धरती को तबाह करने आ रहा है बड़ा स्टेरॉयड: अब बचाएगा ये `हीरो`.... इस तारीख को पृथ्वी को 'छूते' हुए गुजरेगा विशालकाय एस्टेरॉइड.... नासा ने बताया धरती के लिए 'खतरा'......




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डेस्क। धरती की तरफ एक बड़ा एस्टेरॉयड बढ़ रहा है, जो अभी पृथ्वी से करीब 1 करोड़ 10 लाख मील यानी 1 करोड़ 77 लाख 2 हजार 784 किलोमीटर दूर है। इस एस्टेरॉयड को नष्ट करने के लिए नासा ने एक स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया था, जिसने उस एस्टेरॉयड की पहली तस्वीर भेजी है। नासा का स्पेसक्राफ्ट अभी धरती से 20 लाख मील यानी 32 लाख 18 हजार 688 किलोमीटर की दूरी पर पहुंचा है। स्पेसक्राफ्ट ने DRACO टेलीस्कोप कैमरा की मदद से एस्टेरॉयड की फोटो खींचकर भेजी है। अगर एस्टेरॉयड को नष्ट करने में नासा का स्पेसक्राफ्ट सफल रहता है तो स्पेस डिफेंस के क्षेत्र में इसे बड़ी उपलब्धि माना जाएगा। ये स्पेसक्राफ्ट किसी हीरो की तरह धरती को एस्टेरॉयड से बचाएगा। नासा डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट के तहत इस मिशन को कर रहा है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि, इस साल 5 एस्टेरॉयड के धरती से ‘टकराने’ का खतरा है और जिनमें से एक एस्टेरॉयड 11 जनवरी को पृथ्वी के बेहद करीब से निकलेगा। नासा ने इस एस्टेरॉयड को पृथ्वी के लिए संभावित खतरे के तौर पर सूचिबद्ध किया है। नासा के मुताबिक, इस एस्टेरॉयड का आकार 100 मीटर से ज्यादा है और ये पृथ्वी के लिए ‘संभावित खतरा’ है। इस एस्टेरॉयड यानि क्षुद्रग्रह के अलावा, अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी कहा कि, एक ही महीने में दो क्षुद्रग्रह पृथ्वी के पास से गुजरने वाले हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से एक का आकार एक बड़ी इमारत से ज्यादा बड़ा है।
जैसे ही वर्ष 2021 खत्म हुआ है और नया साल शुरू हुआ है, कई लोग उत्सुकता से नए साल के लिएऔर ज्यादा सरप्राइजेज का इंतजार कर रहे हैं और सबसे बड़ा सरप्राइज जनवरी महीने के दूसरे हफ्तेमें ही मिल रहा है, जब एक क्षुद्रग्रह पृथ्वी के बेहद पास से गुजरेगा। इस एस्टेरॉयड का आकार करीब100 मीटर का है और ये विशालकाय पत्थर का टुकड़ा है और नासा ने कहा है कि, इस एस्टेरॉयड कोधरती के कई हिस्सों से देखा भी जा सकता है। नासा ने इस एस्टेरॉयड का नाम 2013 YD48 रखाहै। ये एस्टेरॉयड पृथ्वी से करीब 30 लाख मील के दायरे से गुजरेगा,लिहाजा नासा ने इसे पृथ्वी के लिए ‘संभावित खतरा’ करार दिया है।
आपको बता दें कि ऐस्टरॉइड वो बड़ी बड़ी अंतरिक्ष चट्टाने होती हैं जो किसी ग्रह की तरह हीं सूर्यकापरिक्रमा करती हैं लेकिन इनका आकार काफी छोटा है। लेकिन अगर ये ऐस्टरॉइड किसी ग्रहसेटकरा जाएं तो वहां भूचाल आ जाता है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि हमारे गैलेक्सी मेंज्यादातरऐस्टरॉइड मंगल और बृहस्पति की कक्षा में पाए जाते हैं, वहीं कई ऐस्टरॉइड दूसरे ग्रहों कीकक्षा में भीपाए जाते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि करीब साढ़े 4 अब साल पहले जब हमारे गैलेक्सीका निर्माणहुआ था तब गैस और धूल की वजह से ऐसे बादल, जो किसी कारणवस कोई ग्रह नहीं बनसके, वोकालांतर में क्षुद्रगह बन गये।