TS सिंहदेव का जन्मदिन आज : CM भूपेश ने बड़ा भाई संबोधित करते हुए सिंहदेव को दी जन्मदिन की बधाई….जवाब में ट्वीट कर टीएस बोले……जनिए बाबा ने कैसे राजमहल से तय किया राजनेता तक का सफर…पढ़े पूरी ख़बर……

TS सिंहदेव का जन्मदिन आज : CM भूपेश ने बड़ा भाई संबोधित करते हुए सिंहदेव को दी जन्मदिन की बधाई….जवाब में ट्वीट कर टीएस बोले……जनिए बाबा ने कैसे राजमहल से तय किया राजनेता तक का सफर…पढ़े पूरी ख़बर……

रायपुर 31 अक्टूबर 2021। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव आज अपना जन्मदिन मना रहे है। स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव को मुख्यमंत्री ने भी अपनी शुभकामनाएं दी है। सिंहदेव को बड़ा भाई संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर बधाई दी है। तो वही मुख्यमंत्री के ट्वीट पर रिट्वीट कर स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने आभार जताया है।

मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर सिंहदेव को जन्मदिन की बधाई देते हुए लिखा है….“मेरे अग्रज और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री टी. एस. सिंहदेव जी को जन्मदिन की जन्मदिन की बधाई एवं शुभकामनाएं।आपके सुदीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की कामना करता हूँ।”

मुख्यमंत्री के इस शुभकामना का जवाब भी सिंहदेव की तरफ से तुरन्त आया है। भूपेश भाई संबोधित करते हुए सिंहदेव ने रिट्वीट किया है…

पढ़िए सरगुजा रियासत से सिंहासन तक का सफर

त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव वह नाम जिसने कांग्रेस का जन घोषणा पत्र तैयार कर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की आंधी चलाई. 31 अक्टूबर 1952 को जन्मे टीएस सिंहदेव  सरगुजा महाराज मदनेश्वर शरण सिंह देव और राजमाता देवेन्द्र कुमारी के पुत्र हैं. इनके विषय में आप ने अब तक इनकी अमीरी के किस्से बहुत सुने होंगे. लेकिन हम आपको इनकी विरासत के अद्भुत वैभव की जानकारी देने जा रहे हैं.

राज परिवार में जन्मेसिंह देव ने भोपाल के हमीदिया कालेज से इतिहास विषय में एमए किया है. सरगुजा रियासत के महाराजा टीएस सिंहदेव के राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1983 में अंबिकापुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष  चुने जाने के साथ हुई. वह 10 साल तक इस पद पर बने रहे. सिंह देव अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. सिंह देव 2008 से लगातार अंबिकापुर से जीतते हुए आ रहे हैं.

 500 करोड़ से अधिक संपत्ति के मालिक हैं. 31 अक्टूबर 1952 को इलाहाबाद में पैदा हुए सिंहदेव के पिता अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव थे. सिंहदेव इतिहास में स्नातकोत्तर हैं. सिंहदेव ने कई सालों तक खुद को राजनीति से दूर रखा. उन्होंने कांग्रेस ज्वॉइन ( की और 1983 में अविभाजित मध्य प्रदेश में राज्य कांग्रेस कमेटी  के सदस्य बने. सिंह देव की कांग्रेसियों को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका है. सरल स्वभाव के कारण ये सबकी पसंद हैं.

गांधी परिवार से भी सिंह देव का पुराना रिश्ता

अब बात करते हैं राजनैतिक रसूख और अनुभव की तो आपको बता दें कि सिंहदेव के लिये यह सब बिल्कुल भी नया नहीं है. वह बचपन से इस स्तर की राजनीति देखते आ रहे हैं. क्योंकि इनके पिता अविभाजित मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य के मुख्य सचिव थे. वहीं, माता जी के मंत्री के रहने का अनुभव इनके साथ जुड़ा है. गांधी परिवार से भी सिंह देव का काफी पुराना नाता है. एक बार पण्डित जवाहर लाल नेहरू एक रैली निकालने इलाहाबाद आये थे. तब उनके बगल से खुली छत वाली लाल स्पोर्टिंग कार फर्राटे भरती निकल गई.

अपनी रैली के लिए नेहरूजी वैसी ही गाड़ी चाहते थे. लिहाजा अफसरों से उस गाड़ी का पता लगाने को बोले. तब पता चला कि वह गाड़ी वहां अध्ययनरत उनके अभिन्न मित्र सरगुजा महाराजा रामानुज शरण सिंहदेव के पोते टीएस सिंह के पिता मदनेश्वर शरण सिंह की है. गाड़ी मंगाई गई, शानदार रैली हुई. रात डिनर पर सरगुजा के हिज हाईनेस महाराजा रामानुज शरण सिंहदेव के कार वाले ‘पोते’ के न दिखने पर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की. पता चला कि वह आमन्त्रित ही नहीं हैं.

 

तब नेहरूजी ने कहा कि उनके आने तक वह इन्तजार करेंगे. सकते में आया पूरा प्रशासनिक अमला उनका पता लगाते सिनेमा हॉल पहुंचा. शो रुकवा कर एनाउंस करा कर ढूंढ़ा. नेहरूजी के सामने ला कर उन्हें खड़ा कर दिया था. जिसके बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनका हाल-चाल जाना और फिर दोनों ने खाना खाया. छत्तीसगढ़ में सिंहदेव ने शुरू से ही कांग्रेस के लिये कैडर बेस्ड काम किया है.