अंग्रेजी ब्रिटिश शासन ने 1947 में भारत की आजादी को इस शंका से देखना शुरू किया कि ये भारतीय लोग भारत को कैसे नियंत्रित करेंगे, क्योंकि इनका कोई ठोस संविधान नहीं है, लेकिन 1950 में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान डॉ भीम राव अंबेडकर द्वारा लाया गया था ,तब हम उस रूप को गणतंत्र कहते हैं, उसी से हम भारतीय को पूर्ण मुक्ति मिली.
The English British rule started looking at India's




NBL, 26/01/2022, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: The English British rule started looking at India's independence in 1947 with a doubt that how these Indian people will control India, because they do not have any solid constitution, but in 1950 the world's largest constitution was brought by Dr. Bhim Rao Ambedkar Then we call that form a republic, from that we Indians got complete freedom.
भारत देश के वीर सपूत ने अपना बलिदान देकर ब्रिटिश अंग्रेज शासन से मुक्ति 15 अगस्त 1947 को पा लिया और भारत माँ मातृ भूमि के वीर सपूत ने अपने बलिदान देकर कर्ज अदा कर दिया, और उसका नाम दिया हम सब भारतीय आज से अंग्रेज सरकार के चन्गुल से आजाद है, स्वतंत्र है। इसलिए 15 अगस्त को हम सब भारतीय स्वतन्त्रता दिवस के रूप में जश्न मनाते है, उस वीर बलिदानी महापुरुष को याद करते हैं, पढ़े आगे विस्तार से...
अंग्रेज ब्रिटिश सरकार के कब्जे से भारत देश को आजादी तो मिल गया, लेकिन इस विशाल भारत को सम्भालने के लिए देश के पास कोई ठोस कानून संविधान नहीं था, इसी बात पर अंग्रेजी हुकूमत हँसते थे, और कहते थे अनपढ़ गवार इंडियन कैसा सरकार चलायेगा और कैसे अपने देश के लोगों को न्याय दे पायेगा, क्योकि भारत देश में अनेक प्रकार के धर्मो का निवास स्थान है, जो अलग अलग रीति रिवाजों को मानती है। ये इंडियन आपस में ही लड़ मरेंगे, ये उन अग्रेजो का सोच विचार इस भारत देश के आवाम के लिए इतना घटिया सोच था, लेकिन भारत माँ अपने गोद में ऐसा सपूत को पैदा किया था, जिसका नाम भीम राव अम्बेडकर था, जो उस वक्त का न्याय देवता के रूप मे भारत मातृ भूमि की रक्षक बन कर देश वासियों के लिए 1950 में संविधान संशोधन कानून लाया जो विश्व का सबसे बड़ा संविधान के लिए जाना जाता है, जो अंग्रेज हँसते थे उनके मुह में तमाचा मारा गया, देश के न्याय देवता डा. भीम राव अम्बेडकर जी के द्वारा।
भीम राव अम्बेडकर जी के संविधान कानून को देखकर अंगेजी हुकूमत भौचक्के में पड़ गया और पूर्ण रूप से भारत भूमि को ब्रिटिश अंगेजो को छोड़ना पड़ा दुम दबा के भागना पड़ा क्योकि भीम राव अम्बेडकर जी का संविधान सर्व धर्म समाज के लिए उपयोगी था, देश को सम्भालने के लिए, इतना आसान नहीं था देश को अग्रेजी हुकूमत के चन्गुल से आजाद करना लेकिन भारत माँ मातृ भूमि अपने गोद में एक से बढ़कर एक महापुरुष को पैदा किया जो अपने मातृ भूमि का लाज बचाई, उनमें से एक भीम राव अम्बेडकर जी है, जो दलित समाज के होते हुए भी अन्य उच्च समाज के लोगों के लिए एक वरदान स्वरूप साबित कर दिया भारत देश के सभी वर्गो को संविधान कानून देकर, उस समय काल के लिए भीम राव अम्बेडकर जी हम सभी भारतीयो के लिए न्याय महापुरुष है।
असल में असली स्वतंत्रता भारत को अंगेजो से 26 जनवरी 1950 को ही मिला और इसे हम सभी देशवासियों गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते है, 26 जनवरी का दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास होता है। यह दिन भारतीय नागरिकों की लोकतांत्रिक रूप से अपनी सरकार चुनने की शक्ति को दर्शाता है। भारत के इतिहास में यह दिन कई तरह से महत्वपूर्ण है।
दरअसल, हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन पूरे देश में संविधान लागू किया गया है। 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही भारत को पूर्ण गणराज्य घोषित किया गया था। यही वजह है कि हर साल इस खास दिन की याद में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। साल 1947 में भारत को मिली आजादी के बाद इसे लोकतांत्रिक बनाने के मकसद से देश का संविधान बनाना शूरू किया गया। 2 साल 11 महीने और 18 दिन में बनकर तैयार हुए भारत के संविधान को 26 नवंबर, 1949 में देश की संविधान सभा ने स्वीकार किया। इसके बाद अगले ही साल 26 जनवरी, 1950 को पूरे देश में यह संविधान लागू किया गया था।
* दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान....
आजादी के साथ ही देश के लिए एक संविधान की जरूरत भी महसूस हुई। ऐसे में इसे बनाने के लिए एक संविधान सभा का गठन हुआ था। इस सभा ने 9 दिसंबर, 1946 से संविधान बनाने का काम शुरू किया। भारत की इस संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। जबकि संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। डॉ. अंबेडकर ने भारत के संविधान को बनाने में एक अहम भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से उन्हें संविधान निर्माता भी कहा जाता है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसे बनाने में पूरे 2 साल, 11 माह, 18 दिन लगे थे। इसके बाद 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को देश का संविधान सौंपा था। यही वजह है कि हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बड़ी कठिनाई से देश को आजादी दिलाई हमारे पूर्वजों ने अपने बलिदान देकर और आज इसी भारत के अंदर राजनीतिक नेता लोग तोड़ फोड़ की राजनीति करते हैं, और देश के आपसी भाईचारा बढाने के बजाय इन आपसी भाईचारे को खंड खंड करने में लगा हुआ है, क्या मिलेगा ऐसा करके केवल आप राजनीतिक नेता को सत्ता सुख के सिवाय क्या हासिल हो सकता है, लेकिन अपने ही देश के भाई बहनो के आशियाना उजाड़ कर क्या आपको अंदुरनी सुख मिलेगा, इस पर विचार जरूर करें।।जय हिंद।।