पीएम मोदी 70 साल पहले देश से लुप्त हुए चीतों को अफ्रीका से भारत ला रहे हैं और पीएम इसी के साथ अपना जन्मदिन मनाएंगे.
PM Modi is bringing cheetahs lost from the country




NBL, 14/09/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. PM Modi is bringing cheetahs lost from the country 70 years ago to India from Africa and PM will celebrate his birthday with this.
भारत देश से चीतो का लुप्त होने का भरपाई प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अफ्रिका से भारत लाकर अपने देश का गौरव बढ़ा कर 70 साल का रिकार्ड तोड़ दिया, जो पूर्व की सरकार असफल रहे वन्य प्राणी चीता को पुनः स्थापित करने में जो देश मे शून्य की स्थिति में पहुँच गया था, पढ़े विस्तार से... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क आएंगे। इसी दिन अफ्रीका से आ रहे चीतों का नेशनल पार्क में प्रवेश होगा। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से प्रोजेक्ट चीता के तहत चीते भारत लाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन खास अंदाज में मनने वाला है। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो पालपुर नेशनल पार्क में 17 सितंबर को ही अफ्रीका से चीतों को लाया जा रहा है। करीब सत्तर साल बाद भारत में चीते आ रहे हैं और इस खास मौके पर मोदी मध्यप्रदेश के दौरे पर रहेंगे। श्योपुर के कराहट में महिला स्वयं सहायता समूह के सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे।
मध्यप्रदेश कैबिनेट की बैठक से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना जन्मदिन मध्यप्रदेश में मनाने आएंगे। दक्षिण अफ्रीका से इसी दिन चीते कूनो नेशनल पार्क में आ रहे हैं। बता दें कि सत्तर साल बाद भारत में चीतों को बसाने के लिए प्रोजेक्ट चीता बनाया गया है। इसके तहत मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से लाए चीतों को बसाया जा रहा है। पहले 15 अगस्त को चीते भारत आने वाले थे, लेकिन चिकित्सा जांच और अन्य समस्याओं के चलते तारीख टलती गई। चीता प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाया जाना है। पांच साल में पचास चीतों को पूरे देश में बसाने की योजना है। शुरुआत में आठ चीते आने हैं, जिन्हें कूनो नेशनल पार्क में रखा जाएगा।
748 वर्ग किमी में फैला है कूनो-पालपुर पार्क
कूनो-पालपुर नेशनल पार्क 748 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह छह हजार 800 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले खुले वन क्षेत्र का हिस्सा है। चीतों को लाने के बाद उन्हें सॉफ्ट रिलीज में रखा जाएगा। दो से तीन महीने बाड़े में रहेंगे। ताकि वे यहां के वातावरण में ढल जाए। इससे उनकी बेहतर निगरानी भी हो सकेगी। चार से पांच वर्ग किमी के बाड़े को चारों तरफ से फेंसिंग से कवर किया गया है। चीता का सिर छोटा, शरीर पतला और टांगे लंबी होती हैं। यह उसे दौड़ने में रफ्तार पकड़ने में मददगार होती है। चीता 120 किमी की रफ्तार से दौड़ सकता है।
1948 में आखिरी बार देखा गया था चीता
भारत में आखिरी बार चीता 1948 में देखा गया था। इसी वर्ष कोरिया राजा रामनुज सिंहदेव ने तीन चीतों का शिकार किया था। इसके बाद भारत में चीतों को नहीं देखा गया। इसके बाद 1952 में भारत में चीता प्रजाति की समाप्ति मानी।
1970 में एशियन चीते लाने की हुई कोशिश
भारत सरकार ने 1970 में एशियन चीतों को ईरान से लाने का प्रयास किया गया था। इसके लिए ईरान की सरकार से बातचीत भी की गई। लेकिन यह पहल सफल नहीं हो सकी। केंद्र सरकार की वर्तमान योजना के अनुसार पांच साल में 50 चीते लाए जाएंगे।