सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने समझाया- गुरु से क्या मांगना चाहिए...

सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने समझाया- गुरु से क्या मांगना चाहिए...
सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने समझाया- गुरु से क्या मांगना चाहिए...

सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने समझाया- गुरु से क्या मांगना चाहिए

पुरानी पद्धति छोड़ने की वजह से गृहस्थी की गाडी अब डिसबैलेंस होने लग गयी


उज्जैन (म.प्र.) : गृहस्थी सेट करने का उपाय बताने वाले, मीरा बाई जो गहरी अध्यात्मिक बातें बताती थी वो सब समझाने दिखाने अनुभव कराने वाले, वक़्त के पूरे सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 20 अक्टूबर 2020 सांय उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सत्य जो कभी खत्म नहीं होता है, सत्य सतपुरुष है। और जो उनके अधिकार को प्राप्त किए होते हैं, उनकी दया के भागीदार होते हैं, उनको सतगुरु कहा जाता है, वह सच हुआ करते हैं।

अंदर और बाहर दोनों एक तरह से होते हैं। कोई ऐसे भी होते हैं कि मुंह में राम, बगल में छुरी होता है लेकिन सतगुरु में ऐसा नहीं होता है। उनमें निर्मलता होती है। जो मुंह से निकलता है, बाहर से जो व्यवहार होता है, अंदर की तरफ भी उसी तरह का होता है। उनमें सच्चाई और निर्मलता होती है। उनके अंग पवित्र, विचार अच्छे होते हैं तो वह सतगुरु कहलाते हैं। गुरु बहुत तरह के होते हैं। गुरु-गुरु में भेद बताया गया लेकिन गुरु के जो अंग है, गुरु का जो शरीर है, गुरु का जो मन बुद्धि चित है वह अलग-अलग हुआ करता है। तो सच तो वह सतपुरुष मालिक है बाकी यह सब सपना है।

ये सब रंग ऊपरी लोकों के हैं

महाराज ने 4 नवंबर 2020 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि शादी ब्याह में लाल कपड़ा ही क्यों बनाया जाता है। यह जितने भी रंग लाल, पीला, नीला, हरा, सफेद आदि यह सब ऊपरी लोकों के रंग है। आपको दूसरे स्थान का स्वरुप, लाल ही बताया गया है। मीरा ने जब साधना किया, अंदर में सुरत चढ़ी, ऊपर निकली, जड़ शरीर को छोड़ा, सारे लोक से निकल कर दूसरे स्थान पर पहुंची तब देखा कि सब लाल ही लाल है। तब बोली, लाली मेरे लाल की, जित देखूं तित लाल, लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल। वहां तो सब लाल ही लाल है। लाल रंग शुभ माना गया है। शादी विवाह में, शुभ काम में लाल कपड़ा पहनाते हैं। वधु को लाल सिंदूर लगाते हैं। अन्य रंग का सिंदूर क्यों नहीं लगाते हैं? कहते एक बार पति मांग में जब सिंदूर भर दे तो वह उसकी हो जाती है।

जैसे गुरु जब शिष्य को अपना लेते हैं तो मोहर ठप्पा लगा देते हैं कि यह हमारा जीव हो गया तो उस पर किसी की नजर नहीं जाती है। ऐसे ही मांग में सिंदूर भरी औरतों की तरफ किसी की नजर नहीं जाती थी कि यह दूसरे की हो गई, यह ब्याहीता है। काला रंग अशुभ माना जाता है फिर भी यह बच्चियां, शुभ काम भी करेगी या कहीं शादी ब्याह में जाएगी तो आंखों में काजल लगाती है। रास्ते में ट्रकों के पीछे देखा होगा- बुरी नजर वाले, तेरा मुंह काला। अगर तू मेरी तरफ गलत नजर देखेगा तो जैसे हमारी आंखों में यह काजल काला है ऐसे ही तेरा मुंह काला हो जाएगा।

