CG:प्राकृतिक खेती द्वारा 50 ग्राम रागी से 1 क्विंटल हुआ उत्पादन...छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य है जहां पर कोदो कुटकी और रागी का समर्थन मूल्य पर खरीदी राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को मिलेट्स वर्ष घोषित किया है।




संजू जैन:7000885784
बेमेतरा:छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य है जहां पर कोदो कुटकी और रागी का समर्थन मूल्य पर खरीदी राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को मिलेट्स वर्ष घोषित किया है।
छत्तीसगढ़ राज्य देश का एक बड़ा लघु धान्य उत्पादक राज्य हैं। देशी बीजों का संरक्षण और संवर्धन के साथ साथ बाजार मांग के अनुसार गौ आधारित प्राकृतिक खेती करने वाले नगर पंचायत नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत ने 50 ग्राम रागी के बीज से 20 डिसमिल जमीन पर 100 किलो रागी उत्पादन लिया है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए किशोर राजपूत ने बताया कि परंपरागत कृषि पद्धति और देशी बीजों के महत्व को अब लोग समझने लगे हैं। रसायन युक्त अनाज को खाने से नाना प्रकार के रोग से पीड़ित होना अब आम बात हो गया है।
रागी पौष्टिक गुणों से भरपूर होती हैं। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व बहुत गुणकारी एवं विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं।
रागी के विभिन्न प्रसंस्कृत उत्पादों जैसे रागी के आटा, रागी लड्डू, रागी माल्ट बच्चों और बड़ों के लिए उत्तम आहार माना जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, विटामिन पाया जाता है।
*रागी के बीज के बुआई का तरीका*
रागी की बीज की बुवाई जून में किया गया जमीन 20 डिसमिल लगभग हैं जिस पर 50 ग्राम रागी के बीज को गौ मूत्र से उपचारित कर सीधे खेत में छिड़काव किया गया। खेत पहले से दो बार जुताई कर दिया गया था। बीज छिड़कने के बाद जब फूल और दाने आने लगे तब जमीन में नमी बनाए रखने के लिए एक बार सिंचाई किया गया। इससे बीजों के आकार अच्छे से बना और उत्पादन भी अधिक प्राप्त हुआ है।
*रागी की फसल में उर्वरक की मात्रा*
वैसे तो रागी के पौधों को उर्वरक की ज्यादा जरूरत नहीं इसकी खेती के शुरुवात में खेत की तैयारी के वक्त एक 50 किलो वर्मी कंपोस्ट खाद को खेत में डालकर अच्छे से मिट्टी में मिलाया था। इसके अलावा एक लीटर गौ मूत्र का छिड़काव किया गया।
*खरपतवार नियंत्रण के लिए निदाई*
रागी की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए एक बार निदाई गुड़ाई किया गया निदाई गुड़ाई करने से पौधों में लगने वाले पत्ती लपेटल रोग, चेपा रोग, सफेद कीड़ा, बालियों की सुंडी, भुरड रोग, जड़ सड़न रोग का प्रकोप नही हुआ।
*फसल की कटाई और मढ़ाई*
रागी के पौधें बीज रोपाई के लगभग 110 से 120 दिन के बाद कटाई के लिए तैयार हो गया। पैदावार और लाभ के दृष्टि से देखा जाए तो 50 ग्राम रागी से 20 डिसमिल जमीन पर 100 किलो रागी का उत्पादन प्राप्त हुआ है। लागत 1 हजार रुपए और आमदनी 2300 रुपए हुआ है।