राजनीति बहुत प्राचीन है और सदियों से यह राजनीति सुशासन और कुशासन दोनों के साथ चलती आ रही है, इस राजनीति में उदारता और क्रूरता दोनों का समावेश है।
Politics is very ancient and for centuries this politics has




NBL, 05/04/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: Politics is very ancient and for centuries this politics has been going on with both good governance and bad governance, this politics includes both generosity and cruelty. पढ़े विस्तार से....
राजनीति की सही परिभाषा क्या है? राजनीति दो शब्दों का समूह है राज+नीति (राज का अर्थ है शासन और नीति का अर्थ है सही समय और स्थान पर सही काम करने की कला), अर्थात किसी विशेष नीति के माध्यम से शासन करना या किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करना राजनीति कहलाता है। दूसरे शब्दों में जनता के सामाजिक और आर्थिक स्तर (सार्वजनिक जीवन स्तर) को ऊपर उठाना ही राजनीति है।
नागरिक स्तर या व्यक्तिगत स्तर पर किसी विशेष प्रकार के सिद्धांत और व्यवहार को राजनीति कहा जाता है। अधिक संकीर्ण अर्थ में, सरकार में पद प्राप्त करना और सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है।
आज हम कैसे विश्वास कर सकते हैं कि भारतीय राजनेता, व भारतीय राजनीतिक दलों के नेता बिना किसी छल, कपट और विनाश के विकास कर सकते हैं। देश के हित में कुछ न कुछ द्वेष रखकर दोहरे मापदंडों के माध्यम से सुशासन और कुशासन दोनों को चलाया जा रहा है। आज किसी भी राजनीतिक दल के नेता के पास सभी धर्मों को साथ लेकर उचित न्याय व्यवस्था और भाईचारे के साथ सरकार चलाने का अनुभव नहीं है। यह लेख एक सत्य घटना पर आधारित है, जिसे आप नकार नहीं सकते। आज के राजनीतिक दलों के लिए राम राज्य स्थापित करने की बात करना उचित नहीं है, क्योंकि आज भारतीय राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा भारतीय राज्यों में सुशासन और कुशासन दोनों चलाया जा रहा है, जिससे देश का लोकतंत्र खुश भी है और दुखी भी है।
पुराने समय में भी राजा-महाराजाओं के लिए बिना राजनीति के अपना राज्य चलाना बहुत मुश्किल था। कुछ राजा अपनी प्रजा के प्रति उदार होते थे, तो कुछ अपनी प्रजा के प्रति क्रूर। इसी तरह आज देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के बावजूद भी निर्वाचित राजनीतिक दलों के नेताओं में उदारता और क्रूरता दोनों ही देखने को मिलती है। देश के लोकतंत्र से पहले भी सत्ता राजाओं के पास होती थी और उनके हाथ में ही सारी प्रशासनिक शक्ति होती थी और प्रशासनिक शक्ति उनके लिए काम करती थी। राजाओं के आदेश पर अच्छे और बुरे दोनों तरह के प्रशासनिक कर्मचारी अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते थे, जिससे उनकी प्रजा को विकास और विनाश दोनों ही मिलते थे, यही स्थिति आज देश के लोकतंत्र में देखने को मिल रही है।
राजनीति का इतिहास अति प्राचीन है जिसका विवरण विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म ग्रन्थों में देखनें को मिलता है । राजनीति कि शुरुआत रामायण काल से भी अति प्राचीन है। महाभारत महाकाव्य में इसका सर्वाधिक विवरण देखने को मिलता है । चाहे वह चक्रव्यूह रचना हो या चौसर खेल में पाण्डवों को हराने कि राजनीति । अरस्तु को राजनीति का जनक कहा जाता है। आम तौर पर देखा गया है कि लोग राजनीति के विषय में नकारात्मक विचार रखते हैं , यह दुर्भाग्यपूर्ण है ,हमें समझने की आवश्यकता है कि राजनीति किसी भी समाज का अविभाज्य अंग है ।महात्मा गांधी ने एक बार टिप्पणी की थी कि राजनीति ने हमें सांप की कुंडली की तरह जकड़ रखा है और इससे जूझने के सिवाय कोई अन्य रास्ता नहीं है ।राजनीतिक संगठन और सामूहिक निर्णय के किसी ढांचे के बिना कोई भी समाज जीवित नहीं रह सकता ।