आलेख : न्याय के पथ पर नवा गढ़ता छत्तीसगढ़ सशक्त खेती-समृद्ध किसान की दिशा में राजीव गाँधी किसान न्याय योजना कारगर साबित....
Article: Chhattisgarh is building new on the path of justice Rajiv Gandhi Kisan Nyay Yojana proved effective in the direction of a strong farming-prosperous farmer.




Article: Chhattisgarh is building new on the path of justice Rajiv Gandhi Kisan Nyay Yojana proved effective in the direction of a strong farming-prosperous farmer.
देश के पूर्व प्रधानमंत्री व भारतरत्न राजीव गाँधी जी का वह कथन आज उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर याद आ रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि-’’यदि किसान कमजोर हो जाते हैं तो देश आत्मनिर्भरता खो देता है लेकिन अगर वह मज़बूत है तो देश की स्वतंत्रता भी मज़बूत हो जाती है। अगर हम कृषि की प्रगति को बरकरार नहीं रख पाए तो हम देश से गरीबी नहीं मिटा पाएंगे। इसीलिए किसानों की आर्थिक स्थिति और जीवन स्तर में सुधार लाना होगा.“ छत्तीसगढ़ की 80 प्रतिशत आबादी क़ृषि कार्य से जुड़ी है. प्रदेश के इतिहास में पहलीबार ठेठ किसान व छत्तीसगढ़ के करीब तीन करोड़ आबादी के मुखिया भूपेश बघेल है.’’ लोकाचार में कहा जाता है कि गरीब का दर्द एक गरीब समझ सकता है या उस गरीबी से निकला इंसान ही बेहतर समझ सकता है. इसी तरह किसानों की तकलीफ, परेशानी और समस्या को एक किसान ही समझ सकता है. यह छत्तीसगढ़ के लिए सौभाग्य की बात है कि किसानी की बारीकी और किसानों की दशा के बारे में भूपेश बघेल जैसे किसान पुत्र से बेहतर कौन समझ सकता है. इस तरह श्री राजीव गांधी के उक्त विचारों को सूत्र के रूप में प्रदेश सरकार ने अपनाया।
17 दिसम्बर 2018 छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक यादगार तिथि बन चुका है. मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेते ही पहली मंत्रिमंडल की बैठक में किसानों के अल्पकालीन कर्ज माफ करने का निर्णय लिया. अपने वादे के पक्के मुख्यमंत्री बघेल ने प्रदेश के किसानों से 2500 रुपये प्रति किवंटल की दर से धान खरीदी करने के निर्णय में कुछ तकनीकी बधाओं को पार करते हुए किसान मुख्यमंत्री ने किसानों के हित में एक सुगम रास्ता भी निकाला. कृषि में पर्याप्त निवेश एवं कास्त लागत में राहत देने के लिए कृषि आदान सहायता हेतु 21 मई 2020 को श्री राजीव गाँधी की पुण्यतिथि को ’राजीव गाँधी किसान न्याय योजना’ की शुरुआत की. योजना के तहत धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफल्ली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुलथी, रामतिल कोदो कुटकी व गन्ना जैसी फसलों को शामिल किया. प्रदेश के किसानों ने अपने खून-पसीना सींचकर धान पैदा किए थे, उन्हें अपनी मेहनत के वाजिब दाम की पहली किस्त 21 मई 2020 को 19 लाख किसानों के खाते में 1500 करोड़ रुपए प्राप्त हुए. इस तरह किसानो को न्याय का पहला सूरज देखने को मिला और चार किस्तों में किसानों के खाते में 5702 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया. इतना ही नहीं जब देश व प्रदेश में कोरोना ने हाहाकार मचाया और प्रदेश में लाकडाउन के दौरान के संवेदनशील मुख्यमंत्री बघेल ने किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु जिलावार हेल्प लाइन नंबर जारी करने के लिए अपने मातहतों को निर्देश जारी किया. राजीव गांधी किसान न्याय योजना का विस्तार करते हुए धान, मक्का, गन्ना किसानों को 9 हजार रूपए प्रति एकड़ हर साल अनुदान राशि देने के फैसले के साथ ही खरीफ वर्ष 2020-21 में जिस रकबे से किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचा था, यदि वे धान के बदले कोदो-कुटकी, रागी, गन्ना मक्का, दलहन-तिलहन, सुगंधित धान, अन्य फोर्टिफाइड धान, केला-पपीता सहित अन्य उद्यानिकी फसल लगाते हैं अथवा वृक्षारोपण