महारैली निकालकर टीबी के प्रति किया गया जागरूक जॉइंट डायरेक्टर डॉ.ए.आर.गोटा द्वारा टीबी प्रचार रथ को दिखाई हरी झंडी

महारैली निकालकर टीबी के प्रति किया गया जागरूक जॉइंट डायरेक्टर डॉ.ए.आर.गोटा द्वारा टीबी प्रचार रथ को दिखाई हरी झंडी

जगदलपुर । विश्व टीबी दिवस पर जिले में टीबी की रोकथाम व उसके प्रति जनजागरण के लिये जिले में विविध कार्यक्रम आयोजित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ महारानी अस्पताल जिला क्षय उन्मूलन कार्यालय जगदलपुर से हुआ। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में बस्तर संभाग जॉइंट डायरेक्टर डॉ.ए.आर.गोटा द्वारा टीबी प्रचार रथ को रवाना किया गया। पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार टीबी जागरूकता से संबंधित नारा, पोस्टर ,बैनर, माइकिंग के साथ महा रैली का आयोजन हुआ

 

कार्यक्रम के संबंध में जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ.आर.के चतुर्वेदी ने बताया, " जिले में टीबी रोग के रोकथाम के लिये युद्धस्तर पर मरीजों की पहचान और त्वरित इलाज की व्यवस्था की जा रही है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस पर जिले में महारैली का आयोजन किया गया जिसके माध्यम से लोगों को टीबी की बढ़ती समस्या और उसके प्रसार को रोकने के लिये विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही लोगो को टीबी-सम्बन्धी उपचार की जानकारी भी बताई गई।"

   उन्होंने बताया, “दुनिया भर में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज भारत में ही हैं। जागरूकता के अभाव में ही लोग इसके वायरस की चपेट में आ जाते हैं। शुरू में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। इस कारण यह बीमारी धीरे-धीरे किडनी, दिमाग, रीढ़ की हड्‌डी, अतड़ियों, जोड़ों इत्यादि को संक्रमित कर देती है। हालांकि 80 फीसदी केसों में यह फेफड़ों को ही संक्रमित करती है। दो हफ्तों से ज्यादा समय तक खांसी आना, थोड़ा-थोड़ा बुखार रहना, थकान महसूस करना, वजन घटना और भूख न लगना इस बीमारी के लक्षण हैं। टीबी के बीमारी की जांच व इलाज निःशुल्क है। डॉक्टर की सलाह से इस बीमारी के इलाज के लिए तय समयावधि में लगातार दवाई खाने से इससे छुटकारा पाया जा सकता है”। 

 

जिला नोडल अधिकारी डॉ. सी.आर.मैत्री ने बताया, “टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, बल्कि छिपाने की बजाए जांच कराकर, इलाज कराने से यह ठीक हो जाता है। जिले में अभियान चलाकर टीबी मुक्ति का प्रयास किया जा रहा है। जिले के विभिन्न स्थानों पर विशेष टीम के माध्यम से टीबी रोगियों की पहचान की जा रही है। इनमें मुख्य रूप से जेल, अर्बन स्लम क्षेत्र, वृद्धाश्रम, आदि स्थानों में टीबी रोगियों की पहचान की जाती है।"

 

आयोजकों ने यह भी बताया कि विश्व क्षय या टीबी दिवस प्रतिवर्ष 24 मार्च को डॉ. राबर्ट कोच की स्मृति में मनाया जाता है। डॉ. कोच ने टीबी बैक्टीरिया की खोज 1882 में की थी, तभी से प्रतिवर्ष जागरूकता दिवस के रूप में इसे मनाया जाता है।

 

उक्त कार्यक्रम में सीएमएचओ डॉ. आर के चतुर्वेदी , नोडल अधिकारी टीबी कार्यक्रम डॉ. सी आर मैत्री, युवोदय के सभी वॉलिंटियर, बीएससी नर्सिंग के स्टूडेंट, टी.आई.एड्स नियंत्रण परियोजना के समस्त कर्मचारीगण, पीरामल स्वास्थ्य के टीम, राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन के सभी कर्मचारीगण एवं स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारी उपस्थित रहे