बीबीसी हिन्दी: ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर बनारस के आम मुसलमानों से जानना चाहा कि पूरे मसले पर उनकी क्या राय है?
BBC Hindi: On the Gyanvapi Masjid case, asked the common Muslims of Banaras




NBL, 18/05/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. BBC Hindi: On the Gyanvapi Masjid case, asked the common Muslims of Banaras to know what is their opinion on the whole issue?
काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद के पिछले हिस्से में स्थित देवी शृंगार गौरी के नियमित पूजा-अर्चना की अनुमति की याचिका से शुरू हुआ मसला, कोर्ट के आदेश के बाद हुए सर्वे में मस्जिद के वज़ूख़ाने में शिवलिंग मिलने के दावे तक जा पहुँचा है, पढ़े विस्तार से..
हिन्दू पक्ष का कहना है कि यह शिवलिंग ही है. वहीं मुस्लिम पक्ष इसे वज़ूख़ाने में लगा फ़व्वारा बता रहे हैं. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निचली कोर्ट की कार्यवाही पर स्टे लगा दिया है.
बीबीसी हिन्दी ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर बनारस के आम मुसलमानों से जानना चाहा कि पूरे मसले पर उनकी क्या राय है?..
नदेसर इलाक़े में पिछले 14 सालों से गाड़ियों के कलपुर्जों का कारोबार कर रहे मोहम्मद अली इस पूरे मसले को राजनीति क़रार देते हैं.
वो कहते हैं,"जब 1991 में पूजा या इबादत स्थल को लेकर क़ानून बनाया जा चुका है तो इस तरह के सर्वे का क्या मतलब है. या तो क़ानून नहीं बनाना चाहिए था. ये तो ख़ुद कोर्ट ही क़ानून के ख़िलाफ़ काम कर रहा है. "
"जहां तक शिवलिंग मिलने की बात है तो मैंने वहां बीसों बार नमाज़ पढ़ी है और वज़ू बनाया है. वहां फ़व्वावरा है. आप धरहरा मस्जिद चले जाइये, खोआ मंडी के बग़ल में भी वैसा ही फ़व्वारा है. दिल्ली के जामा मस्जिद में जो हौज़ हैं वहाँ भी ऐसा ही फ़व्वारा है."
इसी इलाक़े के एक दूसरे ऑटो पार्ट्स कारोबारी मंसूर क़ासिम कहते हैं कि मंदिर-मस्जिद मसले का व्यापार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. बक़ौल मंसूर चौक गौदौलिया के दुकानदारों का व्यापार बाधित हुआ है. बाहर से आने वाले व्यापारी नहीं आ रहे हैं.
मंसूर कहते हैं,"कोर्ट का जो भी आदेश होगा वो हम मानेंगे. बाबरी मस्जिद को लेकर जो भी आदेश हुआ माना गया. मैं आपसे ये सवाल करता हूं कि ये कहां तक न्याायोचित है?"
"अब मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है. वास्तुकला में घर के इंटीरियर में इस तरह के शिवलिंग के आकार की बहुत सी चीज़ें मिलती हैं. तो क्या इन सब चीज़ों को शिवलिंग मान लिया जाए."
दो दशक से हार्डवेयर की दुकान चला कर अपने परिवार का पेट पाल रहे रोमी कहते हैं कि देश को मस्जिद या मंदिर की नहीं नौकरी व कारोबार की ज़रूरत है.
सरकार पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए उन्होंने कहा,"सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिए इस तरह के मसले पैदा कर रही है. मंहगाई की तरफ़ से पब्लिक का ध्यान हटाना ही इसका उद्देश्य है. सरकार हिन्दू और मुसलमान के बीच दरार पैदा करना चाह रही है. व्याापार का हाल आपके सामने है. जहां तक ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने की बात है वो ग़लत है, वो एक फ़व्वारा है."
ऑटो मैकेनिक मोहम्म द इदरीस इसे पूरे मामले को सियासत बताते हैं.
वो कहते हैं, "सब कुछ हुकूमत के इशारे पर हो रहा है. हुकूमत में आरएसएस वाले भरे पड़े हैं वो जैसा चाह रहे हैं वो हो रहा है. इदरीस आगे कहते हैं कि आज का माहौल अच्छा नहीं और आने वाले दिनों में ये स्थिति और भी ख़राब ही होगी. अगर यही माहौल रहा तो यहां की भी स्थिति श्रीलंका और म्यांमार जैसी होगी."
पिछले तीस सालों से बनारस में कार रिपेयरिंग के काम में लगे हिफ़ाज़त उल आलम भी ज्ञानवापी मस्जिद मसले को राजनीति का खेल बताते हैं.
वो कहते हैं," हर पार्टी अपनी रोटी सेंक रही है. हमारा व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पिछले 15 दिनों से शहर का माहौल देखकर लोग नहीं आ रहे हैं. बनारस में आने वालों की संख्या भी घटी है."
शिवलिंग की बात पर हिफ़ाज़त कहते हैं, "ज्ञानवापी मस्जिद में मैंने नमाज़ पढ़ी है. काशी के कण-कण में शंकर हैं. ऐसा कहा जाता है कि पूरी दुनिया ही शंकर जी के त्रिशूल पर बसी है. ये तो सौहार्द की बात है पूरी दुनिया ही शंकर जी की है. अब यहां बेवजह का फ़साद पैदा किया जा रहा है. "
"वहां वज़ूख़ाना है. गोल चीज़ें तो बहुत सी जगहों पर मिलती हैं. अगर उसे लेना चाहते हैं तो ले लें. कोर्ट सीधे फ़ैसला करती और मसला ख़त्म हो जाता. लेकिन इस तरह से बेवजह हो-हल्ला करना ग़लत है. एक तरह से लोगों के मन में डर क़ायम हो रहा है. जिसका सीधा असर हमारे रोज़ी रोटी पर पड़ रहा है."
कार मैकेनिक सरवर अली इस पूरे मसले को ही 'फ़ालतू' क़रार देते हैं और कहते हैं कि जो फ़ालतू लोग होते हैं वो इस तरह की बातों पर लगे हैं, और उनकी कोशिश है कि हिन्दू मुसलमान आपस में लड़ें.
सरवर आगे कहते हैं," रोज़ी रोटी सबसे पहला मुद्दा है. आप अपने धर्म को मानें दूसरा अपने धर्म को. लड़ाई किस बात की और इससे फ़ायदा किसको है. इस तरह की बातों से माहौल ख़राब होगा. लोग दूर-दूर से विश्वनाथ जी का दर्शन करने आते हैं, गंगा जी नहाने आते हैं. अगर ऐसा ही माहौल रहा तो यहां कोई नहीं आएगा. "
" वो पूजा करें, हम इबादत करें "
पुरखों के साड़ी कारोबार की विरासत संभाल रहे शमीम अहमद की चाहत है कि बनारस में जो भी पहले से चल आरहा था वो आगे भी चलता रहे.
शमीम कहते हैं,"वो पूजा करें, हम इबादत करें. सभी लोग एक साथ रहे हैं तो इससे बेहतर क्या हो सकता है."
"हाँ इन दिनों के माहौल का असर कारोबार पर बहुत पड़ा है. ख़बरों को जानकर टूरिस्ट आने से कतरा रहे हैं. उन्हें डर है कि कहीं कुछ हो न जाये. पर वास्तव में ऐसा नहीं है. पहले जैसे हम और हमारे बच्चे शहर में रहते थे हम आज भी रह रहे हैं."