इलेक्टोरल ब्रांड एक प्रकार का राजनीतिक दान है जिसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाया गया है और देश के लोकतंत्र के ज्ञान के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सराहनीय आदेश के माध्यम से सार्वजनिक किया गया है।
Electoral Brand is a type of political donation brought in




NBL, 03/04/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: Electoral Brand is a type of political donation brought in by PM Modi and made public through a commendable order of the Supreme Court for the enlightenment of the democracy of the country. पढ़े विस्तार से....
* क्या कहती है सरकार...
सरकार का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता को बढ़ावा देते हैं.सरकार के मुताबिक़, ये योजना पारदर्शी है और इसके ज़रिये काले धन की अदला-बदली नहीं होती।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कई मौक़ों पर बताया है कि धन प्राप्त करने का तरीक़ा बिल्कुल पारदर्शी है और इसके ज़रिये किसी भी काले या बेहिसाब धन को हासिल करना संभव नहीं है।* सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार...
बता दें कि, इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम फैसले के एक महीने बाद भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इसका डेटा ठीक ढंग से जारी नहीं कर पाया था. कोर्ट को एसबीआई को फिर फटकार लगानी पड़ी थी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा था कि क्या बैंक को कोर्ट का फैसला समझ नहीं आया? चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सोमवार की सुनवाई में बैंक और कंपनियों की तरफ से पेश वकीलों को निर्देश दिया कि एसबीआई को 21 मार्च को शाम 5 बजे से पहले बॉन्ड से जुड़े तमाम डेटा जारी करने के आदेश दिए. फैसले के मुताबिक, बैंक बॉन्ड का डेटा चुनाव आयोग को सौंपना था, जो आयोग की साइट पर पब्लिश किया जाएगा, ताकि उन्हें आसानी से एक्सेस किया जा सके. इस आदेश के बाद SBI ने गुरुवार को ये डाटा चुनाव आयोग को दिया।
चुनावी बांड का व्यापक उपयोग उन राजनीतिक दलों को रोकने में मदद कर सकता है जो केवल जनता से धन इकट्ठा करने के लक्ष्य के साथ काम करते हैं।
जब से भारत एक लोकतांत्रिक देश बना है, और देश के लोकतंत्र ने अपने वोट के अधिकार का प्रयोग किया है, तब से यह चुनावी चंदा देश के राजनीतिक दलों के नेताओं को दिया जा रहा है। यह कुछ गैर सरकारी संगठनों द्वारा एक गैर सरकारी प्रक्रिया थी, जिसके बारे में देश के लोकतंत्र को पता नहीं था कि कौन सी संस्था देश के किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दे रही है। यह देश में अब तक गोपनीय तरीके से चल रहा था, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी ने 2017/2018 में अपनी संसदीय कार्य प्रणाली के माध्यम से सार्वजनिक करने का निर्णय लिया और सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया कि देश में इस चुनावी चंदे को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि देश के लोकतंत्र को भी पता चले कि किस संस्था ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया।
लेकिन अब कोई भी राजनीतिक दल अवैध तरीके से चंदा नहीं ले सकता है। अब उसे इलेक्टोरल बॉन्ड केवाईसी के जरिए चंदा देने और लेने की प्रक्रिया से गुजरना होगा आप कभी भी देख सकते हैं, अब कोई भी गैर-सरकारी संगठन, कोई भी राजनीतिक दलों के साथ बिना KYC के लेन-देन करता है तो अब इसे असंवैधानिक माना जाएगा और उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया जा सकता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इलेक्टोरल ब्रांड क्यों लेकर आए, जबकि उनकी पार्टी बीजेपी भी चंदा लेती है, जबकि बीजेपी को देश की सभी राजनीतिक पार्टियों से ज्यादा चंदा मिलता है, फिर पीएम मोदी ने इसे सार्वजनिक करने का फैसला क्यों किया और आज सुप्रीम कोर्ट ने भी इस इलेक्टोरल ब्रांड पर अपना फैसला सुनाते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कहा कि वह इसकी जानकारी चुनाव आयोग को दे और चुनाव आयोग पूरे देश में इसे सार्वजनिक रूप से पेश करेगा कि किसने किस राजनीतिक पार्टी को कितना चंदा दिया, नाम सहित।
