CG नौजवानों की बीमारी का मुख्य कारण चरित्रहीनता - सन्त बाबा उमाकान्त महाराज




नौजवानों की बीमारी का मुख्य कारण चरित्रहीनता - सन्त बाबा उमाकान्त महाराज
बुढ़ापे में और महिलाओ के कर्म कैसे आते हैं
अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) : मर्यादा में बात कहने वाले, जरा सी असावधानी में दुसरे के पाप कर्मों का बोझा आता है तो उस असावधानी के प्रति सावधान करने वाले, चरित्रवान बनने की प्रेरणा देने वाले, बुरी विचारधारा से बचाने वाले, अपने सिद्धांत के पक्के, इस वक्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 8 अप्रैल 2023 प्रातः अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि अरे बुड्ढों की बात तो छोड़ो जब बुढापे में हाथ कान ढीले पड़ जाते हैं, शरीर रोगी होता ही होता है, कुछ न कुछ तकलीफ होती ही होती है लेकिन आजकल के जवानों में देखो कितनी तकलीफ है। आए दिन बोतल, ग्लूकोज़ चढ़ रहा है, गोलियां खा रहे हैं तो यह क्या है? यह सब यही चरित्रहीनता, खान-पान का गलत हो जाना, विचार भावना बदल जाना है।
महिलाओं के कर्म कैसे आते हैं ?
महाराज ने 5 अप्रैल 2023 प्रातः राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) में बताया कि अरे कहते हो कि अब कैसे नहीं जाए, जब ससुराल से निमंत्रण आ गया तो जाएं कैसे नहीं। औरत कहती है भाई के घर नहीं जाएंगे, भाई की शादी में नहीं जाएंगे तो कैसे रिश्तेदारी निभेगी? वहां बहन, मौसी, मामी भी आएगी, सब पूछेंगे आई नहीं लाली, गुड़िया आई नहीं, बेबी आई नहीं तो जाना ही जाना है। अब वहां तो यह देखा नहीं कि कौन से बर्तन में बना है? किराए का बर्तन है या घर का बर्तन है, बनाने वाला कैसा है? मांसाहारी, शराबी, सटोरिया, जुआरी है या कैसा है? क्या है? अब उसको जब खाए तो मन हट गया। दूसरे दिन तो मन (साधना करने के लिए) नहीं कहता है। क्यों? क्योंकि कर्म आ गया तो मन भजन सुमिरन नहीं करने देगा।
बुढ़ापे में कर्म कैसे आते हैं
गये बुढ़ापे में। फूफा जी आप अगर शादी में नहीं आओगे तो सब बात बिगड़ जाएगी। आपको तो आना ही पड़ेगा। फूफा की कोई कदर होती है? जब तक सास-ससुर जिंदा रहते हैं, दामाद की तो फिर भी कोई कदर होती है। और जब चले जाते हैं तब उनके लड़के जिनको साले कहते हैं, बहुत से लोग तो साले साहब कहने लग गए, तो साला क्या कहता है? जी-जा खाओ और जाओ। कोई कदर होती है? कोई दाम देने वाला होता है? कोई दामाद होता है? कोई दक्षिणा भेंट देने वाला होता है? कुछ नहीं। आओ-खाओ-जाओ। अब उनके लड़कों का समय आया। तब फू-फा कोई कदर नहीं। जब इच्छा हो आओ-जाओ, समय से आ जाओ तो खा लो, नहीं तो सो जाओ, चले जाओ, कोई बात नहीं, कोई कदर नहीं। लेकिन कहते हैं लड़के बुला रहे हैं, इसलिए शादी में गये। अब कौन पूछता है? जो मिल जाए वही खा लो, झूठा खा लो, कैसा भी हो खा लो, तो भजन में बाधा आएगी कि नहीं आएगी? आती है। अब सफाई जब नहीं होगी तो कर्म और बढ़ते चले जाएंगे।
हमारा सिद्धांत तो ये है
महाराज ने 6 अप्रैल 2023 दोपहर रायपुर (छत्तीसगढ़) में बताया कि हमारा सिद्धांत तो यह है कि कम खाओ, गम खाओ। थोड़ा खाओगे तो शरीर आराम से रहेगा, चलता रहेगा। थोड़ा खाना न मरना, न उठाना। और दो बात बर्दाश्त कर लो तो लड़ाई, झगड़ा-झंझट से छुटकारा। आप उस प्रभु पर विश्वास कर लो तो वह सबको देने वाला है, सबको देगा।
हुक्म होने पर वर्णनात्मक नाम बदल जाता है
जयगुरुदेव नाम मुसीबत में जब बोलोगे, बुलाओगे तो वह मालिक देखेगा और आपकी मदद करेगा। तो यह जगाया हुआ नाम है। बाबा जयगुरुदेव जी ने (इसे प्रभु से) जोड दिया है। अब यह नाम कुछ दिनों तक चलेगा। फिर जब बदलने का हुकुम होगा तो यह बदल जाएगा। कोई भी बदल देगा, जिसको भी हुकुम हो जाएगा, नाम तो कोई भी बदल सकता है। अक्सर ऐसा होता है। जब महापुरुष चले जाते हैं, उनका जगाया हुआ नाम चला जाता है, दूसरे लोग आते हैं तो उस नाम का गलत उपयोग होने लग जाता है, जगह का गलत उपयोग होने लग जाता है, नाम खराब होता है तो जो दूसरे आते है वो नाम को बदल देते हैं। तो जयगुरुदेव नाम, यह वर्णनात्मक नाम है।