शासकीय राघवेन्द्र राव पीजी साइंस महाविद्यालय बिलासपुर को स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम कॉलेज बनाए जानें पर रोज हो रहा विरोध लगातार नाराजगी जताते हुए छात्र छात्राएं चला रहे हस्ताक्षर अभियान

शासकीय राघवेन्द्र राव पीजी साइंस महाविद्यालय बिलासपुर को स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम कॉलेज बनाए जानें पर रोज हो रहा विरोध लगातार नाराजगी जताते हुए छात्र छात्राएं चला रहे हस्ताक्षर अभियान
शासकीय राघवेन्द्र राव पीजी साइंस महाविद्यालय बिलासपुर को स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम कॉलेज बनाए जानें पर रोज हो रहा विरोध लगातार नाराजगी जताते हुए छात्र छात्राएं चला रहे हस्ताक्षर अभियान

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित शासकीय राघवेंद्र राव पीजी साइंस कॉलेज के छात्र 1 सितंबर से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। कॉलेज परिसर में रोज नारेबाजी कर विरोध किया जा रहा है। हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है। छात्र स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम कॉलेज की स्थापना पर लगातार नाराजगी जताते हुए विरोध कर रहे हैं। दरअसल राज्य सरकार ने प्रदेश के जिन 10 कॉलेजों को अंग्रेजी माध्यम बनाने का फैसला लिया है,उसमें बिलासपुर का एकमात्र साइंस कॉलेज, शासकीय राघवेंद्र राव पीजी साइंस कॉलेज भी शामिल है। संभाग ही नहीं प्रदेश भर में अपनी अलग पहचान बनाने वाले इस कॉलेज में एडमिशन के लिए मारामारी की स्थिति रहती है। ऐसे में एडमिशन होने के बाद इसे अंग्रेजी माध्यम बनाने का स्टूडेंट्स विरोध कर रहे हैं। पहली से लेकर 12वीं तक हिंदी माध्यम में पढ़ाई करने वाले छात्रों का कहना है कि कॉलेज में अचानक से अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करने में दिक्कतें होंगी और उनके करियर पर सीधा असर पड़ेगा। यही वजह है कि कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम बनाने का विरोध किया जा रहा है।

एडमिशन होने के बाद अंग्रेजी माध्यम में बदला कॉलेज, दुविधा में स्टूडेंट्स

कॉलेज में एडमिशन होने के बाद अब स्टूडेंट्स दुविधा में पड़ गए हैं। इसकी वजह से उन्हें आंदोलन और विरोध का रास्ता चुनना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि साइंस कॉलेज में इसलिए एडमिशन लिया है कि यहां कि पढ़ाई बेहतर है, लेकिन अब कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम बनाने के साथ ही उन्हें कॉलेज छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है। उन्हें च्वाइस दिया जा रहा है कि अंग्रेजी माध्यम नहीं पढ़ना है तो उन्हें दूसरे कॉलेजों में दाखिला दिलाया जाएगा। ऐसे में सिर्फ हिंदी माध्यम की पढ़ाई के नाम से उन्हें कॉलेज बदलना पड़ेगा। मगर स्टूडेंट इसके लिए कॉलेज छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।

एक सितंबर से लगातार आंदोलन जारी

कॉलेज के छात्र छात्राएं बता रहे है कि सरकार का आदेश जारी होने के बाद से एक सितंबर से आंदोलन किया जा रहा है। कॉलेज परिसर में रोज नारेबाजी कर विरोध हो रहा है। हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है। स्टूडेंट्स लगातार चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। आने वाले समय में उग्र आंदोलन भी किया जाएगा। कॉलेज बंद और चक्काजाम करने के लिए भी बाध्य होंगे।

सरकार ने स्टूडेंट्स और टीचिंग स्टाफ से मांगी सहमति

इधर कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि सरकार ने स्टूडेंट्स और टीचिंग स्टाफ से भी सहमति मांगी है। उन्होंने सरकार को पूरी जानकारी भेज दी है। आगे शासन के आदेश का इंतजार है। प्राचार्य एसआर कमलेश ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार प्रथम वर्ष के छात्रों को अंग्रेजी में पढ़ाई करनी होगी। परीक्षा भी अंग्रेजी में ही देनी होगी। जो छात्र अंग्रेजी में नहीं पढ़ सकते हैं, वे अपनी सहमति पत्र दे दें, उन्हें दूसरे शासकीय कॉलेजों में प्रवेश दिलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि कॉलेज में प्रथम वर्ष की 775 सीटों में प्रवेश हो चुका है। सभी सीटें फुल हो गई हैं। इसके अलावा यूजी द्वितीय, तृतीय वर्ष और पीजी अंतिम वर्ष में 1550 छात्र अध्ययनरत हैं। प्राचार्य ने कहा कि स्टूडेंट्स के विरोध की जानकारी भी शासन को भेजी गई है। इस मसले पर शासन स्तर पर ही फैसला हो सकेगा।