INDIA 2022: ईद-उल-अजहा का संदेश- जिससे तुम मोहब्बत करते हो, उसे खुदा की राह में खर्च करो.
Message of Eid-ul-Azha- Spend in the path of God the one you love.




NBL, 03/05/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. INDIA 2022: Message of Eid-ul-Azha - Spend in the path of God the one you love.
मेरे भारत के सभी भारतीय मुस्लिम भाईयो एवं बहनो को ईद उल फीतर " ईद " मुबारक और ढेर सारी प्यार. और हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाये, पढ़े विस्तार से...
ईद-उल-फितर हो या ईद-उल-अजहा, दोनों त्यौहार खुशी मनाने के दिन भी हैं। बल्कि अगर यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि इन अवसरों पर उत्साह के साथ खुशी मनाना भी सुन्नत-ए-रसूल और एक इबादत है परन्तु आज ईद-उल-अजहा का त्यौहार बस एक त्यौहार बन कर ही रह गया है।
यह त्यौहार हमें 3 महान शख्सियतों के महान बलिदान की कहानी याद दिलाता है- पैगम्बर हजरत इब्राहीम (अलै.), पैगम्बर हजरत इस्माइल एवं बीबी हाजरा। तीनों ने अपनी-अपनी जगह ऐसा प्रेरणादायक बलिदान दिया जिसकी मिसाल मानवीय इतिहास में नहीं मिलती। हिम्मत एवं हौसले, अधिकार व न्याय के अलावा ईद-उल-अजहा खुशी, आनंद एवं सौगात का दृश्य भी पेश करती है।
यह वह ईद है जिसने पैगम्बर हजरत इस्माइल (अलै.) को शिष्टाचार सिखाया। त्याग एवं बलिदान की ऐसी मिसाल कायम कर दी कि किसी और स्थान पर नजर न आए।
त्याग एवं बलिदान का दायरा बहुत बड़ा है, अल्लाह के नाम पर सिर्फ एक बकरे की बलि देना काफी नहीं है। बकरे का खून बहाना खुदा का आदेश नहीं। खुदा का आदेश है कि तुम नेकी (पुण्य) प्राप्त नहीं कर सकते जब तक अपनी उस वस्तु को खुदा की राह में खर्च न करो जिससे तुम मोहब्बत करते हो।
नेकी की असल आत्मा खुदा का प्रेम है। खुदा के मुकाबले संसार की कोई चीज प्यारी न हो, ऐसा प्यार जो पैगम्बर हजरत इब्राहीम और हजरत इस्माइल ने करके दिखाया है।
कुर्बानी इसलिए जरूरी है कि इंसान तंगदिली और लालच से बाज आए। अपने धन, सामान एवं ऊर्जा सामर्थ्य को खुदा की अमानत समझ कर दूसरों के काम आए। यही सही त्याग और सही कुर्बानी होगी।
ईद-उल-अजहा, ईद-उल-फितर के 2 महीने 10 दिन हिजरी महीने जिल हिज्जा की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। इस ईद में खुदा की रजा प्राप्त करने के लिए जानवर की कुर्बानी भी दी जाती है। पैगम्बर हजरत इब्राहीम (अलै.) ने खुदा के आदेश की पालना में अपने प्रिय पुत्र हजरत इस्माइल की कुर्बानी करने के लिए पेशकदमी की थी। इस कुर्बानी की याद में खुदा ने हर अमीर मुसलमान पर इस दिन कुर्बानी देना फर्ज कर दिया है।
ईद-उल-अजहा की नमाज ईदगाह में अदा की जाती है। ईद-उल-फितर में मीठी चीज खाकर नमाज अदा करने जाते हैं और ईद-उल-अजहा में नमाज से पहले कुछ भी खाना मना है। यहां तक कि नमाज एवं कुर्बानी से पहले हजामत करवाना (बालों की कटिंग) और नाखून तक काटना मना है।