CG:त्याग-तपस्या के साथ जैन समाज का महापर्व "पर्युषण पर्व" की शुरुआत... आज पर्युषण पर्व पांचवा दिन...जैन श्री संघ बीजा में मनाये भगवान महावीर स्वामी ने जन्म वाचन महोत्सव

CG:त्याग-तपस्या के साथ जैन समाज का महापर्व
CG:त्याग-तपस्या के साथ जैन समाज का महापर्व "पर्युषण पर्व" की शुरुआत... आज पर्युषण पर्व पांचवा दिन...जैन श्री संघ बीजा में मनाये भगवान महावीर स्वामी ने जन्म वाचन महोत्सव

संजु जैन:7000885784
बेमेतरा साजा (बीजा ) : 24 अगस्त से जैन धर्म का प्रमुख पर्व पर्युषण शुरू हो गया है  ये पर्व लगातार 08 दिनों तक चलता है। ये पर्व भाद्रपद मास की पंचम तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तिथि तक मनाया जाता है। इस साल जैन समाज का ये महापर्व 24 अगस्त से शुरू हुआ है जो कि 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। पर्युषण को जैन धर्म के लोग काफी महत्वपूर्ण त्योहार मानते हैं। जैन धर्म में पर्युषण को पर्वों का राजा कहा जाता है। ये पर्व भगवान महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है। साथ ही मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। इस महापर्व के जरिए जैन धर्म के अनुयायी उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम ब्रह्मचर्य के जरिए आत्मसाधना करते हैं। 

*त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर की,भगवान महावीर जन्म वांचन महोत्सव*

जैन श्री संघ बीजा में पर्युषण महापर्व के दौरान रविवार को पांचवें दिन भगवान महावीर के जन्म वाचन महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कल्पसूत्र का वाचन प्रारंभ हुआ। इसके पश्चात भगवान महावीर के माता त्रिशला के गर्भ में आने से पूर्व देखे गये चौदह स्वपनों की बोली लगाई गई जिसमे धर्म प्रेमियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। साथ ही बीजा महिला मंडल द्वारा जन्म कल्याण के गीत गाए।
बीजा में इस बार बाहर से आये है स्वाध्याय बहने पुष्पा जैन ओसतवाल कलंगपुर बालोद,अनिता बाफना लखनपुर कांकेर

*पर्युषण पर्व की अवधि*
जैन धर्म में पर्युषण को दशलक्षण के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, जैन धर्म में दो क्षेत्र हैं। एक दिगंबर और दूसरा श्वेतांबर। श्वेतांबर समाज 8 दिन तक इस त्योहार को मनाते हैं, जिसे अष्टान्हिका कहा जाता है। वहीं दिगंबर समाज जैन दस दिन तक पर्युषण पर्व को मनाते हैं, जिसे दसलक्षण कहते हैं। इस दौरान लोग ईश्वर के नाम पर उपवास करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।

कैसे रखते हैं पर्युषण का उपवास

जैन धर्म में उपवास यानी व्रत पर्युषण पर्व का एक महत्वपूर्ण अंग है। हिंदू धर्म के नवरात्रि की तरह ही ये त्योहार मनाया जाता है। शक्ति और भक्ति के अनुसार केवल एक दिन या उससे अधिक की अवधि तक व्रत रखा जा सकता है। वहीं सूर्यास्त के बाद वो भोजन नहीं करते हैं। 

पर्युषण पर्व की मुख्य बातें जैन धर्म के पांच सिद्धांतों पर आधारित हैं। जैसे- अहिंसा यानी किसी को कष्ट ना पहुंचाना, सत्य, चोरी ना करना, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह यानी जरूरत से ज्यादा धन एकत्रित ना करना।

मान्यताओं के अनुसार, पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्मावलंबी धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं। पर्व के दौरान कुछ लोग व्रत भी रखते हैं। पर्युषण पर्व के दौरान दान करना सबसे ज्यादा पुण्य का काम माना जाता है।