हिजाब विवाद पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: स्कूल-कॉलेजों में हिजाब की इजाजत नहीं.... हाईकोर्ट में याचिका खारिज.... स्कूल यूनिफॉर्म पहननी ही होगी.... हिजाब विवाद के 74 दिन... कॉलेज से संसद तक बवाल... HC में रखे गए ये तर्क....
Hijab controversy Timeline row verdict High Court dismisses all petitions HC says




...
karnataka hijab row verdict: हिजाब मामले (Hijab Row) पर आज कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने फैसला सुना दिया है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब मामले पर दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. कर्नाटक हिजाब विवाद पर मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब बैन के फैसले को चुनौती देने वालीं याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है. फैसले से पहले हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. कर्नाटक हिजाब विवाद पर फैसले को लेकर कर्नाटक के कोप्पल और गडग जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है. कलबुर्गी में धारा 144 लागू की गई है. यह 19 मार्च तक लागू रहेगी. दावणगेरे और हासन जिले में भी धारा 144 लागू की गई है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को स्कूल-कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने पर अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने हिजाब विवाद में याचिक खारिज कर दी है. हिजाब धर्म का हिस्सा नहीं है. हिजाब पहनना इस्लाम में अनिवार्य नहीं है. लिहाजा स्टूडेंट स्कूल की यूनिफॉर्म पहनने से मना नहीं कर सकते. शिवामोगा में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. इसके साथ ही कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 21 मार्च तक धारा 144 लागू की गई है. फैसले पर किसी भी तरह के जश्न पर भी पाबंदी लगाई गई है. बेलगांव और चिक्कबल्लापुर में भी धारा 144 लागू कर दी गई है.
बेंगलुरु में 1 हफ्ते के लिए धारा 144 लागू. किसी भी तरह के विरोध और भीड़ के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाई गई है. धारवाड़ में धारा 144 लगा दी गई है. कर्नाटक में पिछले दिनों स्कूल-कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर रोक को लेकर काफी विवाद हुआ था. इसे लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन भी हुए थे. कुछ मुस्लिम छात्राओं ने इस मामले में हाईकोर्ट का रुख किया था. लगातार 11 दिन चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. यह विवाद 1 जनवरी 2022 यानी 74 दिन से जारी है.
हाईकोर्ट पहुंचीं थी लड़कियां
कर्नाटक चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच स्कूल-कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर सुबह 10.30 बजे इस मामले पर अंतरिम आदेश सुनाएगी. उडुपी की लड़कियों ने स्कूल में हिजाब पहनने को लेकर एक याचिका दायर की थी. इस पर 9 फरवरी को चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच का गठन किया गया था. लड़कियों की मांग है कि उन्हें क्लास के अंदर भी हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि यह उनकी आस्था का हिस्सा है.
74 दिन से जारी है विवाद
1 जनवरी को शुरू हुआ विवाद: इस विवाद की शुरुआत 1 जनवरी से पहले हुई थी. उस वक्त उडुपी कॉलेज की 6 लड़कियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला था. लड़कियों का आरोप था कि लड़कियों ने हिजाब पहनकर कॉलेज में एंट्री ली थी. कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब के साथ एंट्री देने से मना कर दिया.
क्या कहा था स्कूल प्रशासन ने? वहीं, इसे लेकर स्कूल के प्रिंसिपल का रुद्र गौड़ा का कहना था कि छात्राएं पहले कैंपस तक हिजाब पहनकर आती थीं, लेकिन कक्षा में आने से पहले इसे हटा देती थीं. लेकिन बाद में लड़कियों ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति मांगी थी. जिसे देने से इनकार कर दिया गया था. गौड़ा का कहना था कि संस्थान में हिजाब को लेकर कोई नियम नहीं हैं. लेकिन पिछले 35 साल से कोई भी हिजाब पहनकर कक्षा में दाखिल नहीं हुआ. लेकिन जिन छात्राओं ने हिजाब पहनकर एंट्री की अनुमति मांगी, उन्हें बाहरी ताकतों का समर्थन था.
