VIDEO डॉक्टर को शहीदों की तरह लोगो ने नम आंखों से दी श्रद्धांजलि….अब तक 25 सौ से अधिक कोरोना मरीजों को जीवन दान देने वाले डॉक्टर खुद ही हार गये कोरोना की जंग….देखे अंतिम विदाई का विडियो…..

VIDEO डॉक्टर को शहीदों की तरह लोगो ने नम आंखों से दी श्रद्धांजलि….अब तक 25 सौ से अधिक कोरोना मरीजों को जीवन दान देने वाले डॉक्टर खुद ही हार गये कोरोना की जंग….देखे अंतिम विदाई का विडियो…..
अंतिम विदाई देता स्वास्थ्य विभाग व अन्य लोग
VIDEO डॉक्टर को शहीदों की तरह लोगो ने नम आंखों से दी श्रद्धांजलि….अब तक 25 सौ से अधिक कोरोना मरीजों को जीवन दान देने वाले डॉक्टर खुद ही हार गये कोरोना की जंग….देखे अंतिम विदाई का विडियो…..

बलौदाबाजार:- जिला कोविड सेंटर प्रभारी की सोमवार की हुई कोरोना से मौत ने लोगों को स्तब्ध करके रख दिया।शोक में डूबे मेडिकल स्टाफ व जिले वसियों ने डॉ शैलेन्द्र साहू को श्रंद्धाजलि अर्पित कर हम आंखों से विदाई दिया।

जानकारी के अनुसार रविवार को कोविड सेंटर प्रभारी 35 वर्षीय डॉ शैलेंद्र साहू की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थीं जिसके बाद से डॉ साहू ने स्टाफ को जानकारी दी और डिस्टर्ब न करने को कहा और वह हॉस्पिटल में आराम करने लग गए थे।स्वास्थ्य बिगड़ने के सुबह तक उनकी मौत हो चुकी थी । डॉ साहू ने कोरोना वैक्सीन की दोनो डोज लगवा लिया था। 25 सौ से भी अधिक कोरोना मरीजों को स्वास्थ्य कर चुके डॉ शैलेन्द्र साहू सोमवार की सुबह अपनी जिंदगी की जंग हर गए।डॉ साहू के मौत के खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग में मातम छा गया कोविड सेंटर में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी।

 

अब तक 25 सौ से अधिक कोरोना मरीज़ों की किया स्वास्थ्य,15 सौ थे गंभीर फेफडों के संक्रमण से ग्रसित

08 जून 2020 को अपने आरंभ से ही डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल बलौदाबाजार क्षेत्र में अपने जैसा एक मात्र कोविड के गंभीर मरीजों के लिए समर्पित गहन चिकित्सा संस्थान हैं। प्रारंभ से आज तक इस अस्पताल ने डॉ शैलेन्द्र साहू के प्रभार में 2500 से अधिक मरीजों को सेवा प्रदान की है। जिनमें लगभग 1500 मरीज गंभीर फेफडों के संक्रमण से ग्रसित थे। 2021 में आई कोविड लहर से लड़ने के लिए 73 बिस्तर के इस अस्पताल ने 250 से अधिक गंभीर मरीजों के लिए अपने द्वार खोल लिए है। गंभीर कोविड मरीजों के इलाज के साथ-साथ यह अस्पताल निपूर्ण है, अति गंभीर बीमारी जैसे कि स्टेज-4 कैंसर, जटिल ऑपरेशनों के बाद और हृदय रोग के मरीज जो कोविड पॉजीटिव है, उनके इलाज में समय की मांग को देखते हुए कोविड अस्पताल बलौदाबाजार ने स्टेराईल एवं एसैप्टिक आई.सी.यू. का परिचालन भी शुरू किया ऐसे मरीजों के लिए जो कि कोविड निगेटिव तो हो चुके थे पर उन्हे लंबे समय तक गहन चिकित्सा की आवश्यकता भी थी।

 

