CG Ministers Oath Ceremony : ओपी चौधरी का कलेक्टर से लेकर मंत्री तक का सफर हुआ पूरा, राज्यपाल ने दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ, जानिए सियासत के बाजीगर ओपी चौधरी की करियर जर्नी.....
आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति का दामन थामने वाले ओपी चौधरी ने रायगढ़ विधानसभा सीट से रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। ओपी चौधरी ने भी राजभवन में राज्यपाल के सामने मंत्रिपद की शपथ ले ली है। चुनाव प्रचार के दौरान गृह मंत्री अमित शाह के बड़ा आदमी बनाए जाने वाले बयान को सार्थक करते हुए ओपी चौधरी को विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है।




रायपुर। आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति का दामन थामने वाले ओपी चौधरी ने रायगढ़ विधानसभा सीट से रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। ओपी चौधरी ने भी राजभवन में राज्यपाल के सामने मंत्रिपद की शपथ ले ली है। चुनाव प्रचार के दौरान गृह मंत्री अमित शाह के बड़ा आदमी बनाए जाने वाले बयान को सार्थक करते हुए ओपी चौधरी को विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है।
ओपी चौधरी की करियर जर्नी
ओपी चौधरी के पिता दीनानाथ चौधरी एक शिक्षक थे। जब ओपी महज दूसरी कक्षा में थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। उन्होंने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा अपने पैतृक गांव से ही पूरी की। इसके बाद उन्होंने भिलाई से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और फिर सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गए। ओपी चौधरी ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा को क्लीयर कर लिया। बता दें कि ओपी रायपुर के कलेक्टर रह चुके हैं। साल 2018 में वो खरसिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
ओपी चौधरी की उपलब्धियां
ओपी चौधरी रायगढ़ जिले के बायंग गांव के रहने वाले हैं। इस जिले से पहली बार कोई शख्स आईएएस बना और वो थे ओपी चौधरी। अपनी 13 साल की सर्विस में उन्होंने छत्तीसगढ़ में कई योजनाओं पर काम किया, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई और उसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया। राजधानी रायपुर में स्थित प्रयास स्कूल ओपी चौधरी की ही देना मानी जाती है। ये इलाका नक्सल प्रभावित है। बावजूद इस इलाके में उच्च प्रतियोगी परीक्षाओं की पढ़ाई के साथ बच्चों को रहने की भी सुविधा दी जाती है। दंतेवाड़ा में कलेक्टर के पद पर तैनाती के बाद उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाके को एजुकेशन हम में बदल दिया। इसके लिए साल 2011-12 में उन्हें प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
हार का सामना करना पड़ा
13 साल की सर्विस के बाद उन्होंने 2018 में आईएएस की सर्विस से इस्तीफा देकर भाजपा में प्रवेश कर लिया। उन्होंने भाजपा की टिकट से खरसिया से विधानसभा चुनाव लड़ा पर उमेश पटेल से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। तब कांग्रेस के प्रत्याशी उमेश पटेल ने ओपी चौधरी को 16,967 मतों से हराया था। उमेश पटेल को 94,201 वोट मिले थे, वहीं ओपी चौधरी को 77,234 वोटों से संतुष्ट होना पड़ा था। हार के बाद भी ओपी चौधरी लगातार सक्रिय रहे थे।
2023 के विधानसभा चुनाव में भारी मतों से की जीत हासिल
2023 के विधानसभा चुनाव में ओपी चौधरी ने जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस के प्रकाश शक्राजीत नायक को हराकर 64 हजार 443 वोटों के भारी अंतराल से जीत अपने नाम की। ओम प्रकाश चौधरी को 129134 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक को 64691 वोट मिले थे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी रायगढ़ में ओपी चौधरी के पक्ष में रैली निकाली। साथ ही उन्होंने ओपी को चुनाव जितवाने की अपील करते हुए कहा था कि आप इन्हें विधायक बना कर भेजिए मैं इन्हें बड़ा आदमी बनाऊंगा। जिसका असर हुआ। महतारी वंदन योजना का भी असर हुआ। भाजपा कार्यकर्ताओं ने महतारी वंदन योजना के फॉर्म घर घर जाकर भरवाए। युवा चेहरा लोगों को पसंद आया। ओपी ने अपनी प्राथमिकता में युवाओं को रखा था। इंफ्रास्टक्चर विकास व शिक्षा सुविधाओं में बढ़ोतरी का वादा काम आया। आज राजभवन में भाजपा के नौ विधायकों ने मंत्रीपद की शपथ ली है। जिसमें से एक नाम ओपी चौधरी का भी है।