CG हाईकोर्ट ब्रेकिंग : हाईकोर्ट ने वन विभाग के सचिव, CCF, DFO को जारी किया नोटिस…सीनियर अफसर ने नीचे के कर्मचारी को किया सस्पेंड….फिर हुआ ये…जाने पूरा मामला…

CG High Court Breaking: High Court issues notice to Secretary, Forest Department, CCF, DFO वनरक्षक के निलंबन को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सचिव वन विभाग, सीसीएफ और डीएफओ के साथ-साथ मुख्य वन संरक्षक को नोटिस जारी किया है।

CG हाईकोर्ट ब्रेकिंग : हाईकोर्ट ने वन विभाग के सचिव, CCF, DFO को जारी किया नोटिस…सीनियर अफसर ने नीचे के कर्मचारी को किया सस्पेंड….फिर हुआ ये…जाने पूरा मामला…
CG हाईकोर्ट ब्रेकिंग : हाईकोर्ट ने वन विभाग के सचिव, CCF, DFO को जारी किया नोटिस…सीनियर अफसर ने नीचे के कर्मचारी को किया सस्पेंड….फिर हुआ ये…जाने पूरा मामला…

CG High Court Breaking: High Court issues notice to Secretary, Forest Department, CCF, DFO

रायपुर 17 सितंबर 2022। वनरक्षक के निलंबन को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सचिव वन विभाग, सीसीएफ और डीएफओ के साथ-साथ मुख्य वन संरक्षक को नोटिस जारी किया है। वनरक्षक प्रियंका रैपिड एक्शन फोर्स उड़नदस्ता दुर्ग के पद पर मुख्य वनसंरक्षक दुर्ग कार्यालय में पदस्थ हैं। 4 अगस्त को अनुपस्थिति का आरोप लगाते हुए इनको निलम्बित कर दिया। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय राजनांदगाँव वनमण्डल कर दिया गया। सस्पेंशन आदेश से नाराज होकर अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी एवं सन्दीप सिंह के माध्यम से उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की। याचिका में यह उल्लेख किया गया कि वनरक्षक का नियुक्तिकर्ता अधिकारी डीएफओ होता है और वर्तमान में इन्हें सीसीएफ कार्यालय में संलग्न किया गया था। यदि इनके खिलाफ कोई भी कार्यवाही करनी है, तो इसका अधिकार डीएफओ को हैं, न कि सीसीएफ को।

 

साथ ही याचिका में यह भी उल्लेखित किया गया कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियन्त्रण व अपील) नियम, 1966 की अनुसूची में यह उल्लेख किया गया है। कि वनरक्षक के लिए नियुक्तिकर्ता अधिकारी डीएफओ होगा एवं कोई भी कार्यवाही के लिए डीएफओ ही प्राधिकृत अधिकारी है तथा सीसीएफ उसका अपीलीय अधिकारी होता है। चूँकि याचिकाकर्ता के मामले में अपीलीय अधिकारी ने आदेश पारित किया है, इसलिए उपरोक्त नियम-9 के अन्तर्गत, जिसमें कि अपील का प्रावधान है। याचिकाकर्ता के मामले में अपील नही होगी। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि सीसीएफ याचिकाकर्ता से दुर्भावना रखते हैं और उन्हें बार-बार परेशान किया जा रहा है और जो आरोप लगाए हैं कि वह कार्यालय से अनुपस्थित रहती हैं, पूर्णतः गलत है।

 

चूँकि याचिकाकर्ता रैपिड एक्शन फोर्स उड़नदस्ता विंग में कार्यरत हैं, इसलिए ज्यादातर उनकी उपस्थिति फील्ड में रहती है साथ ही साथ जुलाई माह में उन्हें अनुपस्थित बताया जा रहा है, जबकि जुलाई माह के पूर्ण वेतन इन्हें दिया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि वह अनुपस्थित नहीं रही हैं। चूँकि याचिकाकर्ता ने सीसीएफ के खिलाफ दुर्भावना का आरोप भी लगाया है, इसलिए उन्हें नाम से भी पार्टी बनाया गया है।

 

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि पूर्व के एक मामले में, जिसमें कि कमिश्नर बिलासपुर ने तृतीय वर्ग कर्मचारी को निलम्बित कर दिया था, उसने उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी और यह उल्लेख किया था कि शासन की नीति अनुसार चतुर्थ एवं तृतीयवर्ग के कर्मचारी के लिए किसी भी कार्यवाही का अधिकार व शक्ति कलेक्टर को दिए गए हैं, न कि कमिश्नर राजस्व को माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 27/03/2015 याचिका क्र. डब्लूपीएस-6590 / 2014 में यह उल्लेख किया था कि कमिश्नर राजस्व को चतुर्थ एवं तृतीयवर्ग के कर्मचारियों पर कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है।

 

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि राज्य शासन के सर्कुलर दिनांक 23/11/2010 जो कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किया गया है, कि ऐसे शासकीय सेवक को जिसके विरूद्ध विभागीय जाँच की जाना हो, सामान्यतः निलम्बित नहीं किया जाना चाहिए। जब आरोप गम्भीर स्वरूप के हो या जब प्रशासनिक दृष्टि से या अन्य सुनिश्चित कारणों से ऐस करना आवश्यक / अपरिहार्य हो, तभी उसे निलम्बित किया जाना चाहिए। यदि जाँच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना है, तो उसे निलम्बन के बदले अन्य स्थान पर स्थानान्तरित करने पर विचार किया जाना चाहिए।

 

मामले की सुनवाई छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की सिंगल बेन्च में हुई। उच्च न्यायालय की सिंगल बेन्च ने अपने आदेश दिनांक 16/08/ 2022 में यह उल्लेख किया कि चूँकि सीसीएफ के ऊपर पीसीसीएफ एवं सचिव वन विभाग हैं, इसलिए उनके समक्ष अपील की जा सकती है। इसलिए अल्टरनेटिव रेमेडी होने के कारण याचिका चलने के योग्य नहीं है, को खारीज किया जाता है। एवं याचिकाकर्ता को छूट दी जाती है कि वह पीसीसीएफ के समक्ष अपील करती हैं, तो यह अपील छः सप्ताह में निराकृत कर दी जावे।

 

उक्त सिंगल बेन्च के आदेश से क्षुब्ध होकर याचिकाकर्ती ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी एवं सन्दीप सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट की डिविजन बेन्च के समक्ष रिट अपील पेश की अपील में यह उल्लेख किया गया कि चूँकि सीसीएफ को वनरक्षक के मामले में कार्यवाही करने का कोई अधिकार नहीं है, जो कि डीएफओ के पास है, इसलिए सम्पूर्ण कार्यवाही अनुचित है छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की डिविजन बेन्च ने याचिका में प्रतिवादी विभाग मुख्य वनसंरक्षक (सीसीएफ) दुर्ग, डीएफओ दुर्ग एवं बी.पी. सिंह (मुख्य वनसंरक्षक, दुर्ग) को नोटिस जारी करते हुए पाँच सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।