केसकाल ब्लॉक के ग्राम पंचायत बटराली मे ईसाई मानने वाले सदस्यों को त्यौहार यहाँ ना मनाने की धमकिया देना करें बंद,हर किसी वर्ग धर्म के लोगो को शांतिपूर्वक त्योहार मनाने का अधिकार है यही धमकिया लिखित मे देने का दिखाए जिगरा न्यालाया समक्ष दूद का दूद पानी का पानी करेंगे देश गांव भारतीय संविधान से चलता है मुह बोलें धमकियों से नहीं - नरेन्द्र भवानी




केसकाल ब्लॉक के ग्राम पंचायत बटराली मे ईसाई मानने वाले सदस्यों को त्यौहार यहाँ ना मनाने की धमकिया देना करें बंद,हर किसी वर्ग धर्म के लोगो को शांतिपूर्वक त्योहार मनाने का अधिकार है यही धमकिया लिखित मे देने का दिखाए जिगरा न्यालाया समक्ष दूद का दूद पानी का पानी करेंगे देश गांव भारतीय संविधान से चलता है मुह बोलें धमकियों से नहीं - नरेन्द्र भवानी
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और केसकाल ब्लॉक के ग्राम बटराली भी इसी देश का हिस्सा है किसी भी वर्ग,धर्म के लोगो को त्यौहार ना मनाने का धमकी देना गैर संवेधानिक कृत्य मामले को स्थानीय पोलिस प्रशासन लेवें संज्ञान मे ईसाई मानने वाले लोगो को त्यौहार पर्व मे देवें सुरक्षा - नरेन्द्र भवानी
जगदलपुर : मामले मे छत्तीसगढ़ युवा मंच के संस्थापक नरेन्द्र भवानी ने एक बयान जारी कर कोंडागांव जिले के केसकाल ब्लॉक का ग्राम पंचायत बटराली मे ईसाई समुदाए को मानने वाले लोगो को उक्त व्यक्तियो द्वारा यहाँ क्रिसमस त्यौहार नहीं मनाना का धमकी देने का विषय का शिकायत प्राप्त हुवा,जो बेहद चिंता का विषय है लगातार केसकाल जैसे इलाका मे ईसाई मानने वाले समाज पर उनका संविधानिक मिलने वाला हक अधिकारो का हनन होता जा रहा है कभी त्यौहार के नाम पर रैली निकाले तो जबरन धर्मांतरण करने आरोप लगा कर समाज का बेइज्जती करते हुवे मामले को थाने मे जाकर आवेदन देकर इस समाज मान सम्मान को कुचलते नजर आते है तो अब गांव बटराली मे क्रिसमस त्यौहार नहीं मनाओगे का मौखिक फरमान धमकी जैसा आदेश दें जाते है आखिर ऐसा क्यूँ करते है लोग जबकि बदले मे ईसाई समाज ऐसे करने वाले लोगो को केवल दुवा आशीर्वाद देते है कोई नियमानुसार कार्यवाही या गलत टिपण्णी तक नहीं करते फिर इतना नफरत क्यूँ तो वही जिम्मेदार अधिकारी जिनका दाईत्व होता है हर नागरिको को उनका संवेधानिक अधिकारी का हक दिलाने का काम पर शायद यह भी इस इलाका मे नहीं हो रहा है जो की बेहद चिंता का विषय है जबकि यह सभी जिम्मेदार आफिसर्स इसी भारतीय संविधान का कसमे खाकर अपना दाईत्व सरकारी नौकरी पर बैठ आम जनता की सेवा मे है तो फिर यह भेद भाव क्यूँ आखिर क्या ऐसी वजह है जो गैर संवेधानिक ज्ञापन आवेदन को बकायदा पावती देकर ग्रहण कर लेते है जबकि जिम्मेदारो को अगर ज्ञापन आवेदन देने वाला गलत तरीका से गैरनियमानुसार आवेदन या ज्ञापन दिया जाता है तो, उन आवेदनकर्ताओ को बड़े सरल भाषा मे नियम कानून समझाना भी चाहिए पर ऐसा नहीं होता उल्टा माहौल खराब हो ऐसा स्थिति निर्मित होने तक नजारा देखा जाता है ऐसे मे कैसे भारत धर्मनिरपेक्ष कहलायेगा चिंता का विषय है।
भवानी ने कहा की कौन लोग त्यौहार मनाने का विरोध कर रहें है कौन लोग विशेष वर्ग के त्यौहार की रैलियों पर सवाल उठा रहें है गांव गांव मे माहौल कौन लोग खराब कर रहें है बिलकुल भी फर्क नहीं पड़ता पर जो जो जिम्मेदार आफिसर्स के इलाको मे यह सब हो रहा है वह जिम्मेदार अधिकारी आखिर क्यूँ लोगो के संवेधानिक हक अधिकारो का हनन होता देख अपने आप का पीठ थप थपा रहें है यह गंभीर मसला है इस पर उच्च अधिकारियों को ततकाल एक्शन लेना चाहिए और वास्तव मे जिन्हे बाबा भीमराव अम्बेडकर की भारतीय संविधान का सम्मान हो हर वर्ग के लोगो का मौलिक हक अधिकार दिलाने मे सक्षम हो व संवीधान का एक एक कंडिकाओ को धराताल मे परिपालन कराने का मन इच्छा सकती हो वैसे जिम्मेदार अधिकारियों को मिलना चाहिए ऐसे इलाको मे सेवा करने का मौका।
भवानी अपने जारी बयान मे कहा है की केसकाल ब्लॉक के ग्राम बटराली मे ईसाई मानने वाले सदस्यों को उनका मौलिक हक अधिकार अनुरूप क्रिसमस त्यौहार मनाने पर कोई रोक नहीं लगनी चाहिए यह कानून व्यवस्था के रक्षक इस कार्य करना चाहिए तो वही संवीधान से मिलने वाले अधिकारो का परीपालन कराने वाले अधिकारी भी इस विषय पर कार्य कर माहौल को शान्ति तरीका से यह गैर संवेधानिक गति विधियों पर रोक लगाने का कार्य करना चाहिए कोई भी किसी भी वर्ग धर्म के लोगो को त्यौहार ना मनाने को नहीं कह सकता यह भारत देश है तालीबान देश नहीं यहाँ भारतीय संवीधान का राज चलता है यह बाते सभी को जानने का जरूरत है।
वही भवानी ने इसी विषय पर इलहाबाद के हाई कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख करते हुवे बताया है की,इलाहाबाद HC का कहना है कि हर किसी को शांतिपूर्वक त्योहार मनाने का अधिकार है! ईसाई समुदाय के सदस्यों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्ण तरीके से त्योहार मनाने का अधिकार है! अधिकारियों को कानून द्वारा अनुमति होने पर उनकी सहमति देने में अनिच्छुक नहीं होना चाहिए। अदालत ने अधिकारियों को याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर आवेदन पर कानून के अनुसार विचार करने का निर्देश दिया।