CG:बेमेतरा जिले के नवागढ़ के किसान किशोर ने उड़द के साथ उगे खरपतवार सुलवारी को बेचकर कमाए 5 हजार

CG:बेमेतरा जिले के नवागढ़ के किसान किशोर ने उड़द के साथ उगे खरपतवार सुलवारी को बेचकर कमाए 5 हजार

औषधीय गुणों के कारण कई दवा कम्पनियों की है डिमांड
संजूजैन:7000885784
बेमेतरा:जिले के नवागढ़ के युवा प्रगतिशील किसान किशोर राजपूत ने उड़द के खेत में प्राकृतिक रूप से उगे खरपतवार सुलवारी को बेचकर 5 हजार रुपये की आमदनी प्राप्त की है। एक एकड़ में 50 किलो बीज मिला जो 100 रुपये किलो की दर से बिका हैं ऑनलाइन शॉपिंग में 380 से 420 रुपये किलो में बिक रहा है।

किशोर राजपूत ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में गोबर धन  निर्माण के बाद उसके ऊपर जो घास लगाया जाता है उसे ही सुलवारी कहते हैं  जो एक वार्षिक वनस्पति है बारिश के मौसम में स्वत: ही उग आती है और अक्टूबर - नवम्बर तक पक कर तैयार हो जाती है।

सुलवारी का पौधे की ऊंचाई 4 से 6 फिट होती है।यह एक बहुशाखीय पौधा होता है इसकी मुख्य रूप से दो प्रजातियां देखी जा सकती है। एक लाल रंग के तने वाली और दूसरी हरे रंग के तने वाली इसके पौधे पर बहुत ही सुन्दर गेहूं की बालीनुमा मखमली पुष्प आते हैं जो नीचे की ओर सफेद रंग के एवं शीर्ष पर कुछ गुलाबी रंग लिए हुए होते हैं इस के पुष्पों का उपयोग घर की सजावट में फूलदानों को सजाने के लिए किया जा सकता है।इस के पुष्प सूखने के बाद एक साल तक खराब नहीं होते हैं । सूख जाने पर भी फूल ताजा प्रतीत होते हैं। इस की बालीनुमा फूलों में ही इस के बीज बनते हैं जो गहरे नीले रंग के राजगिरा (राम दाना) के बीज के समान गोल और बहुत छोटे होते हैं। 


इस पौधे का संपूर्ण भाग अर्थात पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फूल और बीज) विभिन्न बीमारियों की औषधीयों के निर्माण में उपयोग किया जाता है इसकी पत्तियों की सब्जी बहुत स्वादिष्ट और गुणकारी होता है।

*आयुर्वेदानुसार इनके गुणधर्म निम्न हैं*

सुलवारी के बीज -- शीतल, अतिसार शामक,कामोत्तेजक, मूत्रल एवं मृदुकारी होते हैं

सुलवारी के पत्ते ज्वर नाशक, बाजीकारक एवं शारीरिक कमजोरी को दूर करने वाले होते हैं।

सुलवारी के फूल श्वेत प्रदर,रक्त स्राव,आमातिसार,मुखव्रण,अर्श, मूत्रगत रोगों को दूर करने के गुण भी पाए जाते हैं!

*औषधीय प्रयोग और मात्रा की जानकारी*

बार बार पड़ने वाले मुँह में छाले :- अक्सर लोगों के मुँह में बार बार छाले हो जाते हैं कोई दवाई काम नहीं करता हैं तब की स्थिति में सुलवारी कुछ के बीजों का काढ़ा बनाकर सुबह शाम गरारे करने लाभ मिलता है।

*मधुमेह के रोग में हैं लाभप्रद* :-आधुनिकता के कारण आज अधिकांश लोगों को मधुमेह रोग हो गया है मधुमेह रोग में इसके बीजों का चूर्ण बनाकर 3 से 5 ग्राम सुबह शाम सेवन करने  में रक्त शर्करा मात्रा नियंत्रित  रहती है।

*बार बार पेशाब होने पर लाभदायक*:--बार-बार पेशाब की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए सुलवारी काफी लाभप्रद होता है इनके बीजों का काढ़ा बनाकर सुबह शाम 2से 4 चम्मच की मात्रा में लेना चाहिए।

*श्वेत और रक्त प्रदर में उपयोगी* :- महिलाओं में होने श्वेत और रक्त प्रदर में इसके फूलों का काढ़ा बनाकर 5 से 10 चम्मच की सुबह शाम पीने आराम मिलता है।

*जोड़ों में सूजन एवं दर्द में असरकारक*

बढ़ती उम्र में अक्सर जोड़ों में दर्द और सूजन होना आम बात हो गया है। जिसे आयुर्वेद की भाषा में संधिशूल कहा जाता है।संधिसूल में इसके पंचांग (फूल,फल, पत्ती, तना और जड़) को लेकर पत्थर पर पीसकर चटनी बनाकर जोड़ों के दर्द और सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन और दर्द में काफी लाभ होता है।

*बलवर्धक के रूप में* :- आज कल शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए मेडिकल स्टोर में न अनेक दवाई उपलब्ध हैं लोग कुछ भी खा रहे हैं जिसके बारे में उसे कुछ पता भी नही है। कमजोरी दूर करने में सुलवारी के बीज के चूर्ण की 500 मि.ग्रा. से 1 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ मिश्री मिलाकर सुबह शाम सेवन करना चाहिए।