माता सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं, आइए जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...

माता सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं, आइए जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...
माता सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं, आइए जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...

माता सिद्धिदात्री

सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री

डॉ सुमित्रा अग्रवाल कोलकाता 

कोलकाता : माता सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं, जो नवरात्रि के नौवें दिन पूजा जाती हैं। उनका स्वरूप और गुण अत्यंत दिव्य होते हैं।

यहाँ माता सिद्धिदात्री के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है :-

1. माता सिद्धिदात्री कौन हैं?

माता सिद्धिदात्री का नाम "सिद्धि" और "दात्री" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "सिद्धियों की देने वाली"।

वे समस्त सिद्धियों और शक्तियों की देवी हैं और भक्तों को आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।

2. स्वरूप :

माता सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है।
वे अक्सर सफेद वस्त्र पहनती हैं और उनके शरीर पर चांदी जैसे आभूषण होते हैं।

उनके चार हाथ होते हैं :

दाईं ओर: एक हाथ में कमल का फूल, दूसरे में चक्र।
बाईं ओर: एक हाथ में गदा और दूसरे में शंख।

उनका चेहरा कोमल और उज्ज्वल होता है, जो शक्ति और करुणा का प्रतीक है।

3. विशेषताएँ :

माता सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों की देवी मानी जाती हैं। उनकी कृपा से भक्तों को इच्छित फल प्राप्त होते हैं।

वे संतों, योगियों, और साधकों के लिए विशेष रूप से पूजनीय हैं। उनके ध्यान और साधना से सभी प्रकार की भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाएँ पूरी होती हैं।

माता सिद्धिदात्री भक्तों को मानसिक शांति और संतोष प्रदान करती हैं।

4. माता को कौन सा रंग का फूल पसंद है?

माता सिद्धिदात्री को सफेद और गुलाबी रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं। सफेद फूल पवित्रता और भक्ति का प्रतीक होते हैं।

5. क्या प्रसाद चढ़ाएँ ?

माता को विशेष रूप से नारियल, लड्डू, और फलों का भोग चढ़ाया जाता है। ये भोग माँ को अर्पित करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।

6. माता का मंत्र :
 

माता सिद्धिदात्री की आराधना के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जा सकता है :-

ॐ देवी सिद्धिदात्री नमः।

स मंत्र का जाप करने से भक्तों को सिद्धियों, समृद्धि, और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

माता सिद्धिदात्री की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

जाप की विधि :

सात्विक स्थान पर बैठें : पूजा करते समय एक शांत और पवित्र स्थान चुनें।

पवित्रता का ध्यान रखें : स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।

दीप और धूप जलाएं : पूजा स्थल पर दीपक और धूप रखें।

माला का प्रयोग करें : 108 बार मंत्र का जाप करने के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करें।

भक्ति भाव से करें : ध्यान और श्रद्धा के साथ मंत्र का जाप करें।
इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए माता सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।