CG तहसीलदार का रैप सॉन्ग VIDEO: दिन में तहसीलदार और रात में रैपर.... ऐसे सिविल सर्वेंट जो बदलने में लगे नक्सल प्रभावित जिले की छवि.... रैप सॉन्ग के CMO भी हुए मुरीद.... देखें VIDEO भरेगा हिम्मत और जुनून.....

CG तहसीलदार का रैप सॉन्ग VIDEO: दिन में तहसीलदार और रात में रैपर.... ऐसे सिविल सर्वेंट जो बदलने में लगे नक्सल प्रभावित जिले की छवि.... रैप सॉन्ग के CMO भी हुए मुरीद.... देखें VIDEO भरेगा हिम्मत और जुनून.....

डेस्क। जब कोई 'दंतेवाड़ा' सुनता है, तो वे तुरंत एक खतरनाक नक्सल-माओवादी क्षेत्र के बारे में सोचते हैं। शहर के बारे में इस धारणा को एक युवा अधिकारी बदलना चाहते है। तहसीलदार का एक रैप सॉन्ग वायरल हो रहा है। 27 साल के तहसीलदार सौरभ कश्यप एक अभियान में लगे हैं। वह दंतेवाड़ा की छवि को बदलने का है। दशकों से जिसे लोग नक्सलवाद, नक्सली हमले में लोगों की मौत और 21वीं सदी में भी विकास की राह देख रहे इलाके के तौर पर जानते हैं। उसे समाज की मुख्य धारा में लाना है। सौरभ कश्यप अभी दंतेवाड़ा जिले में तहसीलदार के पद पर पदस्थ हैं।

 

सौरभ ने साल 2015 में भिलाई के शंकराचार्य कॉलेज से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। लेकिन, उन्होंने इंडस्ट्री में जाने की जगह पब्लिक सर्विस में जाने का निर्णय लिया और तैयारी शुरू कर दिए। हालांकि, इसके पीछे उनके परिवार का पॉलिटिकल बैकग्राउंड है जिससे प्रभावित होकर वह पब्लिक सर्विस में जाने का मन बनाए। नयाभारत को मिली जानकारी के मुताबिक वे कहते हैं, 'मैंने तय किया था कि मुझे पब्लिक सर्वेंट ही बनना है। बचपन से ही मैं अपने पिता के साथ अलग-अलग जगहों पर लोगों के बीच और सभाओं में जाता रहा हूं। 

 

 

 

सौरभ आगे कहते है की मैंने उन्हें हमेशा से सामान्य आदमियों को ऊपर उठाते हुए देखा है। मुझे याद है कि मेरा ज्यादातर जन्मदिन अनाथालय और बुजुर्गों के शेल्टर हाउस में ही मनता था। ये सब मेरे दिमाग में बचपन से ही बैठ गया था और मैंने निर्णय कर लिया था कि मैं इन सबके लिए ही हूं। सिविल सर्विस एक मात्र जरिया था, जिससे मैं लोगों से कनेक्ट हो सकता था। मैं हमेशा से लोगों से इंटरेक्ट होना चाहता था। उन्हें सुनना चाहता था और उनके लिए काम करना चाहता था।

 

 

 

वह कहते हैं, युवा सरकारी अधिकारी अपने काम करने के तरीके से समाज को बदलते हुए नई दिशा दिखा रहे हैं। वे काम करने का तरीका बदल रहे हैं। वे सरकारी बाबुओं की तरह काम करते हुए या फिर कुर्सियों से चिपक कर बैठना नहीं चाहते हैं और अपने पैशन को लेकर आगे बढ़ते हैं। वे 9 से 5 वाले दकियानूसी सिस्टम में खुद को नहीं ढ़ालना चाहते हैं। नयाभारत को मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने कहा कि उनके पास जिंदगी को लेकर एक मकसद होता है और वह उसे पूरा करने में खुद को संतुष्ट महसूस करते हैं।

 

 

 

म्यूजिक को लेकर उनका प्रेम नया नहीं है। कॉलेज के दिनों से ही इससे उनका विशेष लगाव है। लेकिन, हाल ही में यह लगाव गहरा हो गया, जिससे उन्हें अपने नेटिव स्थान को बदलने में मदद मिली। हालांकि, यह आसान टास्क भी नहीं था। शुरुआत में वीडियोग्राफी को लेकर मैं उत्साहित रहता था। कविता और गाने लिखता था। नयाभारत को मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने कहा कि ब्लॉग लिखता था। लेकिन, कभी भी उससे पहचान नहीं बन पाई। हालांकि, हमें इंटरनेट का शुक्रगुजार होना चाहिए कि वहां से कोई भी अपने टैलेंट को अलग-अलग प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों तक पहुंचा सकता है। साल 2011-12 के करीब मैंने हिप-हॉप म्यूजिक लिखना शुरू कर दिया। 

 

चीफ मिनिस्टर ऑफिस के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए कहा गया है कि अमंत्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधं।अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ:॥"कोई अक्षर ऐसा नहीं जिससे मंत्र न शुरु होता हो, कोई ऐसा मूल नहीं,जिससे कोई औषधि न बने। हर व्यक्ति में योग्यता होती है,उसे कम ही लोग पहचान पाते हैं।"Well done young man.

 


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