मेहनत व सीएचएमओ के सहयोग से 70  से 300 बिस्तर का किया विस्तार

इस कोरोना संकट में, जहां सब लोग "घर में रहे सुरक्षित रहें" बोलते आ रहे है वहां पर इस कोरोना महामारी संकट में फ्रंट लाइन वर्कर बनकर डॉ साहू को काम करते देखना इनके परिवार के लिए भी आसान नही था, फिर भी वो उनकी हमेशा से ही चिकित्सक बनकर समाज की सेवा करने की इनके जज्बे को देखते हुए कभी भी इन्हे ये फ्रंट लाइन वर्कर बनकर काम न करने का प्रेशर नही दिया। फिर भी हर दिन इनके घर वालों को इनके लिए वैसे ही चिंता बनी रहती है, जैसे कि अपना बेटा,भाई और पति के लिए होती है जो कि सरहद में अपने देश के लिए जान दांव पर लगाकर लड़ाई/जंग लड़ रहा हो।

 

मरीजों के इलाज के लिए हमेशा रहते थे तैयार

8जून 2020 को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बलौदाबाजार प्रभारी का पद ग्रहण करते ही इन्होने निर्णय लिया कि हम अपने जिले के एक भी मरीज को यहां वहां भटकने नही देगें और अपने जिले में ही एक सर्वसुविधा युक्त डेडिकेटेड कोविड अस्पताल का संचालन करेगें और फिर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. खेमराज सोनवानी सर के पूर्ण सहयोग से बहुत ही कम समय में एक मॉडर्न एडवांस 70 बिस्तरों वाला हॉस्पिटल बनकर तैयार हो गया, जो आज 300 मरीजों को भी रखने की क्षमता रखता है। जंहा अब तक जिले के 3000 से भी ज्यादा मरीज रखे जा चुके है।आज इनके अस्पताल से ठीक हुआ हर मरीज जब भी यहां से पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर घर लौटता है। तब यह बोलते हुए जाता है कि निजी अस्पताल की तरह ही यहां स्वच्छता है, हर मरीजों के लिए यहां,स्वच्छ वातावरण के साथ स्वच्छ भोजन, नाश्ता, पीने का पानी, नहाने के लिए गर्म पानी तक की व्यवस्था की गई है। ऐसा बिल्कुल भी एहसास नही होता कि हम किसी सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे है। मरीजों का कहना है कि डॉ. शैलेन्द्र साहू की तरह ही उनक टीम भी उनके मार्गदर्शन में 24 घण्टे मरीजों की सेवा में लगी रहती है। यहां का हर स्टाफ बहुत ही विनम्र और आदर के साथ मरीजों की सेवा में तत्पर है। प्रभारी पद पर कार्यरत होने के बाद भी इन्होने अन्य प्रभारियों की तरह ना रहते हुए, हर गंभीर मरीज का इलाज ये स्वयं उपस्थित होकर निडरता के साथ करते थे। गंभीर अवस्था में ऑक्सीजन लेवल कम होने पर मरीज को तत्काल बिना देरी किए इनट्यूबेशन की आवश्यकता होती है जिस प्रक्रिया के दौरान कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा चिकित्सक के लिए 100 गुना तक बढ़ जाता है फिर भी इन्होने आगे आकर हर गंभीर मरीज के इलाज के लिए अपनी टीम के साथ तत्पर इलाज शुरू कर देते हैं। 

कोरोना काल मे आगे की पढ़ाई न कर मरीज़ों की सेवा करना समझा जरूरी-

ये आज तक निडर होकर 24 घंटे अपने मरीजों की सेवा में बिना छुट्टी लिए, बिना परिवार के साथ त्यौहार मनाए लगे हुए है। इनका एक मात्र लक्ष्य अपने मरीजो की जान बचाकर उन्हे उनके परिवार तक सुरक्षित पहुंचाना था। मात्र अपने एमबीबीएस डिग्री और कुछ साल के अपने अनुभवों से ही ऐसे बहुत मरीजों को मौत के मुंह से भी सुरक्षित निकाल चुके थे। ये एक ऐसे चिकित्सक थे जो समाज में अपनी एक अलग पहचान बना चुके थे और निडर होकर अपनी सेवायें दे रहे थे।उनका भी सपना सब की तरह ही पीजी डिग्री लेकर सर्जन बनकर समाज की सेवा करने का था। लेकिन फिर भी उन्होने इस संकट काल में अपने सपनों को त्याग कर अपने पुरे ज्ञान और अनुभव को इस जिम्मेदारी में लगा देने का सोचा। 'नयाभारत' सलाम करता हैं ऐसे चिकित्सक को जो पूरी ईमानदारी और निडरता के साथ दिन-रात एक कर अपनी सेवायें दे रहे थे।इन्हे अपने माता-पिता, बडे़ भाई बहन का सहयोग हमेशा से मिलता रहा है, वे इन्हे हमेशा से ही सफल चिकित्सक बनने के लिए पूरा योगदान देते आये है। इनकी पत्नी भी सिम्स मेडिकल कॉलेज बिलासपुर छ.ग. में एक चिकित्सक के पद पर अपनी सेवा दे रही है।

