Union Budget 2023 : बजट 2023 लेकर आ रहा है खुशियाँ! इन लोगो की हो जाएगी बल्ले-बल्ले.... मेटरनिटी के फायदों के साथ दोगुनी हो जाएगी Pension​​​​​​ क्योंकि....

Union Budget 2023: Budget 2023 is bringing happiness! These people will be successful. Pension will be doubled along with the benefits of maternity because.... Union Budget 2023 : बजट 2023 लेकर आ रहा है खुशियाँ! इन लोगो की हो जाएगी बल्ले-बल्ले.... मेटरनिटी के फायदों के साथ दोगुनी हो जाएगी Pension​​​​​​ क्योंकि....

Union Budget 2023 : बजट 2023 लेकर आ रहा है खुशियाँ! इन लोगो की हो जाएगी बल्ले-बल्ले.... मेटरनिटी के फायदों के साथ दोगुनी हो जाएगी Pension​​​​​​ क्योंकि....
Union Budget 2023 : बजट 2023 लेकर आ रहा है खुशियाँ! इन लोगो की हो जाएगी बल्ले-बल्ले.... मेटरनिटी के फायदों के साथ दोगुनी हो जाएगी Pension​​​​​​ क्योंकि....

Union Budget 2023 :

 

नया भारत डेस्क : 1 फरवरी के दिन मोदी सरकार के दूसरे टेन्योर का बजट पेश होने जा रहा है. मौजूदा कार्यकाल में यह सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है. फिलहाल डायरेक्ट टैक्स का 35-40 प्रतिशत हिस्सा इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स से आता है। जाहिर है, फिर पर्सनल इनकम टैक्स के मोर्चे पर बड़ी संख्या में लोगों ने उम्मीद बांध रखी है कि कर-राहत की जो चीज पिछले चार साल से नहीं हुई वह कम से कम इस साल के बजट में तो हो. (Union Budget 2023)

Income Tax 2023 : `मैं जानती हूं कि तुम्हारा प्यार 100% मेरे लिए है लेकिन मुझतक पहुंचे उसके पहले ही इसमें से 30 प्रतिशत इनकम टैक्स को चला जाता है।` यह रेस्तरां के एकांत कोने में अपने-अपने हिस्से की स्नैक्स खाने और कॉफी पीने बैठे प्रेमी जोड़ों की बात-चीत का हिस्सा है। पिछले साल बजट पेश होने पर जब मिडिल क्लास को इनकम टैक्स (Income Tax) में कोई राहत नहीं मिली तो बातचीत का यह हिस्सा सोशल मीडिया पर एक मध्यवर्गीय दिलजले ने मीम बनाकर डाली थी। ऐसे मीम एक नहीं अनेक बने थे और सोशल मीडिया पर ट्रेन्ड करने लगे तो समाचारों की एक वेबसाइट ने उनपर पूरी कहानी ही बना डाली। (Union Budget 2023)

पिछले साल बड़ी उम्मीदें लगायी थीं बजट से वेतनभोगी वर्ग के लोगों ने कि कोई ना कोई बड़ा ऐलान होगा ही और ये राहत कोरोना ने जेब में जो सेंधमारी की है, उसपर कुछ तुरपई का काम करेगी। बजट सरकार की तरफ से लोगों के सामने साल भर के जमा-खर्च का हिसाब भर नहीं होता, वह लोगों की उम्मीदों का आईना भी होता है। और, पिछले साल बजट से तुरंत पहले के सर्वेक्षणों की मानें तो आयकर में राहत की उम्मीद लगाये बैठे लोगों की संख्या अच्छी-खासी तादाद में थी। (Union Budget 2023)

पिछले साल बजट ने उम्मीदों पर पानी फेरा :