कहते हैं न दूसरे की औरत, कुंवारी लड़की के साथ मुंह काला कर लिया। ये जितनी भी चीजें हैं, इनका कोई न कोई अर्थ, महत्व है। मनचले लोगों ने पुरुष और औरत का सब बैरियर मर्यादा तोड़ दिया तो गाड़ी किधर भी जाए, कोई रोक-टोक नहीं। और जब गाड़ी इधर-उधर चली जाएगी, टकरा जाएगी तो एक्सीडेंट हो जाएगा। यदि बैरियर (संयम, मर्यादा, नियम) नहीं रहेगा तो गाडी तेजी से इधर-उधर चली जाएगी, भटक जाएगी, टूट जाएगी। तो इस समय पर बहुत से लोगों ने पुरानी पद्धति, पुरानी चीजों को जो छोड़ दिया है उससे अब गृहस्थी की गाड़ी डिसबैलेंस होने लग गई। ये तीज त्योंहार यही याद दिलाते हैं।

गुरु से क्या मांगना चाहिए

महाराज ने 4 दिसंबर 2022 प्रातः बावल रेवाड़ी (हरियाणा) में बताया कि गुरु जी हमको तो आप चाहिए। हम तो आपको चाहते हैं। आप हमेशा हमारे सिर पर सवार रहो। गुरु माथे पर राखिए, चलिए आज्ञा माहि, कहत कबीर ता दास को, तीन लोक भय नाहि। जो गुरु को मस्तक पर सवार रख करके चलता है, तीन लोक में उसके लिए कोई भय, डर नहीं हुआ करता है। लेकिन इस समय बगैर गुरु की दया के, गुरु को मस्तक पर कोई रख नहीं सकता है। इसलिए गुरु भक्तों को संकल्प बनाना चाहिए, गुरु से ही प्रार्थना करनी चाहिए कि गुरु जी! दया करो। आप मेरे मस्तक पर हमेशा सवार रहो। आपका ही यह मन, तन और धन दिया हुआ है, इससे जो चाहो, आप करा लो।

आप हमारे हृदय में बसे रहो। आप हमेशा साथ रहो, हमारा साथ मत छोड़ो। यही मांगना चाहिए। तो उसने यही मांगा। कहा, आप बस हमारे साथ, हमारे मस्तक पर सवार रहो, आप न उतरो। आप उतर जाओगे तो शुरू से ही हमको काल और माया बहुत भरमा रहे हैं लेकिन आप मिल गए तब से मेरा भ्रम और भूल धीरे-धीरे खत्म हो गया। और जब आपने अंतर में मुझे अपना रूप दिखा दिया, अपना लिया तो आप पर मुझको पक्का विश्वास हो गया। मैं समझ गया कि आप साधारण पुरुष नहीं हैं।

आप हमेशा हमारे साथ रहो। लेकिन आप जब कह रहे हो कि मांग ले तो यह आपकी दया मांग रहा हूं। लेकिन दुनियादारी की चीजें समझ कर के अपने दिमाग से मांगे तो आपसे यह मांग रहा हूं कि कलयुग में ऐसी परीक्षा किसी की मत लेना। कलयुग के जीव जल्दी परीक्षा में पास नहीं हो पाएंगे। प्रेमियों! आजकल तो कोई परीक्षा ही नहीं ले रहे हैं गुरु । गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव  ने कोई परीक्षा नहीं लिया। बहुत से लोग पहुंचे गुरु महाराज के पास। एक ही बार में नामदान दे दिया। समझ भी नहीं पाए थे।

पुराने लोगों ने आपको समझाया की भाई अनमोल चीज आपको मिली है जो रुपया, पैसा, धन-दौलत से खरीदी नहीं जा सकती है। तो तुम आत्म धन प्राप्त कर लो, जिस धन से सारे धन आपके पास आ जाएंगे। दुनिया का धन जहाँ खत्म हो जाता है वहां से अध्यात्म धन की शुरुआत होती है। वह चीज तुमको मिल गई है। फिर आप सुमिरन, ध्यान भजन करने लग गए। समझो आपको फ्री में कोई चीज जब मिल गई है तो अब इसकी कीमत आपको लगाना चाहिए।

गुरु महाराज ने नाम दान देते समय गुरु भक्ति की परीक्षा भी नहीं लिया। कोई लोटा, धोती, लंगोटी, अनाज, बिस्तर आदि कोई सामान भी नहीं मांगा। देखन में छोटा लगे, घाव करे गंभीर। लेकिन यह तो कहने का नाम दान है लेकिन नाम में बड़ी कीमत होती है। नाम में बड़ा प्रभाव होता है। नाम का बड़ा असर, बड़ी ताकत होती है। यह जो नाम गुरु महाराज ने दिया, बराबर नाम की कमाई करते रहने की जरूरत है।