( traditions and Myth): यहां शादी के बाद होती है, प्राईवेट पार्ट की पूजा, दूल्हे व बरातियो का स्वागत गालियां देकर किया जाता है।
(traditions and myth): Here it is after marriage, the private part is worshiped, the groom and the bridesmaids are welcomed by abusing.




NBL,. 18/02/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.. जयपुर. भारत में अनेक तरह की परंपराएं (traditions) हैं। कई ऐसी मान्यताएं (Myth) हैं जिनके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती है तो कुछ परंपराएं बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती हैं, पढ़े विस्तार से...।
देशभर में 18 मार्च को होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसी मौके पर हम आपको एक ऐसी परंपरा के बारे में बता रहे हैं जिसे जानने के बाद आप भी हैरान हो जाएंगे। दरअसल, राजस्थान में शादी को लेकर कई तरह की प्रथाएं हैं लेकिन पाली जिले के एक कस्बे बूसी में ऐसी शादी होती है जो इस गांव के लोगों के लिए चर्चा का विषय होती है। यहां शादी की रात के बाद दूल्हे और दुल्हन बिछड़ जाते हैं। इसके साथ ही पूरा गांव दूल्हे और दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की पूजा करते हैं।
क्या है मान्यता...
इस शादी के लिए पूरे गांव में निमंत्रण दिया जाता है। जो लोग बाहर हैं उन्हें कार्ड सोशल मीडिया के माध्यम से दिए जाते हैं। इस गांव में शिव और पार्वती का एक मंदिर है। इस मंदिर में प्रतिमा है उसे मौजीराम जी और मौजनी देवी के नाम से जानते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि मौजीराम भगवान शिव का रूप हैं जबकि मौजनी देवी माता पार्वती की।
क्यों करते हैं प्राइवेट पार्ट की पूजा...
यहां शादी के बाद दूल्हे और दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जिन दंपतियों की कोई संतान नहीं होती हैं और वो पूजा करती हैं उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। वहीं, दूसरा तर्क यह भी दिया जाता है कि इस पूजा के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों तो सेक्स एजुकेशन पर जोर दिया जाता है।
गालियां भी दी जाती हैं...
इसके अलावा इस शादी में दूल्हे का स्वागत गालियां देकर किया जाता है। यहां पहले मौजीराम की प्रतिमा की रीति-रिवाज के साथ पूजा की जाती है। उसके बाद उनके प्राइवेट पार्ट को सजाया जाता है। उसके बाद मौजीराम को गांव के युवक अपने कंधे पर बिठाते हैं इस दौरान गालियों के शोर के साथ बिंदौली निकाली जाती है। इसके बाद उस प्रतिमा को पूरी तरह से सजाया जाता है। यहां से नाचते गाते हुए दू्ल्हा बने मौजीराम, दुल्हन मौजनी देवी के घर पहुंचते हैं। इस दौरान महिलाएं फूल बरसा कर उनका स्वागत करही हैं औऱ इस दौरान गालियां भी देती हैं। गालियां गानों के माध्यम से दी जाती हैं।
सुहागरात के बाद बिछड़ जाते हैं...
यहां रीति-रिवाज के साथ दूल्हे औऱ दुल्हन के सात फेरे कराए जाते हैं। फेरों के बाद सुहागरात होती है। उसके बाद फिर बारात वापस लौट आती है। ऐसा कहा जाता है कि यह परंपरा कई सालों से चली आ रही थी लेकिन बीच में इसे अश्लील बताते हुए बंद कर दिया गया था लेकिन गांव में किसी तरह का कोई अनिष्ट नहीं हो इस कारण से इस पूजा को फिर से शुरू कर दिया गया है।