अश्योरेंस, टैक्स एंड एडवाइजरी फर्म Grant Thornton Bharat के मुताबिक साल 2022 के बजट के ऐन पहले लोगों में अर्थव्यवस्था की ग्रोथ को लेकर भरोसा जगा हुआ था। सर्वेक्षण में 81% प्रतिभागियों ने उम्मीद लगायी थी कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर अर्थव्यवस्था में कोई बड़ा उलटफेर नहीं लाने वाली। और अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी। ऐसे कुल 57% प्रतिभागियों का कहना था कि पर्सनल इनकम टैक्स के मोर्चे पर बजट में बड़े सुधार होना ही चाहिए। इसके मुकाबले GST और कस्टम्स में सुधार की उम्मीद लगाये बैठे उत्तरदाताओं की संख्या 25% थी। (Union Budget 2023)

सर्वेक्षण में कुल 69% प्रतिभागियों ने उम्मीद जतायी थी कि किसी व्यक्ति की कुल आय में से जितनी रकम टैक्स फ्री रखा गया है। उसकी सीमा 2.5 लाख रुपए से आगे बढ़ेगी। सर्वेक्षण में सबसे ज्यादा तादाद (90 प्रतिशत) में प्रतिभागियों ने कहा था कि सरकार को या तो सेक्शन 80C के तहत होने वाले डिडक्शन की सीमा बढ़ानी चाहिए या फिर वह कम से कम स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत इनकम टैक्स फ्री अधिकतम राशि की ही सीमा ही बढ़ा दें। (Union Budget 2023)

लेकिन राहत बदस्तूर नहीं मिलनी थी और नहीं मिली। मध्यवर्गीय मानुष बेचारा क्या करता, उसने वही तरीका अपनाया जो अबतक अपनाता आया है, अपनी हताशा से उसने सोशल मीडिया को पैताने से लेकर सिरहाने तक पाट डाला। ज्यादातर मीम्स में कहा गया था कि ‘बजट से वेतनभोगी – पेंशनभोगी वर्ग और वरिष्ठ नागरिकों को निराशा हाथ लगी है, मध्यवर्ग की तो हमेशा अनदेखी होती आयी है और डर भी इसी का था कि ऐसा होगा मगर अगले साल के लिए उम्मीद कायम है।’ (Union Budget 2023)

उम्मीद के साथ यही दिलचस्प बात है कि वह बार-बार दुत्कारे जाने के बावजूद कायम रहती है और अपने कायम रहने में एक मीठी तकलीफ जैसी होती है, ना छोड़ते बनते है ना अपनाते। सो, बजट से तुरंत पहले के इन वक्तों में उम्मीदों से भरा अहम सवाल ये कि आनेवाले बजट में आयकर के मामले में बड़ी या छोटी कोई राहत मिलेगी क्या? (Union Budget 2023)

वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है :

उम्मीद लगाये बैठे वेतनभोगी तबके ने बड़े रंजो-मलाल से देखा कि आयकर में राहत देने का मिजाज तो कहीं से दिख ही नहीं रहा-ना तो चले आ रहे टैक्स-स्लैब में ही कोई बदलाव किया गया है और ना ही स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) के तहत दी जाने वाली राहत की सीमा बढ़ायी गई है। मध्यवर्ग के मलाल को महसूस करके मुख्यधारा की मीडिया ने वित्तमंत्री से सवाल पूछ लिया कि आखिर आपने लगातार अपने चौथे बजट में भी वेतनभोगी लोगों के लिए आयकर में छूट देने की कोई बात क्यों नहीं सोची? (Union Budget 2023)

वित्तमंत्री ने जो जवाब दिया था वह आपको अबतक याद ही होगा। जैसे कोई ताजा लगे चोट पर जोर से चपत मारे वैसे ही वित्तमंत्री का जवाब था कि शुक्र मनाओ, हमने राजस्व उगाही के लिए अलग से कोई और कर बढ़ा नहीं दिया और टैक्स-स्लैब को जस के तस रहने दिया वर्ना तो कोरोना महामारी के कारण हालात कुछ ऐसे चुनौतीपूर्ण बन गये थे कि इनकम टैक्स बढ़ा देने की बात सोची जा सकती थी। और, इस बात का भी शुक्र मनाइए कि कोरोना के कारण राजकोष की खस्ताखाली लगातार दो साल से है लेकिन इनकम टैक्स में ना पिछले साल कोई बढ़ोत्तरी की गई ना ही इस साल। (Union Budget 2023)

