विफल विवाह संबंध (Failed Marriage) में पति या पत्नी को अगर जबरन रोक कर रखा जाता है,, तो यह एक तरह की क्रूरता है.: केरल हाईकोर्ट




NBL,. 17/02/2022, Lokeshwer Prasad Verma... कोच्चि. केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने कहा है कि किसी विफल विवाह संबंध (Failed Marriage) में पति या पत्नी को अगर जबरन रोक कर रखा जाता है, तो यह एक तरह की क्रूरता है. हाईकोर्ट ने तलाक के मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, पढ़े विस्तार से..।
जस्टिस ए मोहम्मद मुश्ताक और सोफी थॉमस की बेंच ने कहा, 'विवाह संबंध अगर इतने खराब हो चुके हैं कि उन्हें सुधारा न जा सके, तो कोई भी अपने जीवनसाथी को जबर्दस्ती उस रिश्ते में रोक नहीं सकता. फिर चाहे वह पति हो या पत्नी. एक के द्वारा इस तरह की जोर-जबर्दस्ती को दूसरे के साथ क्रूरता मानना चाहिए.' अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए पक्षकार बीना एमएस और उनके पति शीनो जी बाबू की याचिकाएं खारिज कर दीं. इन दोनों ने परिवार-न्यायालय (Family Court) के फैसलों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.
परिवार-न्यायालय (Family Court) ने इन दोनों का तलाक मंजूर करते हुए इनके बच्चे का संरक्षण स्थायी रूप से उसकी मां को सौंप दिया था. इस पर बीना ने तलाक मंजूर किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. जबकि शीनो जी बाबू ने बच्चे का संरक्षण स्थायी रूप से मां को सौंपे जाने के निर्णय के खिलाफ अपील की थी. हालांकि हाईकोर्ट ने परिवार न्यायलय के दोनों ही फैसलों को सही ठहराया।
हाईकोर्ट (Kerala High Court) की बेंच ने कहा कि चूंकि पति-पत्नी 2017 से ही अलग रहे हैं. दोनों ने विवाह-संबंध को बचाए रखने की खास कोशिश भी नहीं की. ऐसें परिवार-न्यायालय द्वारा उनका तलाक मंजूर करना सही फैसला था. इसी तरह 5 साल के बच्चे का संरक्षण भी मां को सौंपने का निर्णय सही था. क्योंकि बच्चा जन्म से ही अपनी मां के साथ रह रहा है. दूसरा- उसके पिता ने भी उसका संरक्षण लेने में बहुत ज्यादा दिलचस्पी या उत्साह नहीं दिखाया है।
हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने इसके साथ ही जोड़ा कि याचिकाएं खारिज किए जाने का ये मतलब नहीं है कि पति बच्चे के संरक्षण या फिर उससे संपर्क बनाए रखने के लिए नई याचिका नहीं लगा सकता. वह इस सिलसिले में परिवार न्यायालय में नई याचिका लगा सकता है।