कांग्रेस की अद्वितीय जीत :राजनांदगाँव नगर निगम के वार्ड क्रमांक-17 तुलसीपुर उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के मायने....इन बड़ी जीतों के बीच एक छोटे से वार्ड की जीत क्यूँ प्रासंगिक है?




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नयाभारत डेस्क : भारतीय जनता पार्टी का अभेद्य गढ़ रहा है राजनांदगाँव का तुलसीपुर वार्ड। 1978 के बाद से आज तक कांग्रेस ने यहाँ कभी जीत दर्ज़ नहीं की ना ही जीतने की स्थिति में रही, सूत्रों की मानें तो एकाध अवसर पर कांग्रेस की ज़मानत भी ज़ब्त हो चुकी है।राजनांदगाँव के वर्तमान विधायक डॉ. रमन सिंह हैं, जो तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। साथ ही भारतीय जनता पार्टी के क़द्दावर नेता हैं । यह वार्ड उनके बहुत करीबी माने जाने वाले पूर्व सांसद मधुसूदन यादव की राजनीतिक धरातल रहा है। जहाँ से वे पार्षद रहे, नगर निगम राजनांदगाँव में सभापति और महापौर रहे साथ ही लोकसभा क्षेत्र राजनांदगाँव के सांसद भी रहे।
राजनांदगाँव की लोकप्रिय पूर्व महापौर स्व. शोभा सोनी की कर्मभूमि भी यही वार्ड रहा है। जिनके दुःखद निधन के उपरांत यह उपचुनाव सम्पन्न हुआ।एक तरह से यह वार्ड राजनांदगाँव शहर में हमेशा भाजपा का अभेद्य दुर्ग रहा जहाँ जीत तो दूर दीगर दलों के प्रत्याशी नामांकन दाखिल करने से भी गुरेज़ करते रहे हैं ।
ऐसे समय में जब तमाम आंतरिक और बाह्य दलीय संघर्षों के होते हुए कोई कांग्रेस प्रत्याशी इस वार्ड से कई दशकों बाद जब जीत का मुँह देखे तब यह महज़ छोटा सा वार्ड प्रासंगिक हो जाता है। जब प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री को गद्दी सम्भाले तीन वर्ष का समय हो चुका हो और ऐसे में जब एक शहर में भाजपा की ज़मीन माना जाने वाला छोटा सा वार्ड भी भाजपा के हाथों से जाता रहे तब यह जीत प्रसांगिक हो जाती है।
इस जीत के मायने जहाँ कांग्रेस के लिए उत्साहवर्धक और उसकी कार्यशैली को जनता की स्वीकृति देने वाले हैं। ऐसी छोटी जीतें यह ज़रूर बताती हैं कि, ज़मीनी स्तर पर किसकी पैठ है और एक मतदाता की सोच क्या है। वहीं भाजपा को अपने गढ़ में ऐसी हार पर पुनः मंथन की ओर बढ़ने पर मजबूर करने वाले हैं। हाँ यह ज़रूर है कि, कांग्रेस को अतिउत्साह में न आते हुए इस ज़मीन को और पुख़्ता करने की ज़रूरत है।