लकड़ी और उपले जलाकर काम चला रही हैं गृहणियां - तरुणा साबे

लकड़ी और उपले जलाकर काम चला रही हैं गृहणियां - तरुणा साबे
लकड़ी और उपले जलाकर काम चला रही हैं गृहणियां - तरुणा साबे

लकड़ी और उपले जलाकर काम चला रही हैं गृहणियां - तरुणा साबे


जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा की केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना का हाल बेहाल है। आधी आबादी को धुएं से राहत दिलाने के लिए केंद्र की लाई गई उज्जवला योजना के तहत लिए गए एक लाख से ज्यादा रसोई गैस सिलिंडर रिफिल नहीं कराए गए हैं। आधी आबादी को धुएं से राहत देने के लिए तैयार की गई उज्ज्वला योजना धरातल पर परवान नहीं चढ़ रही है। रसोई गैस सिलिंडर पर महंगाई के कारण महिलाओं को दोबारा से चूल्हे का सहारा लेना पड़ रहा है। हालात यह है कि करीब 75 फीसदी सिलिंडर रिफिल नहीं कराए जा रहे है। महिलाएं कहती हैं कि सरकार को रसोई गैस के दाम कम करने चाहिए। इसके बाद ही योजना का लाभ पात्र परिवार को मिल सकेगा।

छत्तीसगढ़ में छह लाख चालीस हजार उज्जवला कनेक्शन गरीब परिवारों को दिए गए हैं। एलपीजी महंगी होने के कारण शहर में पीएनजी विकल्प बन रही है। मगर, देहात क्षेत्र तक पीएनजी की लाइन नहीं है, जिस कारण उपभोक्ताओं के पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। ऐसे में लकड़ी या उपले जलाकर ही काम चलाया जा रहा है। उज्जवला योजना मई २०१४ में शुरू की गई थी। तब सिलिंडर की कीमत करीब ७०० रुपए थी। वर्तमान में रसोई गैस के सिलिंडर की कीमत १,१२० रुपए पर पहुंच गई है।

आगे तरुणा में कहा कि उपले जलाकर चल रहा है काम गांव की रहने वाली महिलाओं  का कहना है कि सिलिंडर महंगा होने के कारण लकड़ी और उपले जलाकर काम चला रहे हैं। सरकार ने सिलिंडर तो दे दिया लेकिन महंगाई बढ़ाकर खाली सिलिंडर रखने के लिए विवश कर दिया है। सरकार केवल वोट लेने के लिए प्रâी में गैस सिलिंडर घर-घर दिया था।

महंगा सिलिंडर भराना मुश्किल - तरुणा साबे

  महंगाई के कारण रोज गैस पर खाना नहीं पकाया जा सकता। सिलिंडर बेहद महंगा है। परिवार के सदस्य मजदूरी करते है। 
इतना महंगा सिलिंडर खरीदना उनके लिए संभव नहीं है। इसलिए खाना चूल्हे पर बनाना पड़ रहा है। एलपीजी महंगी होने के कारण लकड़ी से खाना बनाना पड़ रहा है।

वोट के लिए दिया झुनझुना - तरुणा साबे

प्रतिदिन खाना पकाने के लिए गैस का प्रयोग नहीं किया जा सकता, क्योंकि सिलिंडर के दाम उम्मीद से ज्यादा बढ़ गए हैं। सिलिंडर महंगा होने पर पहले बच्चों की परवरिस करे कि खाली सिलिंडर भराने में अपनी कमाई लगाए। सरकार ने तो वोट लेने के लिए झुनझुना हर घर में थमा दिया है।