CG बालोद:माता पिता के उपकारों को कभी भुलाया नहीं जा सकता... पारिवारिक जनों में नफरत व मनमुटाव बढ़ता जा रहा है- प्रेम व शांति का अभाव है..साध्वी मंजुला श्री जी मसा




संजू जैन:7000885784
बालोद:धर्म क्या है ? इसके बारे में परिभाषा टीकाकार देते हुए बताते हैं कि वस्तु का अपने स्वभाव में आ जाना ही धर्म है , आत्मा का अपने स्वभाव में ही आना ही अपना धर्म है| हम अपने गुण स्वभाव में रहें , आज व्यक्ति बाह्य पदार्थों में लगा है , जिनको प्राप्त किया वह साथ में नहीं जाएगा- जिसको पाना था वहां किया नहीं | पानी का स्वभाव शीतलता है ,वैसे ही हमारी आत्मा का स्वभाव सरल होना चाहिए, मानव क्रोध छल कपट माया कर रहे हैं जो कि व्यक्ति का स्वभाव नहीं है, सरल ,शांत बनना ही व्यक्ति का स्वभाव है .उक्त बातें प्रवचन श्रृंखला के दौरान समता भवन बालोद में आज आचार्य रामेश की सुशिष्या साध्वी श्रीमंजुलाश्रीजी मसा.ने कहीं*
*आज फादर्स डे है सिर्फ एक दिन हमारे मनाने मात्र से यदि हम गुण में आ जाएंगे,बधाई व मिठाई खिलाकर फादर्स डे मनाना क्या सार्थक होगा ? सोचे कि क्या बहुत कुछ कर लिया है , माता पिता के प्रति क्या धर्म है ? उनका हमारे प्रति कितना उपकार है ? हम यह देखें कि माता-पिता के उपकारों को हम कभी भी भुला नहीं पाएंगे| अपने जीवन का व्यक्ति एक ऐसा गुण रखो कि विशिष्ट गुण पैदा हो, तो उस व्यक्ति को याद भी किया जाता है ! आज परिवारिक लोगों के बीच में देखा जाता है कि नफरत व मनमुटाव बढ़ता चला जा रहा है ! व्यक्ति मन को समझा ले ,धर्म कर लो, धन की आह लेकर अगले जन्म में पिक्चर साफ रहे , नहीं तो जो वर्तमान में परिवार से दूसरों का भोग भोगना पड़ रहे हैं वहीं बाद में कहीं भोगना ना पड़ जाए! हम देख रहे हैं जिंदगी में सामने सच आ रहे हैं और वह दिख रहा है! आज परिवारिक जनों को देखने के बाद भी प्रसन्नता दिख नहीं रही है ,आखिर क्या कारण है ? साध्वी जी ने कहा कि अपने को अपनी पिक्चर देखनी है दुआ ही जिंदगी को पार करेगी, व्यक्ति के जीवन में गुरु, माता- पिता का आशीर्वाद हमेशा बना रहे ऐसे कर्म करने चाहिए | गुणवान बने तभी धर्म के करीब आएंगे ,यह तभी होगा जब बड़ों का आदर देंगे तो उनका आशीर्वाद मिलेगा| आज घरों में कलह के नाम पर प्रेम , शांति दिख नहीं रही पा रही है जिंदगी में अपना गुण बढ़ाएं, घर को को स्वर्ग बनाएं जहां शांति होगी वहां विकास होगा जीवन को अच्छा बनाएं गुणवान बनाएं, निभे और निभाएं, रिश्तो को तोड़ने का प्रयास नहीं करें, तोड़ने में एक पल ही लगता है लेकिन उसे बनाने में बरसो लग जाते हैं | इसके पहले प्रवचन में साध्वी श्री सुनवनिधीजी महाराज साहब ने कहा कि श्रावक चुके नहीं धर्म से , धर्म आराधना से श्रेयस्कर सुखद शांति आनंददायी होता है, धर्म के बिना शांति नहीं है , धर्म श्रद्धा व समर्पन से किया जाना चाहिए, जिस प्रकार मोबाइल कुछ समय चार्ज करने के बाद दिनभर कार्य करता है ठीक उसी तरह 24 घंटे में एक समय निकालकर धर्म, प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए , धर्म का रस जीवन में उतरता है तो उसकी अच्छी अनुमति मिलती है , भगवान के मार्ग पर निरंतर हम चलें , धर्म को जीवन में उतारे, अपनी आत्मा को परमार्थ स्वरूप में ले जाना है तो धर्म की साधना आराधना करें, रग रग में समाहित करे, मोह नहीं फर्ज निभाएं|