मुझे वैक्सीन की जरूरत नहीं: कोरोना वैक्सीन के सवाल पर बाबा रामदेव बोले, योग-आयुर्वेद भी डबल डोज हैं... मुझे वैक्सीन की जरूरत नहीं.....




नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि वह संक्रमण से बचाव के लिए वह वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। रामदेव कहते हैं कि वह ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ का डबल डोज ले रहे हैं तो उनको कोरोना वैक्सीन लगवाने की कोई जरूरत नहीं है। योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि एलोपैथी दवा कारोबार 200 लाख करोड़ का है तो मेरी पकड़ भी देश के 100 करोड़ से अधिक नागरिकों तक है। आयुर्वेद को स्यूडोपैथी बताने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती। आयुर्वेद में सामर्थ्य है कि वह एलोपैथी सहित विश्व की किसी भी पैथी को चुनौती दे सके।
बाबा रामदेव ने कहा कि एलोपैथी ने पोलियो और टीबी का इलाज ढूंढा, उसका स्वागत किया है। आकस्मिक चिकित्सा के क्षेत्र में एलोपैथी ने ऊंचा मुकाम हासिल किया है। उसकी सराहना और स्वीकार भी किया है। फिर क्यों नहीं आईएमए भी प्राचीनतम पद्धति आयुर्वेद को स्वीकार करती है। बाबा रामदेव ने कहा कि उन्होंने कुछ प्रश्न पूछे हैं। प्रश्न पूछना राजद्रोह नहीं है। भले ही वैक्सीन आ गई हो, लेकिन वह भी सौ प्रतिशत कारगर नहीं है। एलोपैथी सभी रोगियों को ठीक नहीं कर पाई। अस्पतालों में इलाज के बावजूद तीन लाख से अधिक कोरोना रोगियों का निधन हुआ।
उनमें वैक्सीन ले चुके डॉक्टर भी शामिल थे। योग के बाद आयुर्वेद को भी यह दुनिया पूरी तरह स्वीकार कर लेगी। उन्होंने कहा कि उनके मन में किसी के प्रति बैर नहीं है, परंतु सम्मान जरूरी है। स्वामी रामदेव ने दावा किया कि डब्ल्यूएचओ के पीछे भी फार्मा इंडस्ट्री खड़ी है। हम सभी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को सम्मान देते हैं। आज यदि योग को अंतरराष्ट्रीय दिवस का दर्जा मिला है तो योग की इससे बड़ी वैश्विक प्रमाणिकता और क्या हो सकती है। आयुर्वेद को भी यह स्थान मिलकर रहेगा।
बाबा रामदेव ने कहा कि आईएमए को भारतीयता से नफरत है और यह गलत है। योग और आयुर्वेद भी डबल डोज हैं। वे स्वयं दशकों से यह डबल डोज लेते हैं। अत: उन्हें वैक्सीन की जरूरत नहीं। पूर्वजों का ज्ञान, निरंतर प्रयोग और नए अनुसंधान उनकी ताकत हैं। लेकिन कभी खुद को सर्वशक्तिमान नहीं कहा, बल्कि एलोपैथिक चिकित्सकों को बुलाकर उनके सामने क्लिनिकल ट्रायल किए।