कवर्धा जिले में छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए पदयात्रा सम्पन। जिले के पंडरिया से पांडातराई तक पदयात्रा करके हजारों लोगों के बीच चलाया गया जन जागरूकता अभियान।




कवर्धा पंडरिया/ पदयात्री छत्तीसगढ़ी मातृभाषा विशेषज्ञ,लेखक,पत्रकार जिनकी उम्र 83 साल है व जिन्होंने आज पर्यंत तक शादी नहीं की जिनका सारा जीवन प्रदेश को समर्पित है जिन्होंने देश व छत्तीसगढ़ प्रदेश को ही अपना घर माना,जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है।छत्तीसगढ़ या कहिए छत्तीसगढ़िया कि जब भी बात आती है सर्वप्रथम आंखों में एक ही चेहरा नजर आता है जिनका नाम नंद किशोर शुक्ला जी जो इस यात्रा के प्रमुख थे उन्होंने बताया कि हमारे राज्य में यहां की मातृभाषाओं को लेकर के जबरदस्त उदासीनता है अतः जनता को जगाने एवं सरकार से मांग करने के लिए हमें पद यात्रा करना पड़ रहा है , हमारी मांग है कि प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा को पढ़ाई-लिखाई की भाषा बनाने, जनगणना एवं मातृभाषा के कालम में लिखवाने, साथ ही राजकाज- कामकाज ,आठवीं अनुसूची , रोजगार की भाषा बनाने के लिए अभी तक 6 चरण का पद यात्रा संपन्न किया जा चुका है फिर भी सरकार उदासीन है इसलिए मजबूर होकर हमे क्रमबद्ध पदयात्रा करना पड़ रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़िया समाज को भी आह्वान किया की छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए आगे आए।
पदयात्रा में शामिल युवा ठा. शैलु छत्तीसगढ़िया ने बताया कि भाषा के लिए आज संघर्ष के साथ पसीना बहाने की जरूरत है अगर यह भी नहीं देंगे तो कल हमारी आने वाली पीढ़ी को खून देना ही होगा । उन्होंने आगे बताया की छत्तीसगढ़ राज्य को बने 23 वर्ष हो चुके हैं और यहां की सबसे बड़ी एवं प्रमुख भाषा छत्तीसगढ़ी है जिसको यहां की लगभग 80% जनता बोलते हैं लेकिन इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा ही अभी तक स्थापित नहीं हो पाया है और उससे भी बड़ा दुर्भाग्य की छत्तीसगढ़ियों को छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए ही पदयात्रा करनी पड़ रही है।
धातव्य है कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा को स्थापित करने के लिए छत्तीसगढ़िया समाज द्वारा अनेक वर्षों से संघर्ष किया जा रहा है और इसी कड़ी में मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच के द्वारा भी अपने 7 चरण के तहत पदयात्रा कवर्धा जिले के पंडरिया से पांडातराई तक किया गया
कार्यक्रम के दौरान पांडातराई महाविद्यालय में एक बड़ा आयोजन भी हुआ, जिसमे करीब 400 बच्चो को मातृभाषा के प्रति जागरूक किया गया पदयात्रा में करीब महिला व पुरुष मिलाकर 60 लोग शामिल हुए।