धर्म, दर्शन और अध्यात्म - यह तीन शब्द हमें सुनने-पढ़ने को मिलते हैं। तीनों ही शब्दों का अर्थ अलग अलग है, लेकिन यहां बात सिर्फ धर्म की करते हैं कि आखिर धर्म की परिभाषा क्या है?

We get to hear and read these three words - religion, philosophy and spirituality.

धर्म, दर्शन और अध्यात्म - यह तीन शब्द हमें सुनने-पढ़ने को मिलते हैं। तीनों ही शब्दों का अर्थ अलग अलग है, लेकिन यहां बात सिर्फ धर्म की करते हैं कि आखिर धर्म की परिभाषा क्या है?
धर्म, दर्शन और अध्यात्म - यह तीन शब्द हमें सुनने-पढ़ने को मिलते हैं। तीनों ही शब्दों का अर्थ अलग अलग है, लेकिन यहां बात सिर्फ धर्म की करते हैं कि आखिर धर्म की परिभाषा क्या है?

NBL, 04/09/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. We get to hear and read these three words - religion, philosophy and spirituality.  The meaning of all the three words is different, but here we talk only about religion, what is the definition of religion?

साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि। धर्म का शाब्दिक अर्थ होता है, 'धारण करने योग्य' सबसे उचित धारणा, अर्थात जिसे सबको धारण करना चाहिए, यह मानवधर्म हैं। "धर्म" एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। ऐसा माना जाता है कि धर्म मानव को मानव बनाता है, पढ़े विस्तार से... 

विष्णुपुराण में 'अधर्म' का भी उल्लेख है। अधर्म की पत्नी हिंसा है जिससे अनृत नामक पुत्र और निकृति नाम की कन्या का जन्म हुआ। भय और नर्क अधर्म के नाती हैं । 

धर्म, दर्शन और अध्यात्म - यह तीन शब्द हमें सुनने-पढ़ने को मिलते हैं। तीनों ही शब्दों का अर्थ अलग अलग है, लेकिन यहां बात सिर्फ धर्म की करते हैं कि आखिर धर्म की परिभाषा क्या है। क्योंकि सवाल भी यही है। हिन्दू सनातन सिद्धांत धारा में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में धर्म का प्रमुख स्थान है। धर्मयुद्ध का अर्थ किसी संप्रदाय विशेष के लिए युद्ध नहीं। सत्य और न्याय के लिए युद्ध।

धर्म को अंग्रेजी में रिलिजन (religion) और ऊर्दू में मजहब कहते हैं, लेकिन यह उसी तरह सही नहीं ‍है जिस तरह की दर्शन को फिलॉसफी (philosophy) कहा जाता है। दर्शन का अर्थ देखने से बढ़कर है। उसी तरह धर्म को समानार्थी रूप में रिलिजन या मजहब कहना हमारी मजबूरी है। मजहब का अर्थ संप्रदाय होता है।  उसी तरह रिलिजन का समानार्थी रूप विश्वास, आस्था या मत हो सकता है, लेकिन धर्म नहीं। हालांकि मत का अर्थ होता है विशिष्ट विचार। कुछ लोग इसे संप्रदाय या पंथ मानने लगे हैं, जबकि मत का अर्थ होता है आपका किसी विषय पर विचार। यतो ऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धिः स धर्मः।

धर्म वह अनुशासित जीवन क्रम है, जिसमें लौकिक उन्नति (अविद्या) तथा आध्यात्मिक परमगति (विद्या) दोनों की प्राप्ति होती है।

धर्म का शाब्दिक अर्थ : धर्म एक संस्कृत शब्द है। धर्म का अर्थ बहुत व्यापक है। ध + र् + म = धर्म। ध देवनागरी वर्णमाला 19वां अक्षर और तवर्ग का चौथा व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दन्त्य, स्पर्श, घोष तथा महाप्राण ध्वनि है। संस्कृत (धातु) धा + ड विशेषण- धारण करने वाला, पकड़ने वाला होता है। जो धारण करने योग्य है, वही धर्म है। पृथ्वी समस्त प्राणियों को धारण किए हुए है। जैसे हम किसी नियम को, व्रत को धारण करते हैं इत्यादि। इसका मतलब धर्म का अर्थ है कि जो सबको धारण किए हुए है अर्थात धारयति- इति धर्म:!। अर्थात जो सबको संभाले हुए है। सवाल उठता है कि कौन क्या धारण किए हुए हैं? धारण करना सही भी हो सकता है और गलत भी।