सावन का पहला सोमवार आज: सावन के पहले सोमवार पर बन रहा है ये खास योग.... इस तरह करें भगवान शिव की पूजा.... जानें पूजा-विधि, व्रत विधि, महत्व और सामग्री की पूरी लिस्ट.... रखें इन बातों का ध्यान.....

सावन का पहला सोमवार आज: सावन के पहले सोमवार पर बन रहा है ये खास योग.... इस तरह करें भगवान शिव की पूजा.... जानें पूजा-विधि, व्रत विधि, महत्व और सामग्री की पूरी लिस्ट.... रखें इन बातों का ध्यान.....


डेस्क। आज सावन का पहला सोमवार है। श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है। इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। 22 अगस्त तक सावन का महीना रहेगा। सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है। सावन माह के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। भगवान शंकर का दिन सोमवार होता है। आइए जानते हैं सावन के पहले सोमवार में किस तरह से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

 

सावन मास व्रत नियम

 

सावन मास धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र माह है. धार्मिक मान्यता है कि सावन के महीने में मास-मंदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. अन्यथा भगवान शिव नाराज हो सकते हैं. किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचें. इस माह में घर परिवार में स्नेह पूर्ण वातावरण का निर्माण करें. 

 

सावन महीने में लहसुन, प्याज जैसी तामसिक प्रवृति वाले भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. सावन मास में मसूर की दाल, मूली, बैंगन आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. शास्त्रों में बासी भोजन और जले हुए खाने का उपयोग वर्जित माना गया है. सावन सोमवार का व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव नाराज होंगे.

 

सावन सोमवार व्रत 2021 की तिथियां

सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई 

सावन का दूसरा सोमवार 02 अगस्त

सावन का तीसरा सोमवार 09 अगस्त

सावन का चौथा सोमवार 16 अगस्त

 


कितने दिन का होगा ये सावन माह 

 


सावन माह की शुरुआत रविवार, 25 जुलाई 221 से हो रही है. पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है. इस बार सावन कुल 29 दिनों का है. जिसमें 4 सोमवार पड़ने वाले है. 22 अगस्त को सावन की अंतिम तिथि है. जिस दिन रक्षा बंधन भी पड़ रहा है.


भगवान शंकर को प्रिय है दूध

 

भगवान शंकर को दूध बेहद प्रिय है. इसलिए उनकी पूजा में दूध का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. सावन के महीने में शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव को दूध चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त होता है. सावन में दूध से रुद्राभिषेक भी किया जाता है. इससे भक्त की मनोकामना पूरी होती है.

 

सावन सोमवार की पूजा विधि

 

सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा में विधि का विशेष ध्यान रखें. विधि पूर्वक पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है. सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल और दूध के साथ धतूरा, बेलपत्र, पुष्प, गन्ना आदि अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान की प्रिय चीजों को भोग लगाएं, शिव आरती और शिव चालीसा, शिव के 108 नामों के साथ इस मंत्र का जाप करें- ''ॐ नम: शिवाय''

 

सावन माह में भगवान शिव की पूजा विधि

 

सावन मास में सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल और दूध के साथ धतूरा, बेलपत्र, पुष्प, गन्ना आदि अर्पित करें. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. अब धूप दीप से आरती करें.

 

सावन मास का महत्व

 

धर्म शास्त्रों में भी सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है. पावन श्रावण मास में भगवान शिव और उनके परिवार की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही फलदायी होता है, इसलिए सावन में लोग रुद्राभिषेक कराते हैं. शिव की आराधना के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माह माना गया है.

 

ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र

 

भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करते समय सबसे पहले बेलपत्र की दिशा का ध्यान रखना जरूरी होता है. भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं.

 

पूजा- विधि

 

सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं। भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें। भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें। भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।

 

भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री

 

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।