राजीव गांधी और फारूक अब्दुल्ला ने क्यो छोड़ दिये थे 70 खुँखार आतंकी? पूर्व DGP ने बताई " नरसंहार " की सच्चाई..

Why did Rajiv Gandhi and Farooq Abdullah leave 70 dreaded terrorists? Former DGP told the truth of "genocide" ..

राजीव गांधी और फारूक अब्दुल्ला ने क्यो छोड़ दिये थे 70 खुँखार आतंकी? पूर्व DGP ने बताई

 NBL,. 19/03/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.. श्रीनगर: विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files)' में 1990 के इस्लामिक जिहाद और कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार एवं पलायन की वीभत्स सच्चाई को परदे पर उतारा गया है, पढ़े विस्तार से..। 

यह फिल्म आजकल काफी सुर्ख़ियों में है। इस फिल्म के कंटेंट पर जारी चर्चा और बहस के बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) शेष पॉल वैद ने गुरुवार (17 मार्च 2022) को बड़ा खुलासा किया है। वैद ने देश में आतंकवाद के पनपने के लिए 1989 में केंद्र में रही कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार करार दिया है।

 

Shesh Paul Vaid

@spvaid

Many people in the country do NOT know this #KashmirFiles fact: first batch of 70 terrorists trained by ISI were arrested by J&K Police but ill-thought political decision had them released & same terrorists later on lead the many terrorist organizations in J&K. #KashmirFilesTruth

6:04 PM · Mar 16, 2022

 

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पुलिस अधीक्षक वैद ने ट्विटर के माध्यम से कहा है कि शायद बहुत ही कम लोगों को ये पता होगा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा प्रशिक्षित किए गए 70 आतंकियों के पहले जत्थे को अरेस्ट कर लिया था। पूर्व DGP ने हैरतअंगेज़ खुलासे में कहा कि फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार के सियासी फैसले की वजह से उन्हें छोड़ना पड़ा था। बाद में इन आतंकियों ने राज्य में कई आतंकी संगठनों की अगुवाई की। सूबे के पूर्व DGP शेष पॉल वैद ने उन आतंकियों का नामों भी बताया है, जिन्हें फारूक अब्दुल्ला सरकार ने छोड़ दिया था। बाद में इन्हीं आतंकियों ने घाटी में कई सारी आतंकी वारदातों को अंजाम दिया।

बता दें कि फारूक अब्दुल्ला 1987 से 1990 तक जम्मू-कश्मीर के CM थे। उसी दौरान इस्लामिक जिहादियों ने कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार किया था। इसके साथ ही उस दौरान केंद्र में राजीव गाँधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर सवाल उठाते हुए पूर्व DGP ने पुछा कि, 'क्या यह 1989 की केंद्र सरकार की जानकारी के बिना संभव था?' पूर्व DGP ने जिन आतंकियों के नाम बताए हैं, उनमें त्रेहगाम का मोहम्मद अफजल शेख, रफीक अहमद अहंगर, मोहम्मद अयूब नजर, फारूक अहमद गनी, गुलाम मोहम्मद गुजरी, फारूक अहमद मलिक, नजीर अहमद शेख और गुलाम मोही-उद-दीन तेली शामिल हैं।

बता दें कि वर्ष 1989 में जुलाई और दिसंबर के बीच फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने 70 कट्टर इस्लामी आतंकियों को रिहा कर दिया था। बाद में इन खूंखार आतंकियों ने पाकिस्तान का समर्थन लेकर हिंदुस्तान में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया। घाटी में हिंदुओं के खिलाफ विरोध और इस्लामिक उग्रवाद को बढ़ावा देने में इनकी अहम भूमिका रही। हिंदुओं के खिलाफ गढ़े गए नैरेटिव की वजह से ही 1990 में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार बढ़े, जो कि बाद में इस समुदाय के नरसंहार की हद तक पहुँच गया है। इसका नतीजा यह हुआ कि घाटी में कट्टरपंथी इस्लामी जिहादियों ने लाखों कश्मीरी हिंदुओं को घाटी छोड़कर जाने के लिए मजबूर कर दिया।

मार्च 1990 तक कश्मीर में इस्लामी आतंकियों ने हजारों हिंदू महिलाओं का बलात्कार, हत्या और लूटपाट की। कश्मीरी हिंदू अपने देश में ही शरणार्थी बनने को विवश हो गए। जम्मू के शिविरों में अमानवीय परिस्थितियों में उनका पुनर्वास किया गया। द कश्मीर फाइल्स फिल्म की रिलीज के साथ ही कट्टरपंथी इस्लामी आतंकियों द्वारा कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार पर वर्षों से दबी बहस फिर से शुरू हो गई है। फिल्म में यह भी बताया गया है कि कैसे उस दौरान केंद्र और राज्य सरकारें कश्मीरी हिंदुओं की पीड़ा पर धृतराष्ट्र बन गई थी।