हम इंसानों की पतन के कारण हमारे विलीन कुविचार और सात्विक खान- पान का ना होना और मलिन स्वभाव और मानवीय मानवता मे भेद भाव करना और अपनी धर्मों से भटक जाना।

Due to the downfall of us human beings, our merging malpractices and lack of sattvik food and drink and discriminating between filthy nature and human humanity and deviate from our religions.

हम इंसानों की पतन के कारण हमारे विलीन कुविचार और सात्विक खान- पान का ना होना और मलिन स्वभाव और मानवीय मानवता मे भेद भाव करना और अपनी  धर्मों से भटक जाना।

NBL,. 27/03/2022, Lokeshwer Prasad Verma,..Raipur CG: हम इंसान आज बाहर से तो तरक्की कर रहे हैं, लेकिन अंदर से खोखले होते जा रहे हैं, अब वह मानवीय स्वभाव नहीं रह गया है जो लोग कहते थे उनको अपने जीवन के स्वभाव मे लाते थे। जैसे बाप को बेटे व बेटे को बाप के द्वारा बुजुर्ग दादा व उनके अपने बड़ो की सदा सम्मान किया जाता था और उनके लिए गौरव की बात थी, और उन बड़ो की आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन मे उत्तसुक व सुखमय होते थे, पढ़े विस्तार से..। 

नई पीढ़ी के लोग बहुत से भारतीय संस्कारो को आज भूलते जा रहे हैं, और यह भारत के सर्व धर्मो के लोगों के परिवारो मे देखने को मिल ही जायेगी बहुत कम ही परिवार होंगे जो अपनी भारतीय व अपनी मूल धर्म संस्कारों को निभा रहे होंगे। और नियम धियम से चल रहे होंगे। 

वैसी आज खान पान भी बदल गया है, भोजन मे सत्त्व तत्व का कमी नजर आती है, नये नये उपकरणों से व गृहणी बिना स्नान व बिना पूजा पाठ के सीधा अपने घर के रसोईघर में भोजन बनाती है। न ही उस भोजन में प्यार होती है, न ही वह भोजन शुद्ध होते है। भोजन मे शुद्धता नही होने के कारण उनके घर परिवार के मति खराब हो जाते हैं और वाद विवाद होते ही रहते हैं उस अशुद्ध भोजन ग्रहण करने वाले परिवार मे। 

मन के विचारों मे भी आज शुद्धता नही है, आज हर कोई झूठ के प्रबल शक्ति मे फसे हुए हैं, और बिना सत्यता के वाहवाही बटोरने मे लगा रहता है, आज इंसान कोई न कोई छल कपट के उस मायाजाल में फसे हुए हैं। और यही कुविचार उनकी अंदर से अशांति पैदा करने के लिए अहम भूमिका निभा रहे हैं। और छटपटाहट की जिंदगि जीने के लिए मजबुर है। 

मानवीय स्वभाव को बदलने का पुरा प्रयास आज के इंसान कर रहे हैं, लेकिन उल्टा परिणाम देखने को मिल रही है, जो इंसान  भला करते है दूसरे इंसान के ऊपर वह इंसान भला करने वाले इंसान के लिए गड्ढे खोदने मे लग जाते है। और आप उनके ऊँगली पकड़ोगे तो वह आपके गला ही पकड़ लेते हैं, क्योकी वह आपको आहत पहुचा कर खुद आपके जगह मे विराजमान होना चाहते हैं। यही कुविचार आज लोगों के ऊपर किये गए उपकार की सही सत्यता नही होने के कारण मानवीय स्वभाव से मानवता को निभाने मे असमर्थ हो गया है, आज इंसान इसलिए मानवीय मानवता से भटक गए है। 

वैसे ही आज सर्व धर्म के लोगों मे सत्यता की कमी दिखाई देंगे आपको जो अपने धर्म की सत्यता को समझ नही पाते और आडम्बर मे फसकर अपने ही धर्म के सत्यता का मखोल देश दुनिया में मजाक बना रहे हैं, और उस ईश्वर के मूल सिद्धांत को न मानकर हम इंसान अपने ही सिद्धांत को लागू करने के लिए बाध्य हो जाते हैं, जबकि ईश्वर ने हम इंसानों को एक सुंदर सा पाठ बताई है, सादा जीवन उच्च विचार। जैसे बीज बोओगे वैसे ही फल की प्राप्ति होती है, जैसे कर्म करोगे वैसे ही उस कर्म फल की प्राप्ति होगी। फिर भी हम इंसान उलझे हुए हैं और ढोंग प्रपंच मे फसे हुए है, जबकि ईश्वर हम मनुष्य को अपने तुल्य सुंदर स्वरूप दिया उनके बावजुद हम कुरूप है।