इस्तीफों की बारिश: अच्छे वेतन और बोनस के बावजूद अगस्त में 43 लाख लोगों ने छोड़ी नौकरी.... बड़े देशों की नामी कंपनियों को क्यों नहीं मिल रहे प्रशिक्षित स्टाफ.... जानिए बड़ा कारण....




डेस्क। अमेरिका में लोग रिकॉर्ड संख्या में नौकरी छोड़ रहे हैं। अमेरिकी श्रम विभाग के जॉब ओपनिंग और लेबर टर्नओवर सर्वे में पता चला है कि अगस्त में नौकरी छोड़ने वाले अमेरिकियों की संख्या बढ़कर 43 लाख हो गई। यह अमेरिका में काम करने वाले सभी कर्मचारियों का 2.9 प्रतिशत है। जिससे पता चलता है कि रिकॉर्ड स्तर पर लोगों ने इस्तीफा दिया है। इससे पहले अप्रैल में 40 लाख और मई में 36 लाख लोगों ने नौकरी छोड़ी थी। अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में लोग नौकरियां छोड़ रहे हैं।
अगस्त महीने में अमेरिका में 43 लाख लोगों ने नौकरियां छोड़ दीं। सिर्फ होटल और रेस्टोरेंट कारोबार से जुड़े 9 लाख लोगों ने इस्तीफा दिया है। यह स्थिति ऑस्ट्रेलिया, यूरोप सहित एशिया के कई देशों में भी बनी है। जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में सभी देशों को इस समस्या से जूझना पड़ेगा। इसी घटनाक्रम को द गेट रेजिग्नेशन कहा जा रहा है, जिसने कंपनियों की नींद हराम कर दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि सिर्फ इस्तीफे नहीं हो रहे, बल्कि कंपनियों को प्रशिक्षित कर्मचारी भी नहीं मिल रहे। प्रशिक्षित लोगों में नौकरियों का डर नहीं रहा, इसलिए कंपनियां काफी परेशान हैं।
इसकी शुरुआत 2019 से हुई थी, जब टेक्सास के एक साइकोलॉजिस्ट प्रोफेसर एंथनी क्लॉट्स ने द ग्रेट रेजिग्नेशन शब्द का प्रयोग किया था। उन्होंने कहा था कि कोरोना के बाद लोग अपने जीवन के बारे में नए सिरे से सोचेंगे। साथ ही, क्लाट्स ने यह भविष्यवाणी की थी कि बड़ी संख्या में लोग नौकरी से पलायन करेंगे। यह बात अब सच साबित हो रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक अब लोगों की प्राथमिकताओं में बदलाव आया है। नौकरी की भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच जब कोरोना के दौरान घर पर परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिला, तब उन्हें रिश्तों की अहमियत समझ आई। यह भी समझ आया कि रोजगार के कई विकल्प खुले हैं, इसलिए वे आसानी से नौकरी छोड़ रहे हैं।
कोरोना के भयावह दौर में कंपनियों ने अपने बरसों पुराने कर्मचारियों को एक झटके में निकाल दिया। कई कंपनियों ने वेतन कम कर दिए। सुविधाएं घटा दीं। जिनकी नौकरी गई, उन्होंने रोजगार के दूसरे विकल्प तलाशने शुरू किए। बड़ी संख्या में स्टार्टअप शुरू हुए तो कई लोगों ने अपनी छिपी हुई प्रतिभा को निखारकर उसे ही रोजगार बना लिया। दूसरी ओर, जिनकी छंटनी नहीं हुई, उन पर काम का बोझ बढ़ा। शोषण का शिकार होना पड़ा।