हिंगुला शक्ति पीठ  - ३ : माता हिंगलाज के स्वरूप का वर्णन, आइए जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...

हिंगुला शक्ति पीठ  - ३ : माता हिंगलाज के स्वरूप का वर्णन, आइए जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...
हिंगुला शक्ति पीठ  - ३ : माता हिंगलाज के स्वरूप का वर्णन, आइए जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...

हिंगुला शक्ति पीठ  - ३  

डॉ सुमित्रा अग्रवाल 
यूट्यूब वास्तु सुमित्रा 

कोलकाता : माता हिंगलाज (जिन्हें माता हिंगलाज या हिंगलाज देवी भी कहा जाता है) का स्वरूप देवी शक्ति के रूपों में से एक है और उन्हें विशेष रूप से एक आदिशक्ति के रूप में पूजा जाता है। उनका स्वरूप माँ दुर्गा या सती के भयानक और करुणामयी दोनों रूपों का मिश्रण है।

माता हिंगलाज के स्वरूप का वर्णन :

आदिशक्ति का रूप: माता हिंगलाज को सृष्टि की आदिशक्ति और सभी देवियों की जननी माना जाता है। उनका स्वरूप शक्तिशाली और तेजस्वी है, जो पूरे ब्रह्मांड को संतुलित रखने वाली शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। वह सृजन, पालन और संहार तीनों का नियंत्रण करती हैं।

भयानक और सौम्य रूप :

माता हिंगलाज का स्वरूप एक ओर भयानक है, जो बुराई और अधर्म का नाश करने वाली है, और दूसरी ओर करुणामयी और दयालु हैं, जो अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं।

उनके भयानक रूप में उन्हें महिषासुर मर्दिनी या कालिका के समान माना जाता है, जो सभी असुरों और नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं।

सौम्य रूप में वे दयालु, मातृत्व की प्रतीक और अपने भक्तों को सुरक्षा और सुख-शांति प्रदान करने वाली देवी हैं।

तीन नेत्र :

माता हिंगलाज को तीन नेत्रों वाली देवी के रूप में भी चित्रित किया जाता है, जो त्रिकालदर्शी हैं। उनका तीसरा नेत्र उनकी दिव्य दृष्टि और ज्ञान का प्रतीक है, जो पूरे समय और स्थान को देखता है।

शस्त्र धारण करने वाली :

माता के स्वरूप में कई बार उन्हें शस्त्रों से सज्जित दिखाया जाता है। वे अपने हाथों में त्रिशूल, चक्र, तलवार आदि धारण करती हैं, जो उनकी बुरी शक्तियों के नाश की क्षमता का प्रतीक हैं।

सिंह पर सवार :

माता हिंगलाज को भी अक्सर सिंह पर सवार दिखाया जाता है। यह सिंह उनका वाहन है और उनकी अजेयता, साहस और वीरता का प्रतीक है।

मृदुल एवं तेजोमयी मुखमंडल :

उनके मुखमंडल को सौम्यता और तेज से युक्त माना जाता है। वह मृदु मुस्कान के साथ भक्तों पर कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं।

भस्म और अलंकरण :

माता हिंगलाज के स्वरूप में भस्म का उपयोग भी महत्वपूर्ण है। वह अपने शरीर पर भस्म का लेप लगाती हैं, जो उनके संन्यासी और साध्वी रूप का प्रतीक है। साथ ही, वे सुंदर आभूषणों और माला से अलंकृत रहती हैं।

रक्तवर्ण या लाल रंग :

माता हिंगलाज को अक्सर लाल वस्त्र पहने हुए दर्शाया जाता है, जो उनकी उग्र शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है। लाल रंग उनके शौर्य और उनके द्वारा किए जाने वाले संघर्ष का प्रतिनिधित्व करता है।

माता हिंगलाज का यह स्वरूप भक्तों के लिए अत्यंत शक्तिशाली, प्रेममयी और रक्षक का है। वे सभी तरह के संकटों से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करती हैं।