डॉक्टरों पर भरोसा-स्टाफ रहते थे निडर

स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत स्टाफ योगेश कुमार ने बताया कि डॉक्टर शैलेंद्र साहू को हमेशा हम यही बात बोलते थे कि कोविड संक्रमण अगर हमको हुआ तो आप तो हमे बचा लेंगें लेकिन हमको परिवार की चिंता रहती है। हमको तो आप संक्रमण से बचा ही लेंगें।

93 दिन के लंबे समय बाद स्वास्थ्य हुआ मुंशीराम

डेडिकेटेड कोविड अस्पताल के सफर में कुछ चुनिंदा केस जो डॉ शैलेंद्र साहू के प्रभार में उम्र ढलते पड़ाव में मरीज मुंशीराम कोविड-19 की चपेट मे आ गए। जब वह अस्पताल पहुचे तब उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर मात्र 30 प्रतिशत था। उस समय के प्रवृत्ति के विपरीत उनकी स्थिति में सुधार काफी धीमा परन्तु संतोष जनक था। लगभग डेढ़ महीने के बाद मुंशीराम कोविड से मुक्त तो थे परन्तु उन्हे अभी भी तेज प्रवाह में ऑक्सीजन की आवश्यकता थी और वे बिस्तर पर थे। ऐसी दशा में काम आया हमार स्टेराईल आई.सी.यू. जहां मुंशीराम को 24x7 गहन अध्ययन के बीच रखा गया और पुरजोर कसरत व फिजियोथैरेपी कराई गई। राज्य स्तर पर विषेशज्ञों से चर्चा कर मुंशीराम को ''कोविड लंग'' का मरीज घोषित किया गया- अर्थात ऐसे फेफडे़ जो बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन पहुचाने में असमर्थ है। मुंशीराम पुनः खडे़ हो पाए एवं आज वह पूर्ण रूप से स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं एवं प्रति सप्ताह अस्पताल द्वारा चलाए जाने वाले फॉलो-अप क्लीनिक में अपनी हाजिरी लगाने अपने स्कुटर पर आते है। यह थी मुंशीराम की ''93''दिन की लंबी कहानी, छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक कोविड मरीज का अस्पताल प्रवास।

 

5 दिनों से बेहोश कोविड मरीज बेदली बाई ने खोली आंखें

एक और मरीज, बेदली बाइर्, 88 वर्षीय उच्च रक्तचाप की मरीज जो पिछले कई वर्षो से बिस्तर पर थी। 05 दिनों से बेहोश, कोविड पॉजीटिव बेदली बाई जब कोविड अस्पताल में आई तब उनका ऑक्सीजन स्तर मात्र 30 प्रतिशत था, हृदय गती 28 एवं ब्लड प्रेशर इतना कम की मशीन भी नाप न पाए। परिवार वाले उनकी सांसे रूकने का इंतेजार कर रहे थे, पर उम्मीद नही छोड़ी थी। उन्हे तुरंत आई.सी.यू. में भर्ती किया गया, नाक से पाईप के रास्ते खाना खिलाया गया और उनके लिए मशीन और जीवन रक्षक दवाओं का ऐसा ताना बाना बुना गया कि जिससे उनके दिल की धड़कनों को मजबुत करने वाली दवाईयां चौबीसों घंटे सतत रूप से दी जा सके। 05 दिनों बाद बेदलीबाई ने आंखे खोली और इसके साथ नई उम्मीदों का द्वार खुल गया। अस्पताल का प्रत्येक स्टाफ अब बेदली बाई की सेवा में जुट गया और परिणाम स्वरूप एक महीने बाद ताकत आ चुकी थी कि वे अब स्टाफ को डांटने और झंझोड़ने से भी नही चूकती थी। जो मरणासन्न आई थी, वो बेदली बाई आज घर में पूर्णरूप से स्वस्थ है और अपने पौत्र-परपौत्र के साथ जीवन का आनंद ले रही है। 

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