाली ट्यूब और एंड शील्ड के लिए प्लेट, प्रेशराइजर फोर्जिंग, ब्लीड कंडेनसर फोर्जिंग, 40 स्टीम जनरेटर के लिए इंकोलॉय-800 ट्यूब, रिएक्टर हेडर के निर्माण के लिए ऑर्डर दिए गए थे।
उन्होंने कहा कि गोरखपुर इकाई 3 और 4 तथा कैगा इकाई 5 और 6 के टरबाइन आइलैंड के लिए इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण पैकेज प्रदान किए गए हैं। 'फ्लीट मोड' के तहत पांच साल की अवधि में एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण की उम्मीद है।
वर्तमान में भारत में 6780 मेगावाट की कुल क्षमता के साथ 22 रिएक्टरों का संचालन होता है। गुजरात के काकरापार में 700 मेगावाट का रिएक्टर पिछले साल 10 जनवरी को ग्रिड से जोड़ा गया था, लेकिन अब तक इसका वाणिज्यिक संचालन शुरू नहीं हुआ है।
पीएचडब्ल्यूआर प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन के रूप में और भारी जल को मॉडरेटर के रूप में उपयोग करते हैं, जो भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के मुख्य आधार के रूप में उभरे हैं।
भारत के 220 मेगावाट के पहले दो पीएचडब्ल्यूआर 1960 के दशक में कनाडा के सहयोग से राजस्थान के रावतभाटा में स्थापित की गई थी। लेकिन 1974 में भारत के शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षणों के बाद कनाडा के समर्थन वापस ले लेने से दूसरा रिएक्टर महत्वपूर्ण घरेलू कंपनियों के सहयोग से बनाया जाना था। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने मानकीकृत डिजाइन और बेहतर सुरक्षा उपायों के साथ 220 मेगावाट के 14 पीएचडब्ल्यूआरएस बनाए हैं।
भारतीय इंजीनियरों ने बिजली उत्पादन क्षमता को 540 मेगावाट तक बढ़ाने के लिए डिजाइन में और सुधार किया और ऐसे दो रिएक्टरों को महाराष्ट्र के तारापुर में शुरू किया गया। क्षमता को बढ़ाकर 700 मेगावाट करने के लिए और बेहतर सुधार किए गए।