हाईकोर्ट का अहम फैसला: अंडरवियर न उतारना रेप के आरोप से बचने का आधार नहीं... कपड़े उतारे बिना किया गया जबरन सेक्स का प्रयास भी बलात्कार.....

Forced Sex Attempt Without Removing Clothes Was Also Rape High Court on Rape

हाईकोर्ट का अहम फैसला: अंडरवियर न उतारना रेप के आरोप से बचने का आधार नहीं... कपड़े उतारे बिना किया गया जबरन सेक्स का प्रयास भी बलात्कार.....

...

High Court on Rape: मेघालय हाई कोर्ट ने 10 साल की नाबालिग के साथ रेप के मामले में सुनवाई करते हुए टिप्पणी की है की लड़की के ऊपर यौन हमला करने के वक्त चाहे वह अंडरवियर पहनी हो या न पहनी हो, इसे रेप या बलात्कार ही माना जाएगा और यह भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बी) (Section 375 (b) of the Indian Penal Code) के तहत अपराध माना जाएगा। मेघालय उच्च न्यायालय (Meghalaya High court) ने एक नाबालिग से बलात्कार मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि बिना कपड़े उतारे की गई जबरदस्ती भी बलात्कार की श्रेणी में आती है और आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बी) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। 

 

मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति डब्ल्यू डिएंगदोह की खंडपीठ ने 10 साल की बच्ची के कथित बलात्कार से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते हुए ये बात कही है। साथ ही निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें आरोपी को दोषी ठहराया गया था। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि एक हफ्ते बाद मेडिकल जांच के दौरान भी लड़की के गुप्तांगों में दर्द था और उसके पास यौन संबंध बनाने के पर्याप्त सबूत हैं। हालांकि आरोपी ने दावा किया कि उसने उसके नीचे के कपड़े नहीं उतारे। 31 अक्टूबर 2018 को, एक ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराया और उसे 10 साल जेल की सजा सुनाई और साथ ही 25,000 का जुर्माना भी लगाया। 

 

दोषी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि लड़की का अंडरवियर नहीं निकला गया था, ऐसे में उसपर बलात्कार का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। वहीं उच्च न्यायालय ने कहा कि "पीड़िता ने दावा किया कि उसे उस समय कोई दर्द महसूस नहीं हुआ। उसने दर्द की शिकायत की जब 1 अक्टूबर, 2006 को उसकी चिकित्सकीय जांच की गई और मेडिकल रिपोर्ट ने इसकी पुष्टि की है। न्यायाधीशों ने आदेश में कहा कि "चूंकि पीड़ित नाबालिग थी और अपीलकर्ता ने स्वीकार किया कि उसने खुद पर नियंत्रण खो दिया और अपराध किया। इसलिए दी गई सजा अनुचित नहीं लगती है।" कोर्ट ने कहा महिला के प्राइवेट पार्ट में कुछ रगड़ना किसी भी हद तक सम्मिलित करना आईपीसी की धारा 375 (बी) के तहत बलात्कार के समान होगा। यह पेनिट्रेशन के समान माना जाएगा।