करते हैं तो उन्हें तीन वर्षों तक प्रति वर्ष 10 हजार रूपए देने के निर्णय से किसानों के चेहरे में मुस्कान बिखेर दिया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति भरोसा इस कदर बढ़ा कि पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या में करीब दो लाख और पंजीकृत रकबे में सवा दो लाख हेक्टेयर से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। इससे इस बार धान के रकबे का पंजीकृत आंकड़ा 29 लाख हेक्टेयर व किसानों की संख्या 22 लाख 66 हजार पहुंच गई है और 98 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का नया कीर्तिमान गढ़ा गया। श्री राजीव गांधी की 31वीं पुण्य तिथि के अवसर पर ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत 22 लाख 87 हजार 882 पंजीकृत किसानों को 1720 करोड़ रुपए से अधिक राशि सीधा किसानों के खाते में डाली जाएगी। वर्ष 2019 में 18 लाख 43 हजार से अधिक किसानों को 5627 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2020 में 20 लाख 59 हजार किसानों को 5 हजार 553 करोड़ रुपए आदान सहायता दी गई थी। इस तरह राजीव गांधी किसान न्याय योजना प्रारंभ से अब तक 12 हजार 900 करोड़ रूपए से ज्यादा की आदान राशि प्रदेश के किसान भाई-बहनों के खाते में डाले गए हैं। न्याय के पथ पर नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने के संकल्प के साथ आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ के तहत वर्ष 2022-23 की प्रथम किस्त के रूप में 3 लाख 55 हजार 402 हितग्राहियों के खाते में 71 करोड़ 8 लाख रुपए से अधिक की राशि का वितरण भी आज किया जा रहा है। यह एक ऐसी योजना है, जो प्रदेश में रहने वाले ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर को आर्थिक रूप से सक्षम और सशक्त बनाने की दिशा ठोस निर्णय है।
गोधन न्याय योजना के तहत जहां रोजगार के नित-नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं, वहीं जैविक खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है। गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों तथा महिला समूहों को 232 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। इस महत्वाकांक्षी योजना की प्रशंसा एक तरफ जहां लोकसभा में कृषि मामलों की स्थायी समिति ने सदन में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की सराहना करते हुए केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि किसानों से मवेशियों के गोबर खरीद की ऐसी ही योजना पूरे देश के लिए शुरु की जानी चाहिए। वहीं दूसरी ओर नीति आयोग ने भी सराहा है। योजना की सफलता का ही सुफल है कि आज देश के कई राज्य अब इसे अपनाने पर जोर दे रहे हैं। कृषि में विविधता आए, जिससे किसान आर्थिक रूप से मजबूत हों। इसी नीति पर राज्य सरकार काम कर रही है। सरकार की नीतियों का ही यह असर है कि गांवों से शहरों और दूसरे राज्यों में होने वाला पलायन रुका है। पढ़े-लिखे युवा भी अब गांव और खेती-किसानी की ओर लौट रहे हैं। यही वजह है कि धान का केवल रकबा ही नहीं बढ़ा है बल्कि खेती करने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ी है। राज्य में दूसरी फसलों का भी रकबा बढ़ रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न राजीव गांधी एक ऐसे कर्मयोगी रहे हैं, जिनकी जीवन यात्रा में मानवता, सहजता, सरलता, निष्छलता के कई मुकाम रहे हैं। राष्ट्रहित उनके चिंतन के केन्द्र में था। सर्वधर्म सद्भाव उनके मानस में रचा-बसा था और इस ध्येय वाक्य को ध्यान में रखते हुए भूपेश बघेल सरकार सवा तीन सालों में गांव-गरीब और किसानों की चिंता ही नहीं की है बल्कि सशक्त खेती-समृद्ध किसान की दिशा में और न्याय के पथ पर नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने में निरंतर आगे भी बढ़ रहे हैं।
(लेखक-एल.डी. मानिकपुरी, सहायक सूचना अधिकारी, जनसम्पर्क)