राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः मानव जाति, उसके द्वारा संगठित समाजों और इतिहास तथा ऐतिहासिक घटनाओं से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयत्न करता है,वह विभेदों को मिटाने के तरीके भी सुझाता है.

Political theory generally tries to answer questions

राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः मानव जाति, उसके द्वारा संगठित समाजों और इतिहास तथा ऐतिहासिक घटनाओं से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयत्न करता है,वह विभेदों को मिटाने के तरीके भी सुझाता है.
राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः मानव जाति, उसके द्वारा संगठित समाजों और इतिहास तथा ऐतिहासिक घटनाओं से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयत्न करता है,वह विभेदों को मिटाने के तरीके भी सुझाता है.

NBL, 06/06/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Political theory generally tries to answer questions related to the human race, the societies it organized and the history and historical events, it also suggests ways to eliminate differences.

रायपुर छ.ग: राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः मानव जाति, उसके द्वारा संगठित समाजों और इतिहास तथा ऐतिहासिक घटनाओं से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयत्न करता है। वह विभेदों को मिटाने के तरीके भी सुझाता है और कभी-कभी क्रांतियों की हिमायत करता है। बहुधा भविष्य के बारे में पूर्वानुमान भी दिए जाते हैं, पढ़े विस्तार से... 

आज राजनिति का भाषा ही बदल गया है, पहले अंग्रेजों व मुगलो के चंगुल से बचने के लिए देश के लोगों में एकता दिखाई पड़ता था और एक ही आन्दोलन किया जाता था देश से इन बाहरी विदेशी लुटेरे को देश से बाहर निकाल फेको और यह लड़ाई देश के सर्व धर्म समुदाय मिलकर लड़ते थे, और कामयाब भी हुए जो आज हम भारत वासी इसे कहते हैं भारत की स्वतंत्रता, और इस आजादी का महोत्सव मनाते है  15 अगस्त को। लेकिन क्या वाकई देश आज स्वतंत्र है??? 

आज भारत देश लोकतंत्र वाले देश है यहाँ एक संविधान है, प्रजा तंत्र खत्म हो गया है, और राजतंत्र भी अब जनमत के अनुसार देश मे एक प्रधान मंत्री और राज्यो के लिए मुख्य मंत्री चुनते है ताकि देश की राज पाठ सुचारु रूप से चल सके और देश के लोगों का बुनियदी जरूरतो को यह सरकार पूरी कर सके लेकिन आज  क्या बुनियादी जरूर पूरी हो रहा है?? देश जब से आजाद हुआ तब से आज तक भ्रष्टाचार व घोटाले हुए और देश के लोगों की बुनियादी जरूरतो को पुरा ना करके ये राजनीतिक नेता अपनी जरूरते पूरी की, जो ये विदेशी लुटेरों से कम नहीं। 

इन्ही राजनीतिक लुटेरों के वंशज आज देश मे नेतागिरी कर रहे हैं, और अपने राजनीतिक फायदे के लिए देश के लोगों के साथ खेल, खेल रहे हैं, धर्म के नाम पर जाति के नाम पर और कुछ देश के नासमझ लोग इनके साथ जुड़कर साथ भी दे रहे हैं, और देश को पुनः लुटने का घिनोने सड्यंत्र रच रही है, इस बात को देश के सभ्य आम जनता को समझने की जरूरत है। जब देश को बार - बार लूट लिया जाएगा तो विकास कहा से होगा, जरा इस पर ध्यान केन्द्रदित जरूर करें देशवासी। 

इन राजनितिक लुटेरों के साथ - साथ लोकतंत्र के आमजमानस को सरकार के सरकारी तंत्र भी लूटने में कोई कोताही नहीं बरतते ये भी देश के विकास व आमजनमानस के लिए ये भी उतना ही खतरा है, जितना ये विदेशी लुटेरे थे, यह लूट को देश के हर नागरिक जान रहे है यह कोई नई बात नहीं है। देश के आजादी के समय से आज तक देश लूटवाते तो आ रही है तो विकास कहाँ संभव है, अब देश के लोगों को राहत कहा से मिल पाऐगी। 

अगर देश के लूट को कम करने वाले ईमानदार राजनीतिक नेता इस देश में है, तो ये पूर्व के राजनितीक लुटेरों का दुकानदारी बंद हो जाने की संभावना बढ़ जाती हैं, इसलिए तो बौखलाना इनके स्वाभाविक है, तो लोग ईमानदार नेता के ऊपर नाना प्रकार के लांछन तो लगायेंगे , ये तो देश के लोकतंत्र सजग हो रहा है, सत्य और असत्य का परिभाषा समझने लगे हैं, तो ही आज देश विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है, अन्यथा विज्ञान और विकास दोनों देश मे ठप्प पड़ गया होता आज, इन राजनितीक लुटेरों के कारण। 

रह गई सवाल देश के वर्तमान सरकार लोकतंत्र के द्वारा क्या महंगाई व रोजगार वर्तमान सरकार दूर कर पाने में समर्थ है, या आने वाले समय मे सरकार कोई जनहित फ़ैसले लेने में सक्षम है, हम भरोसा करे आप पर की आप देश को बेहतरी की ओर आगे ले जायेंगे, जो पूर्व के राजनीति में देश की जनता ने देखा भ्रष्टाचार व घोटाले क्या आप इस पर पूरी तरह से लगाम लगा पाओगे,  अगर आप वर्तमान सरकार ऐसे करिश्माई दिखा दिया तो देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता और भ्रष्ट नेताओ की राजनीती हम देश के लोकतंत्र खुद खत्म कर देंगे ऐसे वचन लेंगे तो देश विश्व मे नम्बर वन समृद्भ  भारत देश होगा। नहीं तो गरीब दलित पीड़ित जाति धर्म शोषण करने व लड़ने वाले भारत देश कहलायेंगा जो पूर्व समय से सुनते आ रहे है, नया भारत का निर्माण करना है तो सर्व धर्म सम भाव विकास को प्राथमिकता दो सर्व धर्म मिलकर एक धर्म बनाओ राष्ट्र निर्माण धर्म, राष्ट्र प्रेम धर्म और बाकी अपना व्यक्तिगत  धर्म अपने अपने स्थान पर पूरी ईमानदारी से मनाओ जो आपके धर्म कहती है उनके अनुसार,  कोई भी धर्म छोटा बड़ा नहीं होता हमारे सोच छोटा बड़ा होता है, बाकी पूजा प्रार्थना, इबादत अपने बेहतरी व समाज के बेहतरी के लिए उस परम सत्ता के मालिक से माँगते है जो पूरे जगत का पालन हार है, अपने धर्म के अनुसार।