अर्थी पर शव रखने से पहले हुआ चमत्कार: डॉक्टरों ने घोषित कर दिया था मृत... मां बच्चे को पुकारती रही.... उठ जा मेरे बेटे… मत जा मुझे छोड़के…. फिर हुआ ये.... अंतिम संस्कार की तैयारियों के बीच जिंदा हुआ सात साल का मासूम.....

अर्थी पर शव रखने से पहले हुआ चमत्कार: डॉक्टरों ने घोषित कर दिया था मृत... मां बच्चे को पुकारती रही.... उठ जा मेरे बेटे… मत जा मुझे छोड़के…. फिर हुआ ये.... अंतिम संस्कार की तैयारियों के बीच जिंदा हुआ सात साल का मासूम.....


बहादुरगढ़। अस्पताल में मृत घोषित किए गए बच्चे की सांसें दोबारा चलने लगी। शरीर में हरकत देखकर उसे रोहतक के अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसके बाद वह स्वस्थ होकर वापस घर लौट आया। आस-पड़ोस के लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा है लेकिन बच्चे के जिंदा होने से परिवार समेत सभी लोग बेहद खुश हैं। हरियाणा के बहादुरगढ़ में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। कुनाल शर्मा को 26 मई को दिल्ली के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। कुनाल को टायफाइड हुआ था। 

 

अस्पताल ने शव पैक करके पिता हितेश और मां जानवी को सौंप दिया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था और वे शव को घर वापस ले आए। अपने जिगर के टुकड़े के चले जाने पर मां जानवी बुरी तरह रो रही थी और अपने बेटे को हिला-हिलाकर वापस आने को कह रही थीं। अंतिम संस्कार की तैयारियों के बीच अचानक बच्चे की सांसें वापस लौट आने की घटना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। 25 मई को कुनाल को दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया। मगर हालत लगातार बिगड़ती चली गई। 

 

आखिर में उसकी सांस लगभग थम चुकी थी। डाक्टरों ने परिवार को बोला कि कुनाल को वेंटीलेटर पर रखना पड़ेगा, मगर कोई उम्मीद नहीं है। परिवार की भी आंखे भर आई थीं। बच्चे को मृत मानकर परिवार घर ले आया। परिवार के मुखिया ने कहा कि 'हम अस्पताल से घर लौटे ही थे। मेरे पास हितेष का फोन आया कि कुनाल की जिंदगी आधे घंटे की बची है। हम हड़बड़ा गए। फिर आधे घंटे बाद फोन पर हितेष ने कहा कुनाल नहीं रहा। परिवार में चीख पुकार मच गई। देर शाम का वक्त था। 

 

परिवार के मुखिया ने कहा कि हमने बर्फ का इंतजाम करना शुरू किया, क्योंकि रात भर मृत देह को बिना बर्फ कैसे रखते। मुहल्ले के लोग आ गए। मेरे एक रिश्तेदार का फोन आया कि इस वक्त बहादुरगढ़ के राम बाग श्मशान घाट में बच्चे का अंतिम संस्कार (दफनाने की क्रिया) हो सकेगा क्या। अगर वहां नही होगा तो दिल्ली में ही करना पड़ेगा। रात भर घर में रखने से पूरा परिवार और ज्यादा दुखी होगा।' कुनाल को दिल्ली में दफनाने पर विचार हो रहा था, मगर बच्चे की दादी यानी मेरी पत्नी आशा रानी ने कहा कि मुझे अपने पौते का मुंह देखना है। उसे घर ले आओ। लिहाजा हम उसे एंबुलेंस से घर लेकर आ गए। जब एंबुलेंस से कुनाल को मेरे बड़े बेटे की पत्नी अन्नु शर्मा ने उठाया तो उसे कुछ धड़कन महसूस हुई। उसके इतना कहते ही हमने बच्चे को फर्श पर लिटाया और उसको मुंह से सांस देनी शुरू कर दी। मैंने और मेरे दोनों बेटों ने उसको खूब जोर-जोर से सांस दी। इतने में कुनाल के शरीर में हलचल शुरू हो गई।