मशीन में फंसकर विशेष पिछड़ी जनजाति के किशोर की हुई दर्दनाक मौत: बाल श्रम पर उठे सवाल

मशीन में फंसकर विशेष पिछड़ी जनजाति के किशोर की हुई दर्दनाक  मौत: 
बाल श्रम पर उठे सवाल
मशीन में फंसकर विशेष पिछड़ी जनजाति के किशोर की हुई दर्दनाक मौत: बाल श्रम पर उठे सवाल

धरसीवाँ

औद्योगिक क्षेत्र सिलतरा फेस वन स्थित गोविंद मिनरल फैक्ट्री में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जिसमें विशेष पिछड़ी संरक्षित जनजाति के 16 वर्षीय किशोर की मशीन में फंसने से दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना सोमवार और मंगलवार की रात के बीच हुई, जब किशोर भारी भरकम पत्थरों को मशीन में डालने का काम कर रहा था। 

 

इस घटना ने बाल श्रम के मुद्दे को एक बार फिर उजागर किया है, क्योंकि किशोरों से रात में भी काम कराया जा रहा था। स्थानीय पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन फैक्ट्री में कोई जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद नहीं था जो घटना के बारे में जानकारी दे सके। किशोरों ने बताया कि उन्हें आठ घंटे काम करने के बदले मात्र 350 रुपये मिलते हैं, जो इस तरह के खतरनाक काम के लिए बेहद कम है।

 

मृतक के चाचा ने बताया कि वह तीन बहनों का इकलौता भाई था, और इस घटना ने उनके माता-पिता से बुढ़ापे का सहारा छीन लिया है। तीन छोटी बहनों के लिए यह एक बड़ा सदमा है, क्योंकि उन्होंने अपना भाई खो दिया है। बिना लाइसेंस के उद्योग संचालित है, जांच में अधिकारियों को नहीं मिला कुछ भी दस्तावेज। 

 

 बाल श्रम अधिनियम के तहत इस मामले में उचित कार्यवाही की जाएगी। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि औद्योगिक क्षेत्रों में बाल श्रम की समस्या को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं से बचा जा सके।

इस मामले की जानकारी प्राप्त होते ही जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग रायपुर द्वारा अंतर्विभागीय दल बनाकर जिसमें श्रम विभाग, स्थानीय पुलिस और बचपन बचाओ आंदोलन के सदस्य मौके पर पहुंच कर वस्तुस्थिति से अवगत हुए। टीम द्वारा संबंधित थाना प्रभारी को को किशोर न्याय(बालकों के देखरेख और संरक्षण) अधिनियम , बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम, अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम एवं भारतीय न्याय संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज करने कहा गया है। यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है कि हमें बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना होगा। इस प्रकरण में आदिवासी विकास विभाग को भी संज्ञान लेकर संबंधित फैक्ट्री संचालक के विरुद्ध कार्यवाही प्रस्तावित किया जाना चाहिए।