औरंगजेब ने काशी में मंदिर तोड़ा और मस्जिद का निर्माण किया, लेकिन संस्कृत में नाम रह गया, "ज्ञान व्यापी" जो आज सामने आ रहा है, हिंदू मंदिर के अवशेष, इसे अवश्य पढ़ें.
Aurangzeb broke the temple and built a mosque in Kashi, but




NBL, 18/05/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Aurangzeb broke the temple and built a mosque in Kashi, but the name remained in Sanskrit, "gyan vyapi" which is coming to the fore today, the remains of the Hindu temple, must read it.
सच सामने आ ही जाता है, जब झूठ का समय काल का अवधि समाप्त हो जायें तो, कितने दिनों तक सच को आप छुपा के रख सकते हैं, पढ़े विस्तार से... बस यही आज काशी के ज्ञान व्यापि मस्जिद से उभर कर आ रही है देश व दुनिया के सामने वाकई औरंगजेब मुगल शासक हिन्दू धर्म के लिए घातक थे और उनके देवी देवताओं की मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाते थे, जो सच सामने आ रही है।
चाहे इसे मुस्लिम समुदाय के लोग माने या ना माने लेकिन ज्ञान व्यापि मस्जिद के दिवार से लेकर उनके भूमि यही कह रहा है, मै पूर्व के समय काल में भव्य हिन्दू मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद बनवाया ये अक्रान्ता दुराचारि औरंगजेब जिसे ईश्वर खुद साक्षी बनकर नंदी महाराज अटल अडिग बैठे हुए है, अपने भोले नाथ के प्रगट दर्शन के लिए जो आज खुद ब खुद शिव बाबा दर्शन दे दिए सर्वे टीम को और अपनी बात देश के संविधान न्यायालय तक पहुँचा दी बाबा भोले भंडारी, अब न्याय करो।
इस भारत भूमी में कहीं भी किसी भी मस्जिद का नाम संस्कृत में नहीं है। तो सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि ज्ञानवापी फिर क्यों संस्कृत नाम पर है? यह एक मंदिर था जिसको तुड़वा कर मस्जिद में तबदील कर दिया गया।
और इसके ऐतिहासिक तथ्य उन किताबों में आज भी दर्ज हैं, जिन्हें मुस्लिम आक्रांतायों अपनी कट्टरता और बहादुरी दिखाने के लिए खुद दर्ज भी कराते थे।( विदेशी आक्रान्ता मुगल मुस्लिम शासक औरंगजेब ) हिन्दू धर्म मंदिर तोड़ने वाला पापी.
आपको बता दे पहले तो औरंगजेब ने कई जगहों के नाम भी बदल दिए है। कही मंदिर तौड़ मस्जिद बनाया है, तो कई राज्यों के नामों में परिवर्तन किया है। ऐसे ही काशी का नाम औरंगाबाद भी कर दिया था। कथित ज्ञानवापी मस्जिद उसी के समय की देन है। मंदिर को जल्दी-जल्दी में तोड़ने के क्रम में उसी के गुंबद को मस्जिद के गुंबद जैसा बना दिया गया।
नंदी वहीं रह गए। शिव के अरघे और शिवलिंग भी आक्रांता नहीं तोड़ सके। 1752 में मराठा सरदार दत्ता जी सिंधिया और मल्हार राव होलकर ने मंदिर मुक्ति का प्रयास किया, लेकिन हल नहीं निकला। 1835 में महाराजा रणजीत सिंह ने प्रयास किया तो उनकी लड़ाई को दंगे का नाम दे दिया गया।सिख राजा रंजीत सिंह हिन्दू धर्म मंदिर बचाने वाला व हिन्दू धर्म की रक्षा करने वाले धर्मात्मा महापुरुष..
इसके अलावा, दो और चीजें स्थापित तथ्य हैं, जैसे- पहला ये कि नंदी महाराज का मुख किसी भी शिवालय में शिवलिंग की ओर रहता है। दूसरा ये कि मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं के चिह्न होते हैं और मस्जिदों पर चित्रकारी करना जायज नहीं है। अब देखिए कि नंदी महाराज का मुंह उसी ओर है, जिस ओर अभी यह कथित ज्ञानवापी मस्जिद है। इस कथित मस्जिद पर शृंगार गौरी, हनुमान जी समेत तमाम देवी-देवताओं के चित्र हैं। इसके तहखाने में अब भी कई शिवलिंग हैं, जिन्हें आक्रांता तोड़ नहीं सके। रंग-रोगन से कई अवशेष मिटाए गए, लेकिन वह उभर सकते हैं।
अब इतने होने के बावजुद मुस्लिम पक्ष अपने जिद् में है, की यह कोई हिन्दू मंदिर नहीं है, न ही यहां कोई शिवलिंग है न ही कोई देवी देवताओ की चित्र या मूर्ति है इस पर हठ कर रहे हैं, तो गंगा जमुनी तहजीब कहा है, जो सच को देखकर झूठे बोलने मे आमदा है।
देश का इतिहास हिन्दू धर्म के लोग नहीं मिटाया किसी भी धर्म के लोगों की लेकिन हिन्दू धर्म के इतिहास मिटाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा ये आक्रान्ता बाहरी मुस्लिम मुगल शासक लोग, जिसे आज पनाह दे रहे हैं हिन्दूस्थान मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग। जो न्याय संगत नहीं है।