सामाजिक समरसता की समरसता से ही देश विकास की ओर अग्रसर होगा, पूरे समाज को प्रेम के मात्र ढाई अक्षर चाहिए।
The country will move towards development only




NBL, 15/02/2023, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: The country will move towards development only with the harmony of social harmony, the whole society needs only two and a half letters of love.
देश दुनिया के इंसानो के साथ एक धर्म जुड़ा हुआ है, कोई हिंदू है कोई मुस्लिम कोई सिक्ख कोई ईसाई, तो कोई बौद्ध, जैन फ़ारसी है, और इन सभी धर्मो के मानने वाले लोग अपने अपने धर्म का सम्मान व रक्षा करते हैं, लेकिन यह सब एक धर्म एक व्यक्ति पर लागू होता जिस धर्म को वह मानता है, लेकिन एक धर्म सर्व धर्मो के लोगों को एक साथ जोड़ती है, वह है समरसता का भाव जिसमें केवल और केवल प्रेम का ही प्रवाह बहती है, जो केवल मानवता वादी जन कल्याण को बल देती है, यह प्रेम का कोई एक रूप नहीं है, ना ही एक धर्म है, यह प्रेम सबके लिए समान रूप से स्थिर है, जो सर्व धर्म समाज के लोगों को एक साथ जोड़ती है। इसको पाने के लिए आपको सहज आचरण को व्यवहार में लाना होगा। जो समरसता का प्रेम है वह सभी मतभेदों को मिटा देती है।
समाज एक गत्यात्मक संस्था है, जो शाश्वत प्रगति एवं भाईचारे के पथ पर अग्रसर होकर अपने समस्त घटकों की खुशहाली सुनिश्चित करती है, समतापरक सुसंस्कृत समाज का निर्माण, संचालन एवं अस्तित्व किसी व्यक्ति, जाति, वर्ण, वर्ग या समुदाय विशेष के योगदान से नहीं होता है। समाज की संपूर्णता एवं सजीवता के निमित्त प्रत्येक व्यक्ति की खुशहाली, सहभागिता एवं समर्पण बेहद जरूरी है, चाहे वह किसी भी जाति, संप्रदाय, वर्ण या समुदाय का हो।
आज देश को और ज्यादा सुखी समृद्धि देश बनाना है तो समरसता को लाना बेहद जरुरी है, भारत देश सर्व धर्म वाले देश है, यहाँ अगर हिंदू धर्म के लोग कट्टर हिन्दू वादी बन जाता हैं, तो मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए नागवर हो जायेगी और ऐसे तो देश में बहुत से धर्म समाज के लोग है, अगर हिंदू व मुस्लिम समुदाय के लोग अपने धर्म कट्टरता दिखायेगा तो देश में अराजकता और भेद भाव का विस्तार होगा और छोटे छोटे बातों को लेकर एक दूसरे मे विवाद पैदा हो जायेगी तो देश इन्ही सब में उलझ कर रह जायेगी तो देश कहाँ से तरक्की कर पायेगा जैसे आज उलझा कर रख रहे हैं देश के बहुत से धर्म गुरुओ ने व देश के बहुत से राजनीतिक दलों के नेताओं ने।
आज भारत तरक्की की ओर अग्रसर हो रहा है, आज भारत का विकास पूरे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को दिख रहा है, और भारत की समरसता व भाईचारे को देखकर ही तो पुरा विश्व हमारे देश के साथ व्यापार व्यवसाय करना चाहते हैं, अगर भारत देश में धर्म के नाम पर जाति पंथ के नाम पर लड़ाई झगड़े होता देख कर कौन यहाँ व्यापार व्यवसाय करना चाहेगा। और फिर पाकिस्तान व श्री लंका जैसे बुरे दिन हम भारतवासियों को भी देखना पड़ेगा इसलिए देश का माहौल खराब मत करो मेरे प्यारे देशवासियो इन धर्म गुरुओ व इन राजनीतिक नेताओं को क्या फर्क पड़ने वाले है, इनके पास तो अथाह धन है, और इन भड़काऊ भाषण देने वाले राजनीतिक नेताओं से बचो इनके राजनीतिक फ़ायदा के लिए अपने आप को मत ढकेलो इनके राजनीतिक दलदल में जो खुद इनके अपने नीति नियत व नियम देश हित में नही है, केवल और केवल वोट बैंक की राजनीति करते हैं।
हमारी भारत भूमि संतों मुनियों और राष्ट्रभक्तों के खून पसीने से सींची गई तपोभूमि है। जिसने दुनिया को समरसता का संदेश दिया। भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता ही यही है कि ये किसी इंसान या प्राणी में परायापन नहीं देखती सभी को एक समान मानती है। वसुधैव कुटुंबकम हमारा संस्कार आदिकाल से है। सामाजिक समरसता हमारे देश की संस्कृति है। ऐसा पर्व-त्योहार व पारिवारिक महोत्सव में स्पष्ट दिखाई पड़ता है। सभी जाति धर्म के लोग एक-दूसरे के समारोह में शामिल होकर खुशियां बांटते हैं।
हम सभी भारत वासी मानवता वादी दया ममता व प्रेम रखने वाले लोग है, और भारत माँ जैसे पवित्र स्थान हमको अगर ईश्वर ने स्थान दिया है, इसका लाज बचाना व इस मातृ भूमि का सम्मान करना हमारे मूल अंतः करण में होनी चाहिए और देश को प्रगति खुशहाल उन्नत शील देश बनाना है हमारे भारत माँ भूमि को, और सर्व धर्म के लोगों के अंदर एक दूसरे के प्रति सम्मान करना होगा हमें और समरसता का भाव भरे प्रेम लानी होगी हमें फिर देश की तरक्की कोई नहीं रोक सकता।