5 फरवरी को सरकारी स्कूलों में अनिवार्य किया ड्रेस कोड
राज्य में हिजाब विवाद के बीच कर्नाटक सरकार ने 5 फरवरी को एक आदेश जारी किया. इसके मुताबिक, सरकार ने सभी सरकारी और निजी स्कूल कॉलेजों में ड्रेस कोड को अनिवार्य करने का फैसला किया. आदेश में कहा गया कि निजी स्कूल प्रशासन अपनी पसंद की यूनिफॉर्म चुन सकता है. आदेश में कहा गया कि प्रशासनिक समिति की तरफ से ड्रेस का चयन न करने की स्थिति में समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था को बिगाड़ने वाले कपड़े नहीं पहनने चाहिए.
9-15 फरवरी तक कर्नाटक में स्कूल-कॉलेज रहे बंद
मुस्लिम लड़कियों के आरोप के बाद से कर्नाटक में जगह जगह विरोध प्रदर्शन होने लगे. कक्षाओं में हिजाब पहनने और इसका विरोध करने वाले दोनों गुट सड़कों पर आ गए. वहीं, सरकार के आदेश के बाद ये विरोध प्रदर्शन और तेज हो गए. इसके चलते कर्नाटक सरकार को 9 फरवरी से 15 फरवरी तक स्कूल-कॉलेज बंद करने का ऐलान किया.
लड़कियों ने किया हाईकोर्ट का रुख
उधर, सरकार के ड्रेस कोड अनिवार्य वाले आदेश के खिलाफ लड़कियों ने हाईकोर्ट का रुख किया. हाईकोर्ट ने 9 फरवरी को इस मामले को बड़ी बेंच के पास ट्रांसफर किया. 10 फरवरी से हाईकोर्ट की फुल बेंच ने इस पर रोजाना सुनवाई की. उधर, इस मामले में कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की गईं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. ऐसे में हस्तक्षेप क्यों किया जाए?
11 दिन चली सुनवाई के दौरान क्या क्या हुआ?
छात्राओं ने क्या कहा?- छात्राओं ने याचिका में कहा कि उन्हें क्लास के अंदर भी हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि यह उनकी आस्था का हिस्सा है. छात्रों की ओर से पेश वकील यूसुफ मुछाला ने सुनवाई के दौरान मुस्लिम विद्वान का एक कोट पढ़ा- सच्ची इस्लामी परंपरा में सिर ढकने की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा, हदीस में भी कहा गया कि चेहरे को ढकना जरूरी नहीं है लेकिन हिजाब जरूर पहनना चाहिए. कई ऐसी धार्मिक परंपराएं हैं जिसे सरकार ने अपने जवाब में स्वीकार किया है.
उडुपी के जिस कॉलेज में विवाद हुआ, उसने क्या दलील दी?- उडुपी कॉलेज ने कर्नाटक हाईकोर्ट में कहा कि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) एक कट्टरपंथी संगठन है. यही संगठन इस पूरे विवाद की जड़ है. 2004 में कॉलेज ने ड्रेस कोड लागू किया था. लेकिन अभी तक इसे लेकर कोई मुद्दा नहीं बनाया गया. लेकिन हाल ही में सीएफआई ने कुछ छात्रों से मुलाकात की थी. इसके बाद हिजाब पहनने को लेकर विवाद हुआ.
सरकार ने क्या कहा? - सरकार की ओर से पेश वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देना अनुच्छेद 15 का उल्लंघन नहीं है. कहा गया है कि अनुच्छेद 15 के तहत धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक है. इसका हिजाब से कोई लेना देना नहीं.
कोर्ट ने क्या कहा था- हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि जहां पर पहले से यूनिफॉर्म अनिवार्य की गई है, वहां पर उसका पालन करना ही होगा. फिर चाहे वो डिग्री कॉलेज हो या फिर पीजी कॉलेज.
हाईकोर्ट ने जारी किया अंतरिम आदेश
इसके बाद कोर्ट ने अपना अंतरिम आदेश जारी किया. इसमें कोर्ट ने सरकार से सभी शिक्षण संस्थानों को खोलने के लिए कहा. साथ ही अगले आदेश तक स्कूल कॉलेजों में किसी भी प्रकार के धार्मिक परिधान पहनने पर रोक लगा दी.
फैसले का आधार बनीं ये दो बातें
मंगलवार को फैसला सुनाने से पहले हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी ने कहा कि इस मामले में दो सवालों पर गौर करना अहम है. पहला- क्या हिजाब पहनना आर्टिकल 25 के तहत धार्मिक आजादी के अधिकार में आता है. दूसरा- क्या स्कूल यूनिफॉर्म पहनने को कहना इस आजादी का हनन है. इसके बाद हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर बैन को सही ठहराया.