अब देश की जनता जान चुकी है कि पीएम नरेंद्र मोदी की बीजेपी को किसने कितना चंदा दिया और अब विपक्षी पार्टियां इसे चुनावी मुद्दा बना रही हैं कि बीजेपी के पीएम नरेंद्र मोदी ने सबसे ज्यादा चंदा लिया है, जबकि बीजेपी ने अपना सारा चंदा बैंक केवाईसी के जरिए लिया है और वो भी संवैधानिक तरीके से, यही तो बीजेपी के पीएम मोदी चाहते हैं कि देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को संवैधानिक तरीके से चंदा लेना चाहिए, रकम कितनी भी बड़ी या छोटी क्यों न हो, देश के कानून को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन आपका लेन-देन सही और कानूनी होना चाहिए।
देश के राजनीतिक दलों को संवैधानिक और असंवैधानिक रूप से कई तरह से देश के अंदर और विदेश से, देश के गैर संगठनों से और देश व विदेश के असामाजिक तत्वों से भी चंदा मिलता था, ऐसा देश के प्रधानमंत्री मोदी सरकार कहती है इसीलिए वह देश में इलेक्टोरल बॉन्ड लेकर आई ताकि देश में शांति बनी रहे, अब अगर कोई दुश्मन देश भारत के राजनीतिक दलों को पैसा दान देता है और उस दान देने वाले संगठन भारत में अशांति फैलाना चाहता है, और चंदे के प्रतिबंध के दायरे में आकर कोई भी राजनीतिक दल देश की जनता में अशांति फैला रहा है और उनके द्वारा दान किए गए पैसे का गलत कामों में इस्तेमाल कर रहा है, तो देश में कितनी बड़ी घटना हो सकती है और देश को कितना बड़ा नुकसान हो सकता है।
अब इस इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए देश की जनता को पता चल जाएगा कि किसने किससे चंदा लिया है और कौन-कौन दानकर्ता हैं और उन पर कानूनी तौर पर अंकुश लगाया जा सकेगा, जबकि गलत मानसिकता रखने वाले संगठन इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए एक नंबर पर केवाईसी नहीं कराएंगे और गलत तरीके से किसी भी राजनीतिक दल को चंदा नही दें पाएगे। अगर किसी पार्टी को गलत मानसिकता के साथ गलत तरीके से चन्दा देता है तो पार्टियां मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में फंस जाएंगी और उनकी देश विरोधी गतिविधियां पकड़ी जाएंगी और उन्हें जेल जाना पड़ेगा। यह पीएम नरेंद्र मोदी का सबसे अच्छा विचार है जिसे आज विपक्षी दलों के नेता चुनावी मुद्दा बनाकर देश के लोकतंत्र को गुमराह कर रहे हैं। हम विपक्षी दलों से ज्यादा चंदा भाजपा को मिल रहा है। भाजपा देश में सबसे भ्रष्ट है, जबकि भाजपा पीएम मोदी भ्रष्टाचारियों को पकड़ने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड केवाईसी सिस्टम लेकर आई है, जो देश हित में है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक करने का आदेश दिया यह कोर्ट का फैसला सराहनीय कदम है, देश हित में।
PM मोदी ने ये बातें तमिलनाडु के न्यूज चैनल थांथी टीवी को दिए एक घंटे के इंटरव्यू में कहीं। प्रधानमंत्री से पूछा गया था कि क्या इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा पब्लिक होने से विपक्षी पार्टी को झटका लगा है? रविवार (31 मार्च) को भाजपा ने यूट्यूब चैनल पर इस इंटरव्यू को जारी किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, "मोदी ने इलेक्टोरल बॉन्ड की स्कीम बनाई तो पता चल पा रहा है कि कौन-सा पैसा किसने कब और किसको दिया। जो लोग डेटा पब्लिक होने को लेकर हल्ला मचा रहे हैं, उन्हें बाद में अफसोस होगा।"