वित्तमंत्री का ये तर्क पचा तो पिछले साल भी नहीं था फिर भी सरकार की ओर से ये तर्क दिया जा सकता था क्योंकि आर्थिक बदहाली का समय राजा-प्रजा सबही के लिए हाथ खींचकर और मुट्ठी भींचकर खर्च करने का समय होता है। लेकिन यह साल 2023 का है, कोरोना की आहट की खबरें तो हैं लेकिन जानकार कह रहे हैं कि देश की आर्थिक दशा पहले की तुलना में बहुत कुछ सुधरी हुई दिख रही है। (Union Budget 2023)

वित्तवर्ष 2022-23 के लिए नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन (Direct tax collection) में अबतक 23 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है और साल 2021 के मुकाबले साल 2022 की पहली तीन तिमाहियों में अर्थव्यवस्था ने बढ़त दिखायी है। यह प्रबल संकेत है कि महामारी की चोट से ना सिर्फ अर्थव्यवस्था उबर चुकी है बल्कि अब नई ताकत से आगे बढ़ रही है। बजट में निश्चित ही इस उम्मीद को शो केस किया जायेगा कि अर्थव्यवस्था में आयी तेजी आगे को बरकरार रखी जायेगी। (Union Budget 2023)

साल 2022 के आखिर के माह के बीत जाने के बाद अब हम आस बांध सकते हैं कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बहुत तेज नहीं तो भी मंझोली गति से बढ़वार जारी रहेगी, जबकि साल की शुरूआत में ऐसी उम्मीद लगाना मुश्किल था। यों वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितताओं का क्या ही कहना तो भी अलग-अलग आकलनों को देखते हुए अनुमान लगायें तो अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर नये साल में 5.5 प्रतिशत से 6.1 प्रतिशत के बीच रह सकती है(ऑडिट, अश्योरेन्स, रिस्क मैनेजमेंट, टैक्स आदि पर सलाह देने वाली वैश्विक संस्था Deloitte ने 2022 के दिसंबर में प्रकाशित अपने बजट एक्सपेटेशन्स नाम के दस्तावेज में यह अनुमान लगाया है)। सरकार बार-बार इस बात को कह रही है कि अर्थव्यवस्था की बुनियादी चीजें एकदम दुरूस्त हालत में हैं। (Union Budget 2023)

राहत की उम्मीदें: पर्सनल इनकम टैक्स के मोर्चे पर क्या-क्या हो 

डायरेक्ट टैक्स का 35-40 प्रतिशत हिस्सा इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स से आता है। जाहिर है, फिर पर्सनल इनकम टैक्स के मोर्चे पर बड़ी संख्या में लोगों ने उम्मीद बांध रखी है कि कर-राहत की जो चीज पिछले चार साल से नहीं हुई वह कम से कम इस साल के बजट में तो हो।

फायनान्शियल एडवायजरी की संस्था Deloitte की नई रिपोर्ट बजट एक्सपेटेशन्स (दिसंबर 2022 में प्रकाशित) के अनुसार मौजूदा आयकर प्रावधानों के मुताबिक अभी इंडिविजुअल टैक्सपेयरस् को निर्धारित अलग-अलग स्लैब-रेट के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा है। सबसे ऊंचा स्लैब-रेट(सरचार्ज और सेस को शामिल करते हुए) 42.74 प्रतिशत का है जो 5 करोड़ रूपये से ज्यादा की सालाना आय पर लगता है। (Union Budget 2023)

वित्तवर्ष 2017-18 के बाद से व्यक्तिगत आयकर के दर बदले नहीं हैं(न्यू टैक्स रिजिम जिसमें सेक्शन 87A के तहत दिया जाने वाला टैक्स-रिबेट लागू नहीं होता वित्तवर्ष 2020-21 में आया था)। Deloitte की नई रिपोर्ट के मुताबिक ऊंची महंगाई को देखते हुए वेतनभोगी टैक्सपेयर्स के हाथ क्रयशक्ति के मामले में मजबूत करने की जरूरत है और इस नाते टैक्स-स्लैब में दर्ज अधिकतम 30 प्रतिशत की टैक्स-रेट को घटाकर 25 प्रतिशत पर लाना उचित रहेगा। (Union Budget 2023)

इसी तरह अधिकतम टैक्स-रेट की थ्रे`शोल्ड लिमिट 10 लाख रुपए सालाना की आमदनी से बढ़ाकर 20 लाख रूपये सालाना की आय करना युक्तिसंगत होगा। ऐसा करने पर सरकार निजी आयकर-दाताओं को राहत देने के मोर्चे पर अधिकतम टैक्स के सबसे ऊंचे स्लैब-रेट (सरचार्ज और सेस को शामिल करते हुए) को घटाकर 35.62 प्रतिशत पर ला सकती है। याद रहे कि आर्थिक विकास के मामले में जिन जगहों की बार-बार दुहाई दी जाती है, जैसे हॉन्गकॉन्ग (17 प्रतिशत) और सिंगापुर (22 प्रतिशत), वहां अधिकतम इनकम टैक्स-रेट 30 प्रतिशत से कम है। (Union Budget 2023)

राहत देने का एक दूसरा मोर्चा भी है। वित्तमंत्री चाहें तो नये बजट में आयकर के विभिन्न सेक्शन्स के अंतर्गत करयोग्य आमदनी पर मिलने वाले डिडक्शन की सीमा बढ़ा सकती है। अभी सेक्शन 80 सी के अंतर्गत इंश्योरेन्स प्रीमियम, प्रोविडेन्ट फंड के लिए किये जाने वाले निवेश तथा कुछेक इक्विटी शेयर्स की खऱीद के एवज में अधिकतम 1,50,000 रूपये की रकम को करों के दायरे से बाहर रखा गया है। महंगाई के कारण उपभोग-स्तर को एक सम्मानजनक स्तर तक बनाये रखना हाल के सालों में मुश्किल हुआ है। अगर सरकार सेक्शन 80सी के तहत दी जाने वाली छूट की सीमा बढ़ाती है तो इसका दोहरा फायदा होगा। एक तो वेतनभोगी तबका आमदनी का ज्यादा हिस्सा बचत में डाल सकेगा और उसके हाथ की क्रयशक्ति भी बढ़ेगी। (Union Budget 2023)

यही बात आयकर कानून के सेक्शन 80D तथा 80TTA के बारे में कही जा सकती है। मिसाल के लिए अभी 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के रूप में अधिकतम 25 हजार रुपए के डिडक्शन का दावा किया जा सकता है (वरिष्ठ नागरिक होने की स्थिति में अधिकतम 50 हजार रूपये)। चिकित्सा पर होने वाला खर्च हाल के वर्षों में बढ़ा है, सो इस सेक्शन के अंतर्गत करयोग्य आय में राहत देने के लिए डिडक्शन की सीमा बढ़ाना युक्तिसंगत होगा। (Union Budget 2023)

सेक्शन 80TTA में किसी व्यक्ति या अविभाजित हिन्दू परिवार को बैंकों, डाकघर तथा को-ऑपरेटिव सोसाइटीज में जमा की गई रकम पर हासिल 10 हजार रुपए तक के ब्याज को करमुक्त रखा गया है। चूंकि बचत की रकम पर ज्यादा ब्याज कमाने के लिए लोग सावधि जमाओं(फिक्स्ड डिपाजिट) आदि में रखना ज्यादा बेहतर समझते हैं इसलिए उन्हें राहत देते हुए इस सेक्शन के तहत भी करयोग्य ब्याज की अधिकतम सीमा बढायी जा सकती है। (Union Budget 2023)

संक्षेप में कहें तो बैंकों में बचत की रकम बढ़ाना और उपभोक्ता की क्रयशक्ति को मजबूत करना अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए अच्छा होगा और इस एतबार से सरकार वेतनभोगी वर्ग को आयकर के मामले में मुख्य रूप से दो मोर्चों पर राहत दे सकती है। (Union Budget 2023)