गणपति बप्पा मोरया : गणेश चतुर्थी पर गणपति की पूजा करने के लिए एक विशेष विधि क्या है ? आइए जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...

गणपति बप्पा मोरया : गणेश चतुर्थी पर गणपति की पूजा करने के लिए एक विशेष विधि क्या है ? आइए जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...
गणपति बप्पा मोरया : गणेश चतुर्थी पर गणपति की पूजा करने के लिए एक विशेष विधि क्या है ? आइए जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...

गणपति बप्पा मोरया

डॉ सुमित्रा अग्रवाल
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री
यूट्यूब वास्तु सुमित्रा 


कोलकाता : गणेश चतुर्थी पर गणपति की पूजा करने के लिए एक विशेष विधि होती है, जो शुद्धता, भक्ति और श्रद्धा से संपन्न की जाती है।

यहाँ चरणबद्ध रूप में पूजा विधि बताई गई है :

1. पूजा की तैयारी :

साफ-सफाई: सबसे पहले, घर के मंदिर या पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें। जहाँ गणेश जी की मूर्ति स्थापित करनी है, उस स्थान को धो लें।

स्नान और शुद्ध वस्त्र: स्वयं स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पूजा सामग्री: पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री तैयार करें :

गणेश  की मूर्ति, लाल कपड़ा, फूल (विशेषकर लाल फूल)
चंदन, कुमकुम, हल्दी, धूप, दीपक, दूर्वा घास (गणेश जी को विशेष प्रिय), मोदक (या मिठाई), नारियल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर), सुपारी, पान के पत्ते, अगरबत्ती, फल आदि।

2. गणेश जी की मूर्ति की स्थापना :

पूजा स्थल पर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मूर्ति को लाल या पीले कपड़े पर रखें।
मूर्ति के पास एक तांबे या पीतल के कलश में जल भरकर रखें, उसके ऊपर आम या अशोक के पत्ते रखें और नारियल रख दें।

3. आवहान (भगवान गणेश का आह्वान) :

दीपक जलाएं और भगवान गणेश का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
"ॐ गं गणपतये नमः"
गणेश जी का आवाहन करें और उन्हें अपने घर पधारने का निमंत्रण दें।

4. स्नान और वस्त्र अर्पण (अभिषेक) :

भगवान गणेश की मूर्ति का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से अभिषेक करें।
इसके बाद गणेश जी को साफ जल से स्नान कराएं।
स्नान के बाद गणेश जी को नए वस्त्र (लाल या पीले कपड़े) पहनाएं।

5. पूजा और अर्चना :

गणेश जी को चंदन, कुमकुम और अक्षत (चावल) अर्पित करें।
उन्हें फूल (विशेष रूप से लाल फूल) और दूर्वा घास चढ़ाएं।
अगरबत्ती और धूप जलाएं, और दीपक से आरती करें।
भगवान गणेश जी को मोदक, लड्डू या अन्य मिठाई का भोग अर्पित करें।

6. प्रसाद और आरती :

गणेश  की आरती करें। आरती के समय निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करें:
"ॐ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा"
आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।

7. विघ्नहर्ता के रूप में प्रार्थना :

भगवान गणेश जी से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन की सभी बाधाओं को दूर करें और आपको सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद दें।

8. विसर्जन (अंतिम दिन) :

गणेश चतुर्थी के 1.5, 3, 5, 7 या 10 दिन बाद गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के समय उन्हें विदा करने का समय "गणपति बप्पा मोरया" के जयकारे के साथ होता है।

यह विधि गणेश जी की पूजा के लिए अपनाई जाती है। महत्वपूर्ण है कि पूजा शुद्ध हृदय और भक्तिभाव से की जाए।