विश्व अल्ज़ाइमर दिवस- जिले में प्रतिमाह औसतन 2 से 3 अल्ज़ाइमर ग्रसित मरीजों का किया जाता है इलाज

विश्व अल्ज़ाइमर दिवस-  जिले में प्रतिमाह औसतन 2 से 3 अल्ज़ाइमर ग्रसित मरीजों का किया जाता है इलाज

जगदलपुर - जिले भर में हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस (World Alzheimer Day) मनाया जाता है। यह दिन अल्जाइमर नाम की बीमारी के नाम पर मनाया जाता है ताकि लोगों को इसके बारे में जागरुक किया जा सके। अल्जाइमर एक प्रकार का मानसिक रोग है। सरल भाषा में समझे तो भूलने की बीमारी को अल्जाइमर कहते हैं। इससे ग्रसित लोग अक्सर छोटी से छोटी बातें भी भूल जाते हैं। कहीं पर कुछ रखकर भूल जाना, कुछ ही देर पहले की बात को भूल जाना आदि इस विकार के लक्षण हैं। यह बीमारी अक्सर 60 से ज्यादा की उम्र के बाद लोगों को होती है। लेकिन वर्तमान समय में युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। बुज़ुर्ग की अवस्था मे मस्तिष्क की कोशिकाएं कमजोर होकर सिकुड़ जाती हैं जिससे दिमागी काम करने की क्षमता कम होने लगती है| मस्तिष्क में होने वाली जटिल परेशानियाँ इस रोग का कारण है। इसके अलावा सर में चोट , वायरल इंफेक्शन और स्ट्रोक में भी अल्जाइमर की स्थिति पैदा हो सकती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में करीब 16 करोड़ बुजुर्ग (60 साल के ऊपर) हैं। ऐसे में यह स्थिति अधिक गम्भीर हो सकती है।

उदाहरण के तौर पर अगर व्यक्ति 15 मिनट पहले किया कोई काम भूल जाए या फिर यह सोचता रहे कि उसने यह काम किया था या नहीं, तो हो सकता है कि वह अल्जाइमर से ग्रसित हो।

 

जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ ऋषभ साव ने बताया, " अल्ज़ाइमर रोग ज्यादातर वृद्ध वयस्कों को प्रभावित करता है। अल्जाइमर को उम्र के हिसाब से अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जब कोई व्यक्ति 65 वर्ष से कम आयु के इस रोग से प्रभावित होता है, तो इसे अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर रोग कहा जाता है। भूलने की स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से अपने को स्वस्थ रखना। दिमाग की कोशिकाओं को संतुलित करने के लिए दवाओं का प्रयोग किया जाता है। दवाओं के सेवन से रोगियों की याददाश्त और उनकी सूझबूझ में सुधार हो सकता है।

 बस्तर जिले में प्रतिमाह औसतन 2 से 3 अल्ज़ाइमर से ग्रसित मरीज इलाज हेतु अस्पताल आते हैं। ऐसे मरीजों के इलाज में दवा के साथ साथ रोगियों और उनके परिजनों को कॉउंसलिंग की जरूरत होती है।

 

अल्जाइमर के लक्षण

रात में नींद न आना, रखी हुई चीजों को बहुत जल्दी भूल जाना, आंखों की रोशनी कम होने लगना, छोटे-छोटे कामों में भी परेशानी होना, अपने परिवार के सदस्यों को न पहचान पाना, कुछ भी याद करने, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव पड़ना, डिप्रेशन में रहना, और डर जाना 

 

अल्जाइमर से बचाव

इस बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए. लोगों से मिलना जुलना चाहिए, जिससे डिप्रेशन न हो. अगर घर में पहले से किसी को यह बीमारी रही हो तो इस पर पहले ही ध्यान देना चाहिए. लर्निंग पावर को मजबूत करना चाहिए, जैसे किताबें पढ़ना, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना। डिप्रेशन से दूर रहने के लिए अपना मनपसंद संगीत भी सुन